महाराणा कुंभा संगीत समारोह सम्पन्न

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Published on : 01 Apr, 19 07:04

ओडिसी नृत्य में फुटवर्क एवं भंगिमाओं के प्रदर्षन ने सभी को झकझोरा

महाराणा कुंभा संगीत समारोह सम्पन्न

उदयपुर। महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर आयोजित किये जा रहे तीन दिवसीय ५७ वें अखिल भारतीय महाराणा कुम्भा संगीत समारोह के तीसरे एंव अंतिम दिन आज प्रथम चरण में कुम्भा रत्न अवार्ड-२०१८ से सम्मानित उदीयमान कलाकार अर्पिता भारद्वाज एवं उनका दल कत्थक नृत्य की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम की शुरूआत हुई।

इसके बाद गुडगांव की वनी माधव एण्ड पार्टी ने ओडिसी नृत्य की शुरूआत मंगलचरण में रावणकृत तांडव नृत्य से की। इसके बाद मुख्य कलाकार वनी माधव एवं अन्य कलाकारों ने स्थायी डांस की प्रस्तुति दी जिसमें उन्हने विभिन्न मंदिर की भंगिमाओं को ओडिसी नृत्य की परम्परागत नत्य शैली को डांस में निरूपित कर जब मंच पर प्रस्तुत किया तो सभी ने तालियों के साथ जोरदार अभिवादन किया।

वनी माधव एण्ड पाटी ने तीसरे नृत्य के रूप में कलावती पल्लवी की प्रस्तुति दी जो एक शुद्ध डांस है। यह नृत्य कलावती राग पर आधारित रहा। इसमें चेहरे के हाव-भाव,विभिन्न साजों एवं हाथ-पैर के साथ-साथ फुटवर्क व भंगिमाओं के मिश्रण ने ओडिसी नृत्य में जान डाल दी।  अपनी प्रस्तुति के अंतिम चरण में इन्होंने भजामी विध्ंवासिनी नृत्य की प्रस्तुति दी,जिसमें वनी माधव ने पार्वती के तीन रूपों लक्ष्मी,सरस्वती एंव काली के रूपों को प्रदर्शित किया तो दर्षक अचम्भित रह गये। इस नृत्य में पार्वती के उस रूप को भी दर्शाया कि जिसमें उन्होंने शुंभ-निशुंभ राक्षसों का वध एवं दुखी लोगों को कष्ट से मुक्ति का नृत्य के माध्यम से सुन्दर चित्रण किया।
वनी माधव के साथ सह कलाकारों के रूप में अंजली पोलाईर्ट,अहाना राय,आर्या राजेश्वरी भारद्वाज,श्रेया राय,अनन्या घोश ने अपनी भूमिका बेहतर रूप में निभायी। पखावज के रूप में प्रफुल्ल मंगराज,गायन के रूप में प्रशांत बेहतर, बांसुरी पर धीरज पाण्डे,सितार पर लावण्य लम्बाडे ने संगत की।

उसके पश्चात दिल्ली की कत्थकरत्न म.प्र. की सागर की पर्यटन ब्राण्ड अम्बेसडर शम्भुवी शुक्ला मिश्रा ने अपने समूह नृत्य की शुरूआत समुद्र मंथन गाथा एंव महादेव के विभिन्न स्वरूपों के भावपूर्ण नृत्य से की। इस सुन्दर संयोजन ने दर्शकों को एक घ्ंाटे तक बांधे रखा। डॉ. शाम्भवी अपनी प्रभापूर्ण शिव स्तुति के लिये जानी जाती है। शाम्भवी  के एकल नृत्य में थाट की विलुप्त होती बारीकियंा पुनः जीवन्त होती दिखी। इनके नृत्य में इत्मिनान एवं ठहराव के साथ नृत्योचित अनिवार्य स्फूर्ति एवं चपलता का अद्भुद मिश्रण रहा। इनके नृत्य में क्लिष्ट बदिशों को रसिक श्रोताओं ने भरपूर सराहा। संगीत संयोजन गजल गायक एंव संगीतकार ब्रजेन्द्र मिश्र द्वारा किया गया। तबले पर मोहित गंगानी,पखावज पर सलमान खान,गयान पर ब्रजेन्द्र मिश्र,पढन्त पर डॉ. कविता
शुक्ला,बांसुरी पर विनय प्रसन्ना,सितार पर लावण्या,संारगी पर ललित सिसोदिया ने संगत की। शाम्भवी शुक्ला के साथ सह कलाकरों के रूप में कंचन, ईप्सा,निकिता,एवं हरिन्द्रा ने राधा कृष्ण एवं पारम्परिक होली के नृत्य ने समां बांध कर सभी सभी दर्षकों को अंत तक बांधे रखा।

मुख्य अतिथि के रूप में एमएलएसयू के कुलपति जे.पी.सिंह,विशिष्ठ अतिथि के रूप में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक सुधाशुं सिंह,रामजी वार्श्णेय,राजमल मेहता मौजूद थे। प्रारम्भ में संस्था के मानद सचिव डॉ. यशन्त कोठारी ने संस्था की कार्यशैली एवं गतिविधियों की जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. प्रेम भण्डारी ने भी अपने विचार रखें। कार्यक्रम का संचालन डॉ.लोकेश जैन उर्वशी सिंघवी ने किया।


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