भक्त के लिए भगवान कुछ भी करते, असुर को पटकाने के लिए कोई भी रुप धरते ।। हिरण्यकश्यपु जैसे असुर जब भक्त प्रहलाद को परेशान करते, नृसिंहरुप धारण कर भगवान उसे अभयदान देते । कभी द्रौपदी की जूती छुपाते, तो कभी छछियन भरी छाछ पर नाचते । भक्त के लिए भगवान कुछ भी करते ।। पवित्र हृदय, सभी में परमात्मा को देखनेवाले, समता में स्थित भगवद्भक्त प्रहलाद की रक्षा हेतु सर्वव्यापी परमात्मा ने श्री नृसिंह रुप धारण किया ।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥७॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥८॥
नृसिंह भगवान प्राक्ट्योत्सव
तपोभूमि लालीवाव मठ में प्रतिवर्ष के भांति इस वर्ष भी नृसिंह जयंती के उपलक्ष में शुक्रवार को भगवान श्री नृसिंह प्राक्टय उत्सव बड़े ही उत्साह उमंग के साथ मनाया गया । सायं 7 बजे भगवान नृसिंह का प्राक्ट्योत्सव मनाया गया एवं संध्या आरती उतारी गई एवं आरती के पश्चात् भजन संध्या का आयोजन किया गया । जिसमें भक्तों ने भगवान के प्राक्टय उत्सव एवं भजन संध्या का लाभ उठाया ।