नई दिल्ली । वित्त मंत्रालय के तहत आने वाली खुफिया एजेंसी एफआईयू में इस समय कर्मचारियों की कमी महसूस हो रही है और आंतरिक दस्तावेजों के अनुसार पर्याप्त कर्मचारी न होने से कर चोरी, आतंकवादियों को धन के हस्तांतरण और मनी लांडिं्रग के खिलाफ कार्रवाई की व्यवस्थाओं की नियंतण्र समीक्षा में देश कमजोर स्थिति में दिख सकता है। वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) में विश्लेषकों और जांचकर्ताओं कमी एक दशक से है। एफआईयू राष्ट्रीय एजेंसी है जिसके पास मनी लांडिं्रग, आतंकवादी संगठनों को वित्त पोषण तथा देश में जाली नोट का पता लगाने जैसे गंभीर कर अपराधों से जुड़े आंकड़ों का संग्रह, विश्लेषण तथा संबंधित एजेंसियों तक उसे पहुंचाने की जिम्मेदारी है। एक आधिकारिक पत्र के अनुसार एफआईयू हर साल अनुबंधों पर कर्मचारियों की नियुक्ति कर कर्मचारियों की कमी की भरपाई कर रहा है।एफआईयू ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को सौंपी एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कर्मचारियों की कमी समेत गंभीर चुनौतियों के बावजूद संगठन के अधिकारी एवं कर्मचारी पूरे समर्पण के साथ काम कर रहे हैं।’