उदयपुर। जैन मुनि सुरेश कुमार “हरनावां“ ने कहा कि भगवान महावीर के अहिसा, अनेकांत, अपरिग्रह सिद्धांत विश्व व्यापी समस्याओं का समाधान देते है।
वे विज्ञान समिति भवन में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा उदयपुर के तत्वावधान में आयोजित महावीर जयंती समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शादी-विवाह और आयोजनों में करोडों रूपये पानी की तरह बहा देने वाले जैन समाज को चाहिये कि महावीर के सिद्धांत को जन जन तक पहुंचाने के लिये साहित्य के प्रचार प्रसार की ओर अपनी शक्ति खर्च करें।
मुनि सम्बोध कुमार ने कहा कि महावीर जिसे हमारी आदतों, आदर्शो में होना चाहिये वो अभी तक तस्वीरों, आयोजनों, नारों में सिमटकर रह गये है। महावीर के चण्डकौशिक के डंसने पर भी सम्भाव प्रेरणा देता है कि अगर हम जैन है तो कइ बार अपनी आंख, कान और जुबान बंद रखने का आदर्श अपनाये। जिदगी उन्ही की है जिसे मौत के बाद भी याद किया जाये, महावीर का जीवन हमे अपना आइना दिखाता है।
मुनि प्रतीक कुमार ने कहा कि वर्तमान में वर्धमान की जरूरत है। दान में श्रेष्ठ दान अभय दान, स्तय सर्व व्रतों में सर्वश्रेष्ठ उसी प्रकार इस लोक में सर्वश्रेष्ठ भगवान महावीर। जिस महावीर ने अपरिग्रह का उपदेश दिया उसी महावीर को परिग्रह से मढा जा रहा है।
तेरापंथ महिला मंडल के श्रद्धा से नमन करें हम, समूह गान से शुरू हुए कार्यक्रम में तेरापंथ सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता, विज्ञान समिति अध्यक्ष डॉ. एल.एल धाकड, राजस्थान फारेस्ट डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारी एस.एन जैन, विज्ञान समिति संस्थापक के.एल कोठारी, अणुव्रत समिति अध्यक्ष गणेश डागलिया, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष लक्ष्मी कोठारी ने विचारों से भगवान महावीर के प्रति अपनी अब्यर्थना समर्पित की। मंच संचालन प्रकाश सुराणा ने किया।