अजमेर के मेयर प्रकरण में अब हाईकोर्ट में 4 अप्रैल को सुनवाई।

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Published on : 01 Apr, 19 04:04

सरकार की कार्यवाही पर रोक नहीं।

अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को नोटिस देने के प्रकरण में अब हाईकोर्ट में चार अप्रैल को सुनवाई होगी। स्थानीय निकाय के निदेशक पवन अरोड़ा ने मेयर गहलोत को नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 में जो नोटिस दिया था, उसे गहलोत ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। 29 मार्च को न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की अदालत में सुनवाई हुई। गहलोत के वकील एसएस होरा का कहना रहा कि जिस जांच रिपोर्ट के आधार पर गहलोत को नोटिस दिया है, उस जांच में गहलोत को पक्ष रखने का अवसर नहीं दि या गया। सरकार ने यह जांच अजमेर के सिटी मजिस्ट्रेट अशोक नाथ योगी से करवाई, जबकि योगी गहलोत के प्रति व्यक्तिगत द्वेषता रखते हैं। गहलोत और योगी का पूर्व में भी विवाद हो चुका है। याचिका में योगी को भी पक्षकार बनाया गया है। एडवोकेट होरा ने न्यायालय से आग्रह किया कि सरकार धारा 39 के अंतर्गत जो कार्यवाही कर रही है उस पर रोक लगाई जाए। न्यायाधीश शर्मा ने जानना चाहा कि क्या कार्यवाही से पहले सरकार ने मेयर को कोई नोटिस दिया है। अदालत में बताया गया कि 13 व्यावसायिक भवनों के मानचित्रों के प्रकरण में मेयर और मानचित्र स्वीकृत करने वाले उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता आदि को नियमानुसार नोटिस दिया गया है। न्यायाधीश शर्मा ने सरकार की कार्यवाही पर रोक लगाने से इंकार कर दिया, लेकिन अतिरिक्त महाअधिवक्ता अनिल मेहता को बुलाकर याचिका की प्रति उपलब्ध करवा दी। अब आगामी 4 अप्रैल को सरकार की ओर से पक्ष रखा जाएगा। 
धारा 39 में निलंबन का प्रावधान भी:
नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 में निर्वाचित पार्षद के निलंबन का भी प्रावधान है। चूंकि सरकार की जांच रिपोर्ट में 13 व्यावसायिक भवनों के मानचित्रों की नियम विरुद्ध स्वीकृति में मेयर गहलोत को भी दोषी माना गया है, इसलिए गहलोत के विरुद्ध निलंबन की कार्यवाही हो सकती है। हालांकि राज्य सरकार निलंबन की कार्यवाही को लोकसभा चुनाव तक टाल रही थी, लेकिन मेयर गहलोत ने हाईकोर्ट जाने में जो जल्दबाजी दिखाई, उससे अब सरकार अपने निर्णय पर दोबारा से विचार कर रही है। हो सकता है कि 4 अप्रैल की सुनवाई से पहले निलंबन कर दिया जाए। वैसे हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन होने पर सरकार भी जल्दबाजी करने से बचती है।


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