उदयपुर। वर्ष के ३६५ दिन में करीब एक हजार से अधिक त्योहार आते हैं। हर पर्व के साथ कोई न कोई धारणा जुडी रहती है। होली हमें अपने अंदर के अवगुणों को जलाने का संदेश देती है। इस दिन बहुरूपिये स्वांग रचते हैं लेकिन अपने बनाये रूप को सम्पूर्ण रूप से जीते हैं।
ये विचार तेरापंथ धर्मसंघ की साध्वी ज्योत्सना कुमारी ने शासन श्री साध्वी ज्ञानवती के सन्निध्य में होली पर महाप्रज्ञ विहार में होली चातुर्मास पर व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि श्रावक भी अपने श्रावकत्व को जीयें। आध्यात्मिक होली मनाएं। साध्वी श्री अनेकांतप्रभा ने विभिन्न धर्मग्रंथों में होली संबंधी प्रचलित अवधारणाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि बाहर के रंगों से अच्छा भीतर के रंगों को जगाना चाहिए।
सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने कहा कि आज सहज रूप से साध्वीवृन्दों के सान्निध्य में होली चातुर्मास मनाने का अवसर मिल गया।
आरम्भ में महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत की। संचालन मंत्री प्रकाश सुराणा ने किया। कार्यक्रम में सभा के मुख्य सरंक्षक शांतिलाल सिंघवी, महिला मंडल अध्यक्ष लक्ष्मी कोठारी, अणुव्रत समिति अध्यक्ष गणेश डागलिया सहित कई श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।