“गुरुकुल वेद योग महाविद्यालय, केहलारी जिला खण्डवा-म0प्र0”

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Published on : 11 Mar, 19 07:03

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।

“गुरुकुल वेद योग महाविद्यालय, केहलारी जिला खण्डवा-म0प्र0”

देश भर में आर्यसमाज के लगभग शताधिक गुरुकुलों में एक नाम ‘‘वेद योग महाविद्यालय गुरुकुल, केहलारी” का भी है।  यह गुरुकुल मध्य प्रदेश के खण्डवा जिले में हैं। गुरुकुल मध्यप्रदेश के खण्डवा जिले के केहलारी ग्राम में है जहां कि जनसंख्या लगभग 2000 है और यह स्थान आर्थिक दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है। यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है.  धर्मांतरण करने वाली ताकते यहाँ सक्रिय हैं।  गुरुकुल से मोबाइल न0 09403036456 एवं व्हटशप न0 08484965066 पर सम्पर्क किया जा सकता है। गुरुकुल से इमेल पर सम्पर्क करने के इमेल आईडी vedyoggurukul@gmail.com है। गुरुकुल की अपनी वेबसाइट www.vedyoggurukul.in हैं। इस गुरुकुल की स्थापना 12 वर्ष पूर्व सन् 2006 में आचार्य सर्वेश शास्त्री जी ने की है। आचार्य सर्वेश जी आचार्य विद्यादेव जी के शिष्य हैं। आचार्य विद्यादेव जी कई वर्षों तक ऋषि जन्म भूमि, टंकारा में संचालित गुरुकुल के आचार्य रहे हैं। वर्तमान में यह ऋषि दयानन्द की उत्तराधिकारिणी सभा परोपकारिणी सभा में संचालित गुरुकुल के आचार्य हैं। हमने आचार्य जी को आर्यसमाज धामावाला देहरादून सहित आर्ष गुरुकुल पौंधा तथा वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में भी सुना है। तपोवन आश्रम, देहरादून में आप वेद पारायण यज्ञ के ब्रह्मा भी रहे हैं। टंकारा में भी आपके प्रवचनों के श्रवण का हमें अवसर मिला है। आचार्य सर्वेश जी आचार्य विद्यादेव जी से टंकारा के गुरुकुल में पढ़े हैं। आपने सिद्धान्ताचार्य की उपाधि प्राप्त की है। आपकी धर्मपत्नी महाराष्ट्र की निवासी हैं। इन्होंने एम.ए. बी-एड. किया हुआ है परन्तु पति को गुरुकुल संचालन में सहयोग करने के लिये सरकारी नौकरी का लोभ वा मोह त्याग कर पति के साथ मिलकर गुरुकुल संचालन में सहयोग कर रही हैं। आपकी दो पुत्रियां हैं। गुरुकुल के छात्र महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक की परीक्षायें देते हैं। गुरुकुल में वर्तमान में लगभग 50 ब्रह्मचारी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह गुरुकुल आचार्य जी ने दो एकड़ भूमि क्रय करके स्थापित किया है। गुरुकुल में ब्रह्मचारियों के छात्रावास है जिसमें 15 कमरे हैं। अतिथिशाला है तथा दो और कमरे और बन रहे हैं। गुरुकुल की यज्ञशाला निर्माणाधीन है। यज्ञशाला के कार्य को पूर्ण करने के लिये आर्यसमाज के दानी महानुभाव आचार्य सर्वेश जी से सम्पर्क कर अपने सात्विक धन की आहुति भिजवा सकते हैं। गुरुकुल में भोजनशाला भी है। गुरुकुल का अपना एक पुस्तकालय भी है। नवम्बर महीने में गुरुकुल में वार्षिकोत्सव आयोजित किया जाता है। पिछला तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव 10 से 12 नवम्बर, 2018 को हुआ है जिसमें विद्वान वक्ता हिमाचल प्रदेश से स्वामी वेद प्रकाशानन्द सरस्वती जी पधारे थे। भजनोपदेशक हिमाचल प्रदेश से श्री प्रताप सिंह आर्य एवं श्री काशीराम जी अनल, मध्य प्रदेश थे। गुरुकुल की गोशाला में 3 गायें हैं। गुरुकुल की भूमि में अमरुद, पपीता एवं हरी तरकारियां आदि उत्पन्न की जाती हैं। गुरुकुल के बच्चे सन्ध्या, अग्निहोत्र यज्ञ, आसन, प्राणायाम एवं व्यायाम आदि नियमित रूप से करते हैं। सभी बालक सत्यार्थप्रकाश का भी नियमित रूप से पाठ करते हैं। योग शिविरिों का आयोजन भी गुरुकुल में होता है। बच्चों को लाठी चलाना भी सिखाया जाता है।

