सत्य के लिये जान हथेली पर रखकर चलते थे आचार्य भिक्षु

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Published on : 15 Apr, 19 06:04

आचार्य भिक्षु का २६० वां अभिनिष्क्रमण दिवस मनाया

सत्य के लिये जान हथेली पर रखकर चलते थे आचार्य भिक्षु

उदयपुर । श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के बैनर तले तेरापंथ के आद्यप्रणेता आचार्य भिक्षु का २६० वां अभिनिष्क्रमण दिवस रविवार को प्रज्ञा विहार भुवाणा में आयोजित हुआ।

शासनश्री मुनि सुरेश कुमार हरनावां ने कहा कि आज के दिन तेरापंथ के अभ्युत्थान के आशियाने की नींव रखी गई थी। आचार्य भिक्षु ने सत्य के लिये अपने आराध्य से बगडी में अभिनिष्क्रमण कर रात श्मशान में प्रवास किया। उस एक रात में जेतसिंह जी की छतरी ने तेरापंथ को समय के कैनवास पर उकेर दिया। वहा से जोधपुर की हाट में तेरापंथ का नामकरण और केलवा में तेरापंथ की स्थापना हुई। सदियों में आचार्य भिक्षु जैसे सन्त इस धरती पर अवतार लेते है। संत भीखण आत्मार्थी थे। गुरु के श्राप को आशीर्वाद मानकर आगे बढते रहे और तेरापंथ विकास के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच गया। मुनि श्री हरनावां ने बगडी की छतरी का इतिहास पुरानो है गीत प्रस्तुत करते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु का नाम स्वयं में एक मंत्र है, जो लयलीन होकर स्मरण करता है उसके जीवन में रोज वारे न्यारे होते हैं ।

मुनि सम्बोध कुमार ने कहा कि घटनायें घट जाती है, रह जाती है उसके पीछे घटनाओं की परछाइयां, इस कायनात में कोई बडा आदमी पैदा नहीं होता। कृतत्व इंसान को महान बनाता है। आचार्य भिक्षु एक चमत्कारिक संत थे, उनकी जिंदगी का हर क्षण चमत्कारों से होकर गुजरता था। आचार्य भिक्षु जिद्दी नहीं थे, उन्होंने समय के बदलते पहलुओं को स्वीकार किया, यही वजह है कि तेरापंथ धर्मसंघ बुनियादी सिद्धांतों को सुरक्षित रखते हुए समय के साथ चलने की कुव्वत रखता है।

तेरापंथ महिला मंडल के समुह गान से शुरू हुए कार्यक्रम में तेरापंथ सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता, तेयुप अध्यक्ष विनोद चंडालिया, महिला मंडल उपाध्यक्ष सुमन डागलिया, टीपीएफ अध्यक्ष चन्द्रेश बापना, तेयुप कोषाध्यक्ष मनोज लोढा, संगायक पंकज भंडारी ने सुमधुर गीत व् विचारों के साथ आचार्य भिक्षु को भावांजलि अर्पित की। आभार तेयुप मंत्री पीयूष जारोली ने जताया। संचालन सभा उपाध्यक्ष कमल नाहटा ने किया।


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