- उदयपुर| महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के निवर्तमान कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिवस को विश्वविद्यालय के विगत तीन वर्षों की उपलब्धियों को एक रंगीन पुस्तिका के रूप में प्रकाशित किया है, जिसका विमोचन मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे.पी. शर्मा ने किया। उल्लेखनीय है कि प्रो. जे. पी. शर्मा को माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति के आदेशानुरूप एमपीयूएटी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। प्रो. उमाशंकर शर्मा के विदाई समारोह के उपरान्त प्रो. जे. पी. शर्मा ने एमपीयूएटी कुलपति का अतिरिक्त कार्यभार संभाला। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के समस्त उच्च अधिकारी उपस्थित थे। निवर्तमान कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा को विदाई देते हुए सभी अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए एवं प्रो. उमाशंकर शर्मा के कार्यकाल की विभिन्न उपलब्धियों का श्रेय देते हुए अपना आभार व्यक्त किया।
- प्रो. जे.पी. शर्मा ने कुलपति का अतिरिक्त कार्यभार ग्रहण करते हुए कहा कि एमपीयूएटी के इतिहास में प्रो. उमाशंकर शर्मा का योगदान अतुलनीय रहा है तथा वे आशा करते हैं कि उनका सहयोग एमपीयूएटी को भविष्य में भी मिलता रहेगा। उन्होंने दोनों विश्वविद्यालयों की साझा प्रगति हेतु भू सम्पत्ति बंटवारे को उनका उल्लेखनीय योगदान बताया। इस अवसर पर आयोजित एक प्रेस-कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रो. उमाशंकर शर्मा ने एमपीयूएटी की विगत तीन वर्षों की उपलब्धियां भी प्रेस को बताई ः-
- विश्वविद्यालय कुलगीत - महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का कुलगीत तैयार कराया गया जिसका लेखन पं. नरेन्द्र मिश्र ने किया तथा श्री प्रेम भण्डारी द्वारा संगीतवद्ध किया गया।
- सम्पत्ति बंटवारा - मोहनलाल सुखाडया विश्वविद्यालय से १९८७ में राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के गठन के समय से ही दोनों विश्वविद्यालयों के मध्य सम्पत्ति विवाद चला आ रहा था। १९९९ में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के गठन के बाद भी लगभग १७ वर्षों तक इस विवाद का कोई हल नहीं निकाला जा सका। सन् २०१६ में पदभार ग्रहण करने के बाद ही इस विवाद को हल करने के प्रयास किये तथा मोहनलाल सुखाडया विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डा. आई. वी. त्रिवेदी के साथ मिलकर अत्यंत सौहार्द पूर्ण वातावरण में दोनों विश्वविद्यालयों के मध्य सम्पत्ति का बंटवारा किया गया तथा इस विवाद का अंत कराया।
- दीक्षांत समारोह - २०१६, २०१७, तथा २०१८ में तीनों वर्षों में विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोहों का आयोजन पूर्ण गरिमा तथा भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। इन कार्यक्रमों की प्रशंसा माननीय राज्यपाल तथा कुलाधिपति महोदय द्वारा भी की गई।
- स्मार्ट विलेज - माननीय राज्यपाल महोदय की पहल पर स्मार्ट विलेज के तहत विश्वविद्यालय द्वारा ग्राम पंचायत छाली के गवों का चयन किया गया। इन गाँवों में विश्वविद्यालय द्वारा किये गये उल्लेखनीय कार्यों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय को सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत सम्मानित किया गया।
- जेट/प्री-पीजी/प्री-पीएच.डी परीक्षाओं का आयोजन - विश्वविद्यालय द्वारा गत तीनों वर्षों में इन परीक्षाओं को आयोजन सफलतापूर्वक किया।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् से विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालयों की मान्यता -