 

                गुरुकुल का एक पूर्व छात्र जेएनयू में कार्यरत है। इसने कई शोध पत्र लिखे हैं। हमें गुरुकुल से सक्रियता से जुड़े श्री सन्तोष आर्य, जालना (महाराष्ट्र) ने बताया है कि कुछ समय पूर्व इसने 12 देशों की यात्रा की है। यह आर्यसमाज का प्रचारक भी है। गुरुकुल का समस्त व्यय भार दान पर निर्भर है। गुरुकुल को किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिलती। गुरुकुल का बैंक खाता सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया में है। खाता संख्या 3094649908 है तथा आईएफएससी कोड CBIN0280761 है। बैंक खाता वेद योग महाविद्यालय के नाम पर है। दानी बन्धुओं से अपेक्षा है कि वह समय समय पर गुरुकुल की गतिविधियों की जानकारी लेते रहे हैं और आर्थिक सहायता प्रदान करते रहें। गुरुकुल को यदि सरकार से मान्यता मिल जाये और गुरुकुल का सरकारी विद्यालयों की भांति पोषण हो तो गुरुकुल के संचालन की बाधायें दूर हो सकती हैं।

 

                श्री सन्तोष आर्य जी ने हमें बताया है कि गुरुकुल में विद्युत लग गई है। यह कार्य खण्डवा के बीजेपी विधायक श्री देवेन्द्र वम्र्मा जी ने 4 लाख की आर्थिक सहायता दिलाकर सम्पन्न कराया है। इस कार्य में वहां के सांसद ने भी सहयोग किया है। जहां यह गुरुकुल है वहां के लोग आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं। आदिवासी लोग चारो ओर रहते हैं। ऐसे क्षेत्र में गुरुकुल का होना और इसके माध्यम से वेद प्रचार किया जाना वहां के लोगों की धर्म व संस्कृति के रक्षण में सहायक है। अतः मन, वचन व कर्म से गुरुकुल को चला रहे आचार्य सर्वेश जी को आर्थिक सहयोग देना सभी आर्यबन्धुओं का कर्तव्य अनुभव होता है। इस गुरुकुल का संचालन देखकर हमारी निराशा दूर हुई है। यद्यपि आर्यसमाज का संगठन अतीव निर्बल है, सभाओं में अनेक प्रकार के विवाद हैं, ऐसे में देश की राजधानी से दूर यदि कोई ऋषिभक्त आर्यसमाज के ध्वज को गुरुकुलीय शिक्षा के प्रचार से प्रसारित कर रहा है, अपने आसपास के लोगों के धर्म व संस्कृति की रक्षा करने में सावधान है, तो अपने इन उत्साहवर्धक कार्यों से वह सब आर्यजनों की शुभकामनाओं, सहयोग एवं आशीर्वाद का पात्र है। ईश्वर उनको शक्ति एवं सहयोग प्रदान करे। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

पताः 196 चुक्खूवाला-2

देहरादून-248001

फोनः09412985121


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