“दिव्य शिक्षा पद्धति एवं उसका संवाहक आर्य कन्या गुरुकुल, शिवगंज (राजस्थान)”

( 15435 बार पढ़ी गयी)
Published on : 27 Mar, 19 05:03

मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।

“दिव्य शिक्षा पद्धति एवं उसका संवाहक  आर्य कन्या गुरुकुल, शिवगंज (राजस्थान)”

संसार में ऐसी कोई शिक्षा पद्धति नहीं है जहां कन्या वा बालकों को सच्चा आस्तिक बनाने के साथ ईश्वर के प्रति मनुष्यों के प्रमुख कर्तव्य उपासना एवं अग्निहोत्र का अनुष्ठान प्रतिदिन प्रातः व सायं कराया जाता है। यह दिव्य एवं आवश्यक कार्य केवल वेद प्रणीत आर्यसमाज की विचारधारा से संचालित गुरुकुलों में ही होता है। हम समझते हैं कि जो लोग गुरुकुलों को खोलते हैं, जो आचार्यगण इनका संचालन करते हैं और जो माता-पिता और बालक-बालिकाओं इन गुरुकुलों में पढ़ते हैं तथा जो गुरुकुलों को दान देकर इनका पोषण करते हैं, वह सभी भाग्यशाली हैं। उनके इस जीवन और परजन्म का सुधार होना निश्चित है। हमने पूर्व पंक्तियों में जो बातें कहीं हैं उन सबके तर्क हमारे पास विद्यमान हैं। हमारा सौभाग्य है कि हम वैदिक धर्मी हैं और आर्यसमाज से जुड़े हुए हैं। हमने सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, संस्कारविधि, आर्याभिविनय, वेद, दर्शन, उपनिषद, मनुस्मृति, रामायण, महाभारत आदि ग्रन्थ व टीकाओं को पढ़ा है और हम ईश्वर, जीव व प्रकृति के सत्यस्वरूप व गुण-कर्म-स्वभावों से परिचित हैं। मनुष्य का आत्मा चेतन तत्व है जो सुख व दुःख की अनुभूमि करने के साथ जन्म-मरण धर्मा भी है। पूर्वजन्मों के कर्मों के आधार पर परमात्मा से जीवात्माओं को मनुष्य आदि अनेक योनियों में जन्म मिलता है। इसी प्रयोजन के लिये ईश्वर ने इस विशाल ब्रह्माण्ड को अपनी अपार व अनन्त शक्तियों से बनाया है व वही इसका पालन कर रहा है। मनुष्य जीवन में जीवात्मा का कार्य पूर्वजन्मों के कर्मों को भोगना और नये कर्म करना है। इसके साथ ईश्वर, जीव व प्रकृति को तत्वतः जानकर ईश्वर की उपासना व अग्निहोत्र सहित पंचमहायज्ञों करना भी मनुष्य का धर्म व कर्तव्य है। इसे करने से ही दुःख एवं जन्म-मरण से अवकाश व मुक्ति मिलती है और मनुष्यों समस्त दुःखों से 31 नील वर्षों से भी अधिक अवधि के लिये बचा रहता है और आनन्द का भोग करता है। धर्म और ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन कराना ही हमारे गुरुकुलों का उद्देश्य है। हम समझते हैं कि सभी गुरुकुल इस उद्देश्य को पूरा कर रहे हैं। इसके साथ ही इस विषय में बड़ी आयु के लोग सत्यार्थप्रकाश तथा कुछ अन्य ग्रन्थों को पढ़कर मनुष्य जीवन के उद्देश्य एवं उसके कर्तव्यों को जान सकते हैं।

 

                आगामी पंक्तियों में हम ‘‘आर्य कन्या गुरुकुल शिवगंज, सिरोही-307027 (राजस्थान)’’ का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं। गुरुकुल से दूरभाष संख्या 02976-270629 एवं मोबाइल नम्बर 09680674789 पर सम्पर्क किया जा सकता है। गुरुकुल को हनतनानसेमवहंदर/हउंपसण्बवउ पर ईमेल भी की जा सकती है। इस गुरुकुल की स्थापना सन् 1988 (विक्रमी संवत् 2044) में स्वामी सुकर्मानन्द सरस्वती जी ने की थी। गुरुकुल की प्रथम व आद्य आचार्या डॉ0 धारणा याज्ञिकी जी थीं। गुरुकुल का संचालन गुरुकुल की एक समिति द्वारा किया जाता है। गुरुकुल क्रियाशील है। गुरुकुल में आर्ष शिक्षा पद्धति सहित राजकीय संस्कृत बोर्ड एवं विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम के अनुसार अध्ययन कराया जाता है। गुरुकुल किसी शैक्षिक संस्था से सम्बद्ध नहीं है। गुरुकुल को किसी सरकारी संस्था द्वारा मान्यता व अध्यापिकाओं के वेतन आदि भी प्राप्त नहीं हैं। वर्तमान समय में गुरुकुल में कुल 75 छात्रायें अध्ययन कर रही हैं। कन्याओं का यह गुरुकुल 28 बीघा भूमि में विस्तृत है और यह अचल सम्पत्ति भूमि व भवन आदि गुरुकुल के नाम पर पंजीकृत है। गुरुकुल के संचालन के लिए विस्तृत भूमि सहित छात्रों के लिये अध्ययन कक्ष, शयन कक्ष, यज्ञशाला, गोशाला, शौचालय, सभागार आदि की आवश्यकता होती है। हमारे इस गुरुकुल में यह सब सुविधायें हैं और यहां भवनों की संख्या 34 है। गुरुकुल द्वारा त्रिवेणी पत्रिका का संचालन किया जाता है। गुरुकुल में एक पुस्तकालय एवं गोशाला भी है। गुरुकुल के द्वारा संस्कृत के शिविर लगाये जाते हैं। गुरुकुल में छात्राओं को गायन एवं वादन सहित शस्त्र संचालन की शिक्षा भी दी जाती है। सभी छात्रायें प्रतिदिन यज्ञ करती हैं। आर्यसमाज की मान्यताओं एवं विचारधारा का प्रचार व प्रसार भी गुरुकुल के द्वारा किया जाता है।

 

                शिक्षणेतर गतिविधियों में निम्न कार्य सम्पादित किये जाते हैं:

 

1-  राष्ट्र की उन्नति के हित में जन जागृति।

2-  कुरीति निवारण आन्दोलन का संचालन।

3-  आपद्ग्रस्त लोगों को सहयोग।

4-  वेदपाठ प्रशिक्षण।

5-  वेद पारायण यज्ञों का अनुष्ठान एवं प्रचार।

6-  सन्ध्या, यज्ञ, उपदेश, भजन सहित लेखन व मंगलाचरण आदि का प्रचार व प्रशिक्षण।

 

                गुरुकुल की उपलब्धियां अनेक हैं। यह गुरुकुल विगत बीस वर्षों से आर्ष पाठ विधि से आर्ष ग्रन्थों के पठन-पाठन में संलग्न है। अब तक गुरुकुल में तीन दीक्षान्त समारोह हो चुके हैं। गुरुकुल में अध्ययन पूरा कर 20 विदुषियां तैयार हुई हैं। यह विदुषियां विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहीं हैं। गुरुकुल की तीन स्नातिकाओं ने सुदूर दक्षिण के कांचीपुरम् विश्वविद्यालय, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय अजमेर तथा जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में शीर्ष स्थान प्राप्त किये हैं।

 

                गुरुकुल की अनेक स्नातिकायें आर्यसमाज की विचारधारा के प्रचार में लगी हुईं हैं। इस कार्य में गुरुकुल की स्नातिकाओं सुनीता, हेमलता तथा रामकुमारी के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। गुरुकुल की अनेक स्नातक छात्रायें विभिन्न आर्यसमाजों में यज्ञ एवं प्रवचन आदि के माध्यम से प्रचार का कार्य करती हैं। गुरुकुल का संचालन व प्रबन्धन दान से प्राप्त धनराशि से किया जाता है। केन्द्र एवं राज्य सरकारों से गुरुकुल को किसी प्रकार की आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं है।

 

                गुरुकुल को अपने कार्यों को सुगमता से चलाने व उसे प्रभावी रूप देने के लिये निम्न साधनों की आवश्यकता है जिसके लिये दानी महानुभावों से आशा की जाती है कि वह सहयोग करेंगेः

 

1-  सभागार का निर्माण।

2-  एक वाहन।

3-  क्रीड़ा के साधन व सामग्री आदि।

4-  प्राकृतिक चिकित्सा भवन के निर्माण के लिये सहायता।

 

                गुरुकुल की यह भी अपेक्षा है कि केन्द्र व राज्य सरकारें महर्षि दयानन्द प्रणीत आर्ष शिक्षा प्रणाली को मान्यता प्रदान करें एवं गुरुकुलों का आर्थिक पोषण करे। यह भी अपेक्षा की जाती है कि सरकार का कोई मानक आर्ष शिक्षा प्रणाली के अध्ययन-अध्यापन में बाधक न बनें।

 

                गुरुकुल के प्रमुख अधिकारी निम्न हैं:

 

1-  प्राचार्या डॉ0 सूर्यादेवी चतुर्वेदा - चलभाषः 09680674789

2-  प्रधान  श्रीमती ज्योत्सना धर्मवीर।

3-  मंत्री श्रीमती अरुणा नागर - चलभाषः 8949760139

4-  कोषाध्यक्ष श्री दिनेश अग्रवाल।  

 

                आर्य बन्धुओं को हम यह भी अवगत करा दें कि गुरुकुल की प्राचार्या डॉ0 सूर्यादेवी चतुर्वेदा जी देश एवं विश्व की शीर्ष वेद विदुषी आचार्या व महिला हैं। आपने अनेक ग्रन्थों की रचना एवं सम्पादन किया है। वर्षों पूर्व एक बार आपने शंकराचार्य जी को उनकी वेद विरोधी मान्यता के लिये शास्त्रार्थ की चुनौती दी थी और कहा था कि वह संस्कृत भाषा में शास्त्रार्थ करेंगी। डॉ0 सूर्या जी लम्बे समय से आर्यसमाज व इसकी संस्थाओं में एक विदुषी देवी के रूप में व्याख्यानों के लिये आमंत्रित की जाती हैं। हमने अनेक अवसरों पर आपके ज्ञानवर्धक व्याख्यानों को सुना है। शिवगंज गुरुकुल से पूर्व आप पाणिनी कन्या गुरुकुल, वाराणसी में भी आचार्या रही हैं। आप वेदविदुषी डॉ0 आचार्या प्रज्ञा देवी जी की शिष्या हैं। आर्यसमाज को अपनी इस वेदविदुषी देवी पर गर्व है। हम आर्य कन्या गुरुकुल, शिवगंज की उन्नति एवं सफलता की कामना करते हैं।

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001

फोनः09412985121


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.