- ए.आई.सी.टी.ई. से प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी तथा दुग्ध एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय की मान्यता।
- एन.ए.बी.एल तथा एन.ए.ई.ए.बी. से प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय की मान्यता।
- ग्राम - २०१७ का सफल आयोजन - दिनांक ०७ से ०९ नवम्बर २०१७ के दौरान।
- भारत के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन दिनांक १७-१८ नवम्बर २०१७ के दौरान किया गया जिसमें पूरे देश के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भाग लिया तथा इस आयोजन की सभी ने प्रशंसा की।
- प्रताप बीज पोर्टल की स्थापना - विश्वविद्यालय द्वारा उन्नत बीजों का उत्पादन तो किया ही जा रहा है। बीजों के बिक्रय हेतु प्रताप बीज पोर्टल की स्थापना की गई है।
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- अनुसंधान उपलब्धियाँ
- वर्ष २०१६-१७ से २०१८-१९ तक विभिन्न राष्ट्रीय एवं राज्य सरकार तथा अर्द्ध सरकारी एवं प्राइवेट कम्पनियों के १५२ अनुसंधान परियोजनाएँ एवं प्रयोगों का क्रियान्वयन किया।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परियोजना के द्वारा अनुमोदित पल्स सीड हब प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई, जिसकी लागत १.५० करोड रूपये थी और इसके तहत लगभग ८३६.०० क्विंटल उडद, मूंग, तथा चना के उन्नत बीजों का उत्पादन किया गया।
- नई किस्मों का विकास ः- मक्का की प्रताप क्यूपीएम हाइब्रिड-५, प्रताप राज हाइब्रिड मक्का-१०१०, प्रताप राज हाइब्रिड मक्का-१०९५ तथा कपास की प्रताप कॉटन-१ किस्म का राज्य किस्म अनुमोदन समिति को प्रस्ताव भेजा गया।
- मक्का, ज्वार, मूंगफली, अश्वगंधा, ईसबगोल तथा अफीम के नए जीनोटाईप पर अग्रिम अनुसंधान कर इनकी किस्मों के विकास पर कार्य जारी है।
- विभिन्न फसलों की लगभग २९ किस्मों का राज्य सरकार की उन्नत कृषि तकनीकों के पैकेज में सम्मिलित किया गया।
- वर्ष २०१७ में जैविक कृषि पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा राजस्थान में जैविक कृषि पर वैज्ञानिकों के प्रशिक्षण हेतु प्रथम केन्द्र की शुरूआत की गई।
- जैविक कृषि पर राष्ट्रीय नेटवर्क परियोजना के तहत मक्का आधारित कृषि पद्धतियां, जैविक मक्का तथा जैविक गेहूँ के लिए उन्नत किस्मों का चुनाव तथा किसानों द्वारा जैविक कृषि से संबंधित देशज तकनीकी ज्ञान का संकलन एवं मूल्यांकन किया जा रहा है।
- खीरा, भिण्डी, टमाटर, बैंगन तथा फूलों में गुलदाउदी, रजनीगंधा तथा ग्लेलूडियस की विभिन्न कृषि तकनीकों का विकास।
- पॉलीहाउस खेती के लिए टमाटर, शिमला मिर्च तथा खीरा की ड्रिप फर्टिगेशन तथा प्रूनिंग एवं रखरखाव की तकनीकों का विकास।
- नेनो तकनीकी का विकास ः- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत नेनो तकनीकी में अनुसंधान के लिए विभिन्न मशीनों का लेब में स्थापना कर कॉपर-काइटोसीन आधारित नेनो फॉर्मूलेशन का विकास किया गया, जिसके द्वारा बीज उपचार तथा पर्णीय छिडकाव द्वारा मक्का में पीएफएसआर रोग का नियंत्रण में प्रयोग में लिया जाता है। इसी प्रकार कॉपर तथा जिंक हाइब्रिड नेनो फॉर्मूलेशन का विकास कर मक्का में कर्वूलेरिया लीफ स्पॉट रोग को नियंत्रण करने में प्रयोग किया जाता है।
- जैव उर्वरक उत्पादन इकाई की क्षमता संर्वद्धन ः- प्रति वर्ष २०,००० पैकेट से बढाकर ५०,००० पैकेट प्रति वर्ष किया गया।
- नवीनीकरण ऊर्जा के तहत बायोचार उत्पादन इकाई, बायोगैस आधारित रेफि्रजरेशन इकाई तथा सौर ऊर्जा टनल ड्रायर की क्षमतावर्द्धन की तकनीकों का विकास किया गया।
