“आर्यसमाज की वैदिक विचारधारा से अनुप्राणित है कान्हा आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय, रुईखैरी, नागपुर”

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Published on : 13 Mar, 19 04:03

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।

“आर्यसमाज की वैदिक विचारधारा से अनुप्राणित है  कान्हा आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय, रुईखैरी, नागपुर”

महर्षि दयानन्द ने वैदिक शिक्षा पद्धति का प्राचीन जाज्वल्यमान स्वरूप अपने क्रान्तिकारी ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के तीसरे सम्मुल्लास में प्रस्तुत किया था। इस पद्धति पर देश के अनेक भागों में बड़ी संख्या में गुरुकुल संचालित किये जा रहे हैं। ऐसा ही एक गुरुकुल है ‘‘कान्हा आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय रुईखैरी, नागपुर”। गुरुकुल का विस्तृत पता है निकट बुट्टीबोरी, ग्राम रुईखैरी, पत्रालय बुट्टीबोरी, तहसील नागपुर, जिला नागपुर, राज्य महाराष्ट्र एवं पिनकोड 441108। गुरुकुल से मोबाइल नं0 08698887969 पर सम्पर्क कर सकते हैं। इस गुरुकुल की स्थापना श्रीमती लक्ष्मीबाई कान्हूजी तास्के (आर्या) जी ने दिनांक 17 नवम्बर सन् 2013 को की थी। गुरुकुल के संस्थापक आचार्य श्री धमवीर जी हैं। गुरुकुल का संचालन ‘‘महर्षि दयानन्द सरस्वती वैदिक न्यास” द्वारा किया जाता है। यहां आर्ष पाठ विधि से ब्रह्मचारियों को अध्ययन कराया जाता है। छात्र महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक की परीक्षायें देते हैं। यह परीक्षायें मध्यमा से आचार्य कक्षा पर्यन्त की होती हैं। इस समय गुरुकुल में 14 ब्रह्मचारी अध्ययन कर रहे हैं। गुरुकुल की भूमि गुरुकुल के नाम पर पंजीकृत है। गुरुकुल की 15 हजार वर्ग फीट भूमि नागपुर में है तथा 10 एकड़ भूमि ऊमरखेड़ में है।

 

                गुरुकुल की अचल सम्पत्ति में निम्न भवन आदि सम्मिलित हैं:

 

1-  एक विद्यालय भवन,

2-  एक यज्ञशाला,

3-  एक छात्रावास भवन,

4-  एक पाकशाला,

5-  एक गोशाला एवं

4-  एक कार्यालय।

 

                गुरुकुल के छात्र प्रतिदिन प्रातः ब्रह्ममुहुर्त में  निद्रा त्याग करते हैं। प्रातःकाल के पाठ करने वाले ईश्वर प्रार्थना के मन्त्रों का पाठ करते हैं। शौच आदि से निवृत होकर सन्ध्या, यज्ञ, ध्यान एवं व्यायाम आदि करते हैं। गुरुकुल के तीन ब्रह्मचारी 4 जनवरी, 2015 को संस्कृत भारती, बंगलौर की दशमी अखिल भारतीय शलाका परीक्षा में सम्मिलित हुए थे। यह तीनों ब्रह्मचारी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। गुरुकुल के ब्रह्मचारी अपना समय अध्ययन व अध्यापन में लगाते हैं। गुरुकुल की आय का कोई स्थाई व नियमित स्रोत नहीं है। कृषि एवं दान आदि से जो प्राप्त होता है उसी धन व पदार्थों से गुरुकुल अपना निर्वाह करता है। गुरुकुल की गौशाला में 3 गायें एवं 2 बछड़े हैं। गुरुकुल को राज्य व केन्द्र की ओर से किसी प्रकार की सहायता व मानदेय आदि उपलब्ध नहीं हैं।

 

                गुरुकुल के प्राचार्य आचार्य धर्मवीर जी हैं जो कोषाध्यक्ष का भी काम देखते हैं। गुरुकुल की प्रबन्ध समिति वा न्यास के प्रधान श्री शुचिव्रत का0 तास्के हैं तथा मन्त्री श्री का0बा0 पेंधे हैं।

 

                यह भी बता दें कि आचार्य धर्मवीर जी का वय 50 वर्ष है। आपने होशंगाबाद (मध्य प्रदेश), खानपुर (हरयाणा) (यह वही गुरुकुल है जहां स्वामी रामदेव जी, पतंजलि योगपीठ पढ़े हैं।), बहालगढ़ (हरयाणा), गौतमनगर, दिल्ली, गंझावली (हरयाणा), हिंगोली (महाराष्ट्र) आदि स्थानों के गुरुकुलों में अध्ययन किया है। आपका जन्म स्थान मध्यप्रदेश राज्य का बैतुल नगर है और इसका बैतुल बाजार स्थान आपका जन्म स्थान है।

 

                हमने गुरुकुल की संस्थापिका जी के विषय में भी जानकारी प्राप्त की है। श्रीमती लक्ष्मीबाई कान्हूजी तास्के जी के पति का नाम कानूजी तेरवाजी तास्के है। पतिदेव हैदराबाद से सम्बन्ध रखते थे। इनके पिता भी हैदराबाद में आर्यसमाज की गतिविधियों में संलग्न रहे और हैदराबाद के सन् 1939 के हैदराबाद आर्य सत्याग्रह में उन्होंने भाग लिया था। आप हैदराबाद सत्याग्रह के स्वतन्त्रता सेनानी रहे हैं। आपके चार पुत्र हैं। आपने अपने पुत्रों को भी आर्यसमाज के गुरुकुलों में पढ़़ाया है। नागपुर में आपके परिवार के तीन स्कूल चल रहे हैं। आर्यसमाज के प्रति अपनी निष्ठा के कारण ही आपने गुरुकुल स्थापित किया है और एक न्यास बनाकर इसका संचालन कर रहे हैं।

 

                इस प्रकार संघर्ष एवं अभावों से गुजरते हुए यह गुरुकुल व इसके आचार्य वैदिक धर्म एवं संस्कृति की रक्षा एवं उसके प्रचार व प्रसार के कार्य में अपनी आहुति दे रहे हैं। हम इस गुरुकुल के सफल एवं सुखद भविष्य की कामना करते हैं। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001

फोनः09412985121

 

 

 

 


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