उदयपुर / सुखाडिया विश्वविद्यालय के गोल्डन जुबली सभागार में साइंस मीडिया रिसचर्रू साइंस क्रिएटिव्स एंड मीडिया स्कूल फॉर साइंटिस्ट्स एंड मीडिया, नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन, डीएसटी,भारत सरकार, वनस्पति विज्ञान विभाग, एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण सोसाइटी, जयपुर ओर से आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन ‘विज्ञान पत्रकारिता: लेखन संभावना और चुनौतियां’विषय चर्चा हुई। राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के जनसंचार विभाग के डॉ. मनोज लोढा ने कहा कि दरअसल वैज्ञानिक, पत्रकार और पाठकों के बीच घटते संवाद और पेशवर बंधन के कारण विज्ञान का अपेक्षित प्रसार नहीं हो पा रहा है। विज्ञान की विविध शाखाओं के कारण पत्रकार अपने समय के बंधन के कारण गहन अध्ययन नहीं कर पाता और समाचार अथवा आलेख उस ढंग से प्रस्तुत नहीं कर पाता जिस रूप में वैज्ञानिक चाहता है। डॉ. लोढा ने विज्ञान पत्रकारिता में प्रशिक्षण एवं गहन अध्ययन की आवश्यकता और उनकी संभावनाओं को बताया और कहा कि पत्रकार को विज्ञान संबंधी लेखन को प्रकाशन से पूर्व संबंधित वैज्ञानिक को अवश्य ही पुष्ट कर लेना चाहिए ताकि कहीं कोई त्रुटि न रह जाए।
एक अन्य सत्र में डॉक्टर सतीश शर्मा ने फारेस्ट -वाइल्ड लाइफ के कई पहलुओ से अगवत कराया और अरावली हिल्स की मुख्य समस्याओ की जानकारी दी। तृतीय सत्र में डॉ. रवि शर्मा ने पत्रकारिता की एथिक्स की बारे में जानकारी दी। बॉटनी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो कनिका शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को निस्केयर के वैज्ञानिक डॉ जी महेश स्कॉलरली जरनल्स एंड साइंस कम्युनिकेशन पर अपना व्यख्यान देंगे।
कार्यशाला के संयोजक तरुण कुमार जैन ने बताया कि शुक्रवार दोपहर बाद कार्यशाला का समापन समारोह आयोजित किया जायेगा, सफल प्रतिभागियों को भारत सरकार की ओर से प्रमाणपत्र प्रदान किये जायेंगे।