‘दक्षिणी राजस्थान का पहला सफल टावी ऑपरेशन’

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Published on : 27 Mar, 19 11:03

गीतांजली हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने किया बिना ओपन हार्ट सर्जरी के वॉल्व प्रत्यारोपण

‘दक्षिणी राजस्थान का पहला सफल टावी ऑपरेशन’

 गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर की कार्डियक टीम ने 65 वर्षीय वृद्ध के अत्याधुनिक तकनीक TAVI (Transcatheter Aortic Valve Implantation) का उपयोग कर बिना ओपन हार्ट सर्जरी के वॉल्व प्रत्यारोपित कर दक्षिणी राजस्थान के चिकित्सा क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया। इस सफल इलाज करने वाली टीम में इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट की टीम डॉ कपिल भार्गव, डॉ रमेश पटेल, डॉ डैनी कुमार, डॉ शलभ अग्रवाल एवं डॉ अनमोल, कार्डियक थोरेसिक वेसक्यूलर सर्जन डॉ संजय गांधी व डॉ अजय वर्मा, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ अंकुर गांधी, सीसीयू इंचार्ज डॉ निखिल सिंघवी, कैथ लेब टेक्नीशियन लोकेश कुमार एवं नर्सिंग स्टाफ इमरान खान तथा न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट डॉ सीताराम बारठ का बखूबी योगदान रहा जिससे यह ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।

 

क्या था मामला?

डॉ रमेश पटेल ने बताया कि कपासन निवासी लहरु लाल जाट (65 वर्ष) तेज़ सांस चलना, बहुत ज्यादा पसीना होना एवं लेट न पाने जैसी शिकायतों एवं हार्ट फेलियर के साथ गीतांजली हॉस्पिटल आया था। ईकोकार्डियोग्राफी की जांच में हृदय का वॉल्व (एओर्टिक वॉल्व) खराब पाया गया। हृदय भी केवल 20 से 25 प्रतिशत (ईएफ) तक ही काम कर रहा था एवं किडनियां भी कमजोर थी। इन परेशानियों के चलते रोगी की ओपन हार्ट सर्जरी अत्यंत जटिल थी। इसलिए कार्डियक टीम द्वारा कम जटिल एवं बिना ओपन हार्ट सर्जरी वॉल्व रिपलेसमेंट करने का निर्णय लिया गया।

 

क्या होता है TAVI ?

डॉ पटेल ने बताया कि ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व इम्प्लाटेंशन (Transcatheter Aortic Valve Implantation) एक प्रकार की गैर शल्य प्रक्रिया है जिसमें बिना बेहोश किए, बिना किसी रक्तस्त्राव एवं बिना चीरा लगाए रोगी की पैर की नस (Femoral artery) से हृदय तक पहुंच कर सिकुड़े हुए वॉल्व को बैलून से फूलाकर नया वॉल्व प्रत्यारोपित किया जाता है। इस ऑपरेशन में टिशु वॉल्व लगाया जाता है। यह एक तरह से एंजियोप्लास्टि की तरह ही होता है।

 

किन रोगी के लिए लाभदायक ?

डॉ. कपिल भार्गव ने बताया कि जो रोगी ज्यादा उम्र एवं ओपन हार्ट सर्जरी के लिए (किडनी सम्बंधित बीमारी, मधुमेह, फेंफड़ों में खराबी इत्यादि से पीड़ित) उपयुक्त नहीं होते और जिन रोगियों में एओर्ेटिक वॉल्व की खराबी हो उनमें यह अत्यंत कारगर होता है, इसलिए ऐसे रोगियों के लिए यह प्रक्रिया लाभप्रद होती है। क्योंकि यह ऑपरेशन रोगी को पूर्णतः होश में रख कर किया जाता है। इसके अतिरिक्त रोगी को दूसरे दिन ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। इसके साथ ही, इस ऑपरेशन में कम जोखिम एवं जटिलताएं होती हैं, जिसके कारण रोगी जल्द स्वस्थ हो जाता है।

डॉ. भार्गव ने बताया कि यह सुविधा अब तक केवल मेट्रो शहरों में ही उपलब्ध थी, किन्तु राजस्थान में जयपुर के बाद अब उदयपुर में भी यह सुविधा उपलब्ध होगी।

गीतांजली के सीईओ श्री प्रतीम तम्बोली ने बताया कि, ‘‘गीतांजली हॉस्पिटल विश्व स्तरीय नवीकरण का नेतृत्व करने के लिए हमेशा से तत्पर है। उत्तर भारत में भी चुनिंदा सेंटर पर ही इस प्रक्रिया द्वारा इलाज संभव हो पा रहा है, गीतांजली हॉस्पिटल का भी नाम इसमें शामिल होना गीतांजली के साथ-साथ पूरे उदयपुर शहर के लिए बहुत गर्व की बात है। इस प्रक्रिया हेतु इलाज से रोगी जल्दी स्वस्थ हो जाता है तथा जल्दी सामान्य जीवन में लौट आता है एवं पोस्ट सर्जरी में होने वाली जटिलताएं (यदि कोई) से निजात पाता है। इस तरह के रोगियों में इस प्रक्रिया के अतिरिक्त हृदय रोग शल्य चिकित्सा के तहत जोखिम की संभावना अपेक्षाकृत अधिक होती है।’’


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