धर्माराम का गरीबी ने कटवाया हाथ

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Published on : 19 May, 19 07:05

धर्माराम का गरीबी ने कटवाया हाथ

 

उदयपुर। 6 महीने से उसका हाथ सडता चला गया और अंत में ममिफाईड हो गया जैसे कि मिस्र देश मे हजारों साल पहले के राजाओं के शरीर म्यूजियम में दिखते है। धर्माराम जिस पीडा से तडप रहा था वह आज के विज्ञान के द्रष्टिकोण में एक आश्चर्य या कौतुहल का विषय बन गया है। करीब 7 महीने पहले उसकी बीमारी एक कीट के काटने से मामूली संक्रमण से शुरू हुई थी। गरीबी की वजह से समय पर ईलाज नहीं हो पाया। धीरे धीरे दिन ब दिन उसका हाथ काला पडने लगा। लेकिन यह बात समझ से बाहर है कि इतना कष्ट होने के बावजूद , मरीज के परिवार की कभी बडे अस्तपताल ले जाकर ईलाज कराने की चेष्टा नहीं हुई। वह रोज अपने हाथ को सडते हुए देखता रहा । हाथ की सडन जब कंधे तक पहुँची जिसमें 7 महीने हो जाते है, तब जा कर मरीज को दर्द होना शुरू हुआ।

अस्थिरोग विशेषज्ञ , व प्रोफेसर पेसिफिक मेडिकल कोलेज, ड* सालेह मोहम्मद कागजी ने बताया जब उन्होंने पहली बार मरीज को देखा तो यह समझना बहुत मुश्किल हो रहा था कि इस तरह की बीमारी कैसे हो सकती है जिसमें हाथ में 7 महीने तक संक्रमण रहे, मरीज को न तो बुखार आए और न ही इतना दर्द हो कि वह ईलाज के लिये आगे ही न आये। आम तौर पर उँगली या हाथ का काला पडना, जानलेवा बीमारी का लक्षण होता है। इस तरह फैलें संक्रमण से ईलाज में लापरवाही जानलेवा हो सकती है, लेकिन यह मरीज बिना हिचक के अपने हाथ को काला होते देखता रहा। यह ही नहीं, उसके कोहनी से ऊपर बायें बाजू का माँस भी ऐसे गायब होता रहा जैसे किसी जानवर ने कुतर कुतर नोंच खाया हो।

यह विषय मेडिकल विज्ञान में एक पहेली बना हुआ है। इस बीच मरीज आश्चर्यजनक तरीके से 7 महीने से सामान्य रूप से अपनी दिनचर्या व्यतीत करता रहा। पैसे के अभाव में उसका ईलाज नहीं हो पाया। सरकारी होस्पिटल से भी ईलाज में कोई तत्परता नहीं दिखाई दी। और मरीज को दरकिरनार कर दिया गया। सैफी हेल्थकेयर ट्रस्ट व सनराइज हॉस्पिटल की मदद से मानवीय आधार पर मरीज का हाथ बाँह से अलग किया गया ताकि यह आगे शरीर में न फेल सकें। ड* कागजी के अनुसार , भारत में चिकित्सा व्यवस्था की बुरी हालात का यह एक प्रमाण है व आधुनिक समाज में इस तरह गरीब परिवारों के स्वास्थ्य के साथ अनदेखी का यह केवल एक नमूना नहीं हैं । इस तरह के ऐसे नासूर जैसे केस गरीबी की वजह से उचित ईलाज के अभाव में अंत में असमय मौत का शिकार हो जाते है।


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