- फार्म मशीनीकरण के तहत पैडलचलित मक्का छिलने की मशीन, लहसुन तना तथा जड कटिंग मशीन एवं सेंसर आधारित स्प्रेयर का विकास तथा ट्रेक्टर चलित पॉलीथिन मल्च बिछाने की मशीन का विकास किया गया।
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत ३०.०० लाख रू. की लागत से पशुओं के लिए खनिज लवण मिश्रण इकाई की स्थापना की गई, जिसकी उत्पादन क्षमता २.०० टन प्रति दिन है तथा इसका नाम प्रताप मिनरल मिक्सर रखा गया।
- नर्सरी ट्रे में सब्जियों के छोटे बीजों की बुवाई हेतु न्यूमैट्रिक ट्रे सीडर का विकास किया गया, जिससे पारम्परिक हाथ से बीजाई की अपेक्षा १०० प्रतिशत से अधिक श्रम की बचत होती है।
- तालाबों तथा बांधों में मछली की उत्पादकता बढाने के लिए केजफिश फार्मिंग का विकास किया गया, जिसके तहत पारम्परिक उत्पादन की अपेक्षा ५० गुना अधिक उत्पादन प्राप्त होता है।
- सीताफल से सफेद गुदा प्रसंस्करण की तकनीक, मुर्गी की प्रताप धन ब्रीड तथा खरगोश पालन इकाई द्वारा किसानों में नवाचार तथा उद्यमिता हेतु प्रशिक्षण तथा तकनीकी प्रसार एवं विभिन्न संस्थाओं से व्यासायिकरण एमओयू को प्रोत्साहन।
- ग्रामीण महिलाओं में २९ विभिन्न फसलों तथा खाद्य पदार्थों में उपलब्ध आवश्यक खाद्य तत्वों की संपूर्ण जानकारी का डेटाबेस महिलाओं तथा ग्राहकों के लिए तैयार किया गया।
- महिलाओं में खाद्य एवं पोषण की संपूर्ण जानकारी हेतु ई-मॉड्यूल का विकास एवं प्रसार किया गया।
- तरल जैव उर्वरकों का विकास ः- इसके तहत जीवाणुओं की राइजोबियम की २०६, एजोडाबेक्टर की १२९, फॉस्फेट गोलक जीवाणुओं की ४०, पौटेशियम जीवाणुओं की ४६ तथा जिंक घोलक जीवाणुओं की ३२ विभिन्न प्रजातियों का (स्ट्रेन) का चिन्हीकरण किया गया तथा ४५ स्ट्रेन का मॉलक्यूलर चिन्हीकरण किया गया। साथ ही नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटाश, जिंक के तरल जैव उर्वरकों का विकास किया गया।
- बारानी कृषि अनुसंधान केन्द्र, आजिया, भीलवाडा पर शहर तथा फार्म पर उपलब्ध कृषि आधारित जैव उपो-उत्पाद (बतवच तमेपकनमए ंतउ ूंेजमए तिनपज ंदक अमहमजंइसम ूंेजम) के द्वारा बायोगैस आधारित बायो सीएनजी तथा बायो विद्युत उत्पादन की इकाई की स्थापना की गई। इस इकाई की क्षमता १२० क्यूबिक मीटर है तथा लागत ६५ लाख रूपये है।
- विश्वविद्यालय द्वारा २०४२ क्विंटल गुणवत्ता बीजों का उत्पादन किया गया। इसी प्रकार से ४.५० करोड मछली के बीजों का उत्पादन (स्पॉम, फ्राई एवं फिंगरलींग्स) का उत्पादन किया गया।
- मशरूम के स्पॉन का २०१७-१८ में १६.९० क्विंटल स्पॉन का उत्पादन किया गया।
- पिछले तीन वर्षों में २४ नए अनुसंधान प्रोजेक्ट पर कार्य किए गए।
- विश्वविद्यालय द्वारा तीन नए पैटेंट प्रकाशित किए गए, जिसमें २ पैटेंट नेनो-तकनीक पर है तथा १ वायरलैस मीमो रिसीवर पर है।
- विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सोयाबीन में लगने वाले कीडे सेमीलूपर को मारने वाले नीमेटोड की प्रजाति का तथा इसी प्रकार इसी कीडे को खाने वाले लार्वल पेरासिटोइड का सर्वप्रथम पता लगाया तथा राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम रिपोर्ट जारी की।
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- कृषि प्रसार उपलब्धियाँ
- सियाखेडी, वल्लभनगर, उदयपुर में तथा शाहपुरा, भीलवाडा में २ नए कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना की गई, जिससे विश्वविद्यालय में कृषि विज्ञान केन्द्रों की संख्या ६ से बढकर ८ हो गई।
- स्मार्ट विलेज - माननीय राज्यपाल महोदय की पहल पर स्मार्ट विलेज के तