महर्षि दाधीच सेवा संस्थान द्वारा आयोजित रामनवमी के पावन पर्व पर काशी बनारस के कलाकारों द्वारा महाकालेश्वर मंदिर उदयपुर में रामलीला महोत्सव का भव्य आयोजन का समापन बहुत ही धूमधाम से किया गया। नौवें दिन की रामलीला में कुंभकरण वध, मेघनाथ वध, रावण वध, माता सीता की अग्नि परीक्षा व भरत मिलाप हुआ। भगवान राम का राजतिलक काशी के कलाकारों द्वारा इतनी सुंदर प्रस्तुति रही कि दर्शकों का मन मुक्त हो गया। ऐसा आयोजन भारतवर्ष में निरंतर होता रहे। रामलीला आयोजक व महर्षि दाधीच सेवा संस्थान के राधेश्याम दाधीच ने बताया की रामलीला एक भारतीय संस्कृति है, मनोरंजन तो अपनी जगह पर है कहीं ना कहीं ऐसे आयोजनों से हमारी आने वाली पीढी में संस्कार स्थापित होते हैं। क्योंकि भारत भूमि संस्कारों की भूमि है। समय समय पर ऐसे आयोजनों से बच्चों में अच्छे संस्कार स्थापित होते हैं। उन्हें काशी से सभी कलाकारों की प्रशंसा करते हुए सजीव प्रस्तुति देने पर बधाई दी।
कार्यक्रम के संयोजक उमेश जी दाधीच बताया कि महाकाल के चरणों में रामलीला कराने का जो सौभाग्य मिलना अपने आप में एक अद्भुत है, क्योंकि रामनवमी के पावन पर्व पर शिव जी के अनन्य पुरी रामजी की लीला हो इससे ज्यादा खुशी की बात कुछ नहीं हो सकती