उदयपुर| जीवोत्थान प्रकाशनालय संस्थान धाम में वैदिक ब्रह्म कर्मानुष्ठान के महत्त्व पर आयोजित द्विदिवसीय संगोष्ठी का समापन किया गया। प्रथम दिवस में भारतीय ब्रह्म कर्मकाण्ड में आर्ष, अनार्ष के अन्तर्गत वैदिक श्रुति , स्मृति , पौराणिक,आद्य शंकराचार्य द्वारा निर्देशित पद्धति, महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा प्रतिपादित पद्धति, गायत्री आदि पद्धतियों पर विचाराभिव्यक्ति की गई। प्रथम दिवस के मुख्य अतिथि श्री कल्ला वैदिक विश्वविद्यालय के कुल सचिव एस एन आचार्य ने इन प्रचलित पद्धतियों के प्रचार-प्रसार सह लाभार्थियों के पक्षाभिवृद्धि के बारे में विचार व्यक्त किये। आज द्वितीय दिवस के समापनावसर में संस्थान के संरक्षक महर्षि, यादवेन्द्र, उक्त सभी पद्धतियों के वेत्ता, समीक्षक रुचिवान् ने भारतीय ब्रह्म कर्म पद्धतियों के समीक्षात्मक बिंदुओं पर विचाराभिव्यक्ति की तथा मानवीय उच्चादर्श पूर्वक पर्यावरण संरक्षण के साथ ब्रह्म कर्म में छोटे - बड़े अनुष्ठानों में उचित क्रम एवं कर्म लोप न होने के तथा भारतीय प्राच्याधुनिक उक्त महती विद्याओं के महत्त्व पर स्वविचाराभिव्यक्ति की।संस्थान के अध्यक्ष और संरक्षक महर्षि ने बताया कि सभी समाजों के जिज्ञासुओं के क्रम में यथायोग्य सेवाओं का विस्तार किया जाएगा।