भगवान ऋषभ के वर्षीतप की परंपरा का निर्वहन है अक्षय तृतीया : मुनि सुरेश कुमार

( 20441 बार पढ़ी गयी)
Published on : 07 May, 19 10:05

महाप्रज्ञ विहार में अक्षय तृतीया महोत्सव में उमड़ा आस्था का हुजूम

भगवान ऋषभ के वर्षीतप की परंपरा का निर्वहन है अक्षय तृतीया : मुनि सुरेश कुमार

उदयपुर। जैन जगत के आदि तीर्थंकर भगवान ऋषभ के वर्षीतप के पुण्य उपलक्ष्य में अक्षय तृतीया महोत्सव का आयोजन श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, उदयपुर के बैनर तले महाप्रज्ञ विहार, भुवाणा में समारोह पुर्वक मनाया गया।
नमस्कार महामंत्रोच्चारण व ओम ऋषभाय नमः अनुष्ठान से शुरू हुए समारोह को सम्बोधित करते हुए शासन श्री मुनि सुरेश कुमार ‘हरनावां‘ ने कहा कि भगवान ऋषभ जब महाव्रती बने उनके साथ चार हजार मुनि बने, भगवान मौनी थे, अपने मन में अभिग्रह लिये पदयात्रा कर रहे थे। जैन मुनि की भिक्षु विधि से अनजान जनता ने पूर्व राजा को भोजन के सिवाय सब कुछ भेंट लेने का निवेदन किया, मगर भगवान को वो सब स्वीकार्य नहीं था। आखिर एक वर्ष के बाद प्रपौत्र श्रेयांश कुमार के हाथों से इक्षुरस से तेरह महीने का तप संपन्न किया। इसी परंपरा का निर्वहन है अक्षय तृतीया। जैन मुनि ने हरनावां ने हस्तिनापुर नगरी में आज पधारणो गीत का समुच्चारण करते हुए कहा कि तपस्या ऐसी करें जिसका प्रभाव औरों के जीवन में छलके।
मुनि संजय कुमार ने कहा कि इच्छाओं का निरोध ही असली तपस्या है, मन को साधने से ही तपस्या फलित होती है। तपस्वियों का जीवन सबके लिये प्रेरणास्पद हो। इस दौर का तप आडम्बरों के हाथों बिक रहा है। संयम तभी सिद्ध होता है जब हम सत्य के पुजारी बनने का अभ्यास करें। 
मुनि प्रकाश कुमार का मानना था कि भगवान ऋषभ ने तपस्या के साथ ध्यान की साधना की, आज जरूरत है तपस्या के साथ साधना को जोड़ा जाये। 
मुनि प्रसन्न कुमार ने कहा कि भगवान ऋषभ इतिहास पुरुष है, इस दौर में भगवान ऋषभ की तपस्या का संहनन नहीं है, फिर भी उस विराट तपस्या को वर्षीतप एकांतर तप एक महान समर्पण है।
मुनि सम्बोध कुमार ने बावरे मन जोगी हो जा देख तपस्वी आये है गीत से शुरु कर अपने संबोध में कहा कि वर्षीतप का समापन इक्षुरस से होता है। इस इक्षुरस की मिठास हमारे रिश्तों में घुल जाये यही इस पर्व की सिद्धि है।
मुनि प्रतीक कुमार ने संयोजकीय वक्तव्य में कहा कि अक्षय तृतीया अखंडता का प्रतीक है। अभुझ मुर्हूत और भगवान ऋषभ के वर्षीतप के पारणां से जुड़ा ऐतिहासिक दिन है। मुनि धैर्य कुमार ने भावपुर्ण विचारों के साथ सुमधुर गीत पेश किया।
बतौर मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त जिला सेशन जज हिमांशु राय नागौरी ने कहा कि संकल्प से तपस्या तेजस्वी होती है। यह विज्ञान ने प्रमाणित किया है कि तपस्या से सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक विचारों को भी खत्म कर देता है। उन्होंने तपस्वियों की तपस्या के प्रति बधाई दी।
कार्यक्रम में तेरापंथ सभा अध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता, तेयुप अध्यक्ष विनोद चंडालिया, महिला मंडल सुमन डागलिया, अणुव्रत समिति अध्यक्ष गणेश डागलिया, तपस्वी परिवार की ओर से सिंघवी परिवार, किस्तूर चंद सिंघवी, धु्रव सिंघवी, खुशबू कंठलिया ने भावपूर्ण विचारों की अभिव्यक्ति दी। इस अवसर तेरापंथ महिला मंडल व् ज्ञानशाला प्रशिक्षिका वृन्द ने समूह गान प्रस्तुत किया। 
चार वर्षीतप तपस्वियों का हुआ वर्धापन : कार्यक्रम में वर्षीतप तपस्वी कमला चौधरी, केसर परमार, कांता सिंघवी, बसंत कंठालिया ने मुनिवृन्द को इक्षुरस बहराकर वर्षीतप का समापन किया। तेरापंथ सभा ने चारों तपस्वियों का अभिनंदन पत्र व उपरणा भेंट कर वर्धापन किया। 
इन्होंने की शिरकत : समारोह में आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति बेंगलुरू उपाध्यक्ष हीरालाल मांडोत व् आरएसएस राष्ट्रीय प्रचारक हस्तिमल हिरण ने शिरकत की। मंच संचालन मुनि प्रतीक कुमार ने व आभार ज्ञापन तेरापंथ सभा मंत्री प्रकाश सुराणा ने किया। 
मुनि सुरेश कुमार का विहार आज : शासन श्री मुनि सुरेश कुमार हरनावा, अपने मासिक प्रवास के बाद आज महाप्रज्ञ विहार से प्रातः 6.15 बजे विहार कर नवरत्न कंपलेक्स श्रीचंद गेलड़ा निवास व 9 को चित्रकूट कॉलोनी स्थित रंजीत लोढा निवास, 1 0 को मोती मार्बल्स, 11 को तुलसी केमिकल्स, 12 को एकलिंग जी व् 13 को देलवाड़ा होते हुए 19 मई को नाथद्वारा जाएंगे।
 


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.