परिवार भी एक मंदिर

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Published on : 27 Mar, 19 04:03

परिवार भी एक मंदिर

उदयपुर । ज्ञान से धर्म का बोध होता है। ज्ञान प्राप्त करने के लिए सत्संग आवश्यक है। सत्संग में एकाग्रता से जो बातें विद्वानों द्वारा कही जाती हैं उनका अनुसरण करना चाहिए। ज्ञान का बोध होने पर व्यक्ति अज्ञानता रूपी अंधकार से बच जाता है और उसका जीवन प्रकाशवान हो जाता है। ये विचार नारायण सेवा संस्थान द्वारा बालोदा बाजार (छ.ग) में दिव्यांगों की सहायतार्थ सप्तदिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में सोमवार को कथा वाचिका जया किशोरी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा जिस परिवार में प्रेम स्नेह, अपनत्व, सकारात्मक सोच है वहीं परमात्मा प्रकट होते हैं। प्रेम परिवार की नींव है, और जिस परिवार में स्नेह प्रेम शांति व सुख होता है वह परिवार मंदिर के समान है और जहां मंदिर है, परमात्मा वहां स्वयं आ जाते है। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल पर किया गया। संचालन कुंज बिहारी मिश्रा ने किया।


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