कोलकाता। सिंगूर और नंदीग्राम में करीब 10 साल पहले सत्तारूढ़ वामपंथी सरकार के खिलाफ परेशान, भूखे और गुस्से से भरे हजारों लोगों का नेतृत्व करने वाली ममता बनर्जी को शायद ही उस समय यह पता रहा हो कि वह इतिहास की एक नई पटकथा लिखने की दहलीज पर हैं। यह तो 10 साल पहले की बात हो गई। ममता बनर्जी एक बार फिर देश की राजनीति के केंद्र में आ खड़ी हुई प्रतीत होती हैं। अगर भाजपा नीत राजग सरकार 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत लाने में विफल होती है तो बनर्जी भले खुद शीर्ष पद पर काबिज न हो पाएं लेकिन सत्ता की चाभी यानी किंगमेकर की भूमिका वह निभा सकती हैं।