पेसिफिक विश्वविद्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन

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Published on : 28 Apr, 19 06:04

सफल रहा पेसिफिक में शोधार्थियों का समागम

पेसिफिक विश्वविद्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन

पेसिफिक विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट द्वारा आयोजित दो दिवसीय दसवां अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। सम्मेलन का आयोजन ‘ट्रांसफोरमेशन ऑफ बिजनेस, इकोनॉमी एण्ड सोसायटी इन डिजिटल ईरा‘ विषय पर किया गया था। सम्मेलन में भारत के तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि 22 राज्यों के 78 विश्वविद्यालयों एवं विश्व के तुर्की, ईरान, कुर्दिस्तान आदि 10 देशों से आए लगभग 450 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

समापन समारोह में बोलते हुए मुख्य अतिथि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के कुलपति डॉ. बीपी शर्मा ने सम्मेलन के विषय की सार्थकता को रेखांकित करते हुए कहा कि आज मानव क्रियाकलाप का ऐसा कोई भी पहलू नहीं है जो डिजिटलाईजेशन से अछूता हो उन्होंने कहा कि जिस तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा एनालिसिस, आदि आधुनिक तकनीकों का प्रवेश हमारे जीवन में हो रहा है जल्द ही सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के क्षेत्र् में भी नौकरियां कम होकर इन आधुनिक तकनिकों के क्षेत्र् में काम करने वाले व्यक्तियों की मांग बढेगी। उन्होंने बताया कि अब तो शेयर बाजार की ट्रेडिंग में भी एल्गोरिदिम एनालिसिस का उपयोग होने लगा है। परन्तु उन्होंने अफसोस व्यक्त किया कि भारत के अधिकतर विश्वविद्यालयों में इन विषयों के पठन-पाठन की कोई तैयारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का उच्च शिक्षा क्षेत्र् ओवर रेगुलेटेड होने के कारण ए.आई., बिग डेटा आदि की शिक्षा की दिशा में तेजी से कुछ खास नहीं हो पा रहा है। उन्होंने इन विषयों पर नए कोर्स शुरू करन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आशा प्रकट की कि ऐसे सम्मेलनों से नए सुझाव व विचार उत्पन्न होंगे और स्थिति में जल्द सुधार आयेगा।

कांफ्रेंस डायरेक्टर फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट की डीन डॉ. महिमा बिरला ने अपने प्रारम्भिक उद्बोधन में कहा कि भविष्य नई तकनीकों से संबंधित कौशल के विकास में ही निहित है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि हम इस क्षेत्र् में पिछड रहे हैं, जबकि चीन ने सजगता दिखाते हुए छोटे छोटे बच्चों और किशोरों को भी छुट्टियों में भी कोडिंग सिखाने का अभियान शुरू किया है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि भारत की यह विशेषता रही है कि हम विश्व की हर तकनीकी आवश्यकता का समाधान कम खर्च में प्रस्तुत कर सकते हैं इसलिए ए.आई., बिगडेटा आदि क्षेत्रें पर हमें तुरंत ध्यान देना चाहिए।

कांफ्रेंस समन्वयक डॉ. दिपिन माथुर ने रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए जानकारी दी कि सम्मेलन के दौरान अलग अलग सात तकनीकी धाराओं के अन्तर्गत 16 समानान्तर सत्र् हुए जिनमें 350 से भी अधिक शोधपत्र् प्रस्तुत किए गए। यह सत्र् ‘‘इवोल्यूशन ऑफ एग्रीकल्चर एण्ड डेयरी साइंस विद डिजिटल इनोवेशन‘‘, ‘‘डिजिटल ट्रांसफोरमेशन इन हैल्थ साइंस एण्ड फार्मेसी‘‘ डिजिटल ट्रांसफोरमेशन इन बिजनेस ईकोनॉमी एण्ड मैनेजमेंट‘‘, ‘‘आंत्र्ेप्रेन्योरशिप एण्ड डिजिटलाइजेशन‘‘, फ्यूचर डिजिटल टेक्नोलॉजिज एण्ड इंजिनियरिंग‘‘, ‘‘सोशल एण्ड कल्चरल ट्रेंण्ड्स इन डिजिटल ईरा‘‘, ‘‘डिजिटलाईजेशन एण्ड साइकोलॉजी‘‘ विषयों पर आयोजित किए गए। सभी सत्रें की अध्यक्षता विषय-विशेषज्ञों ने की तथा सभी सत्रें में प्रमुख वक्ताओं के उद्बोधन भी हुए।

सम्मेलन के दौरान पोस्टर प्रेजेंटेशन भी हुआ जिसमें छात्र् शोधार्थियों ने 250 पोस्टर प्रस्तुत किए। हर श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ पोस्टर को ‘‘बेस्ट पोस्टर पुरस्कार‘‘ प्रदान किया गया। इसी प्रकार सातों धाराओं में प्रस्तुत शोध पत्रें में से सात श्रेष्ठतम शोध पत्रें को भी पुरस्कृत किया गया।

समापन समारोह के दौरान अनेक प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभव बांटते हुए सम्मेलन की व्यवस्थाओं को सराहा और कहा कि यहां उन्हें बहुत कुछ सीखने का अवसर प्राप्त हुआ। सम्मेलन का समापन आयोजन सचिव डॉ. पल्लवी मेहता द्वारा आभार प्रदर्शन से हुआ।


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