झील पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य के लिए जहरीला है यह कचरा

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Published on : 18 Mar, 19 05:03

दो से तीन फीट तक दबा है प्लाटिक पॉलीथिन

झील पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य के लिए जहरीला है यह कचरा

उदयपुर|  झीलों में जमा मलबे में कंही कंही  दो से तीन फीट गहराई तक प्लाटिक पॉलीथिन दबा   है। रविवार को तीन घंटे चले   वृहत ( मेगा) झील सफाई अभियान में फतेहसागर किनारे के एक हिस्से में भारी मात्रा में जमा पॉलीथिन व प्लास्टिक को हटाया गया।

 कार्यक्रम का आयोजन नगर निगम, स्मार्ट सिटी योजना, एल एन्ड टी कंपनी द्वारा झील संरक्षण समिति , झील मित्र संस्थान व गांधी मानव कल्याण समिति के तत्वावधान में किया गया। 

एल एंड टी ने अपने राष्ट्र स्तरीय झील व जल स्त्रोत सुधार  अभियान के तहत इस कार्यक्रम में सहभागिता की।

इस अवसर पर आयोजित संवाद में झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि झीलों में  पॉलीथिन प्लाटिक से  हमारे समक्ष  कैंसर से लेकर नपुसंकता, बांझपन व हार्मोनल असंतुलन जैसी कई  बीमारियों का गंभीर खतरा पैदा हो गया  है। 

झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पेयजल के स्त्रोत में भारी मात्रा में जमा पॉलीथिन प्लास्टिक को हटाने के लिए किनारों पर जमा  मलबे को निकालना जरूरी है । 

गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि इस पॉलीथिन प्लास्टिक कचरे को पूरी तरह हटाने के लिए नागरिक सहभागिता पूर्ण एक बड़े अभियान की जरूरत है।

पूर्व मत्यस्की निदेशक इस्माइल अली दुर्गा व अफप्रो के पूर्व अधिकारी पल्लब दत्ता ने कहा कि  पॉलीथिन प्लास्टिक मछलियों व सम्पूर्ण झील पर्यावरण के लिए खतरनाक   है।

 दिगम्बर सिंह व कुशल रावल ने कहा कि पॉलीथिन प्लास्टिक से प्रभावित मछलियों को खाने से यह जहरीला प्लास्टिक  इंसानो के पेट मे पहुंच रहा है। 

रमेश राजपूत  ,रामलाल गहलोत व कृष्णा कोष्ठी ने कहा कि झीलों के किनारे जालियां लगानी होगी ताकि लोग प्लास्टिक पॉलीथिन झील में नही फेक सके।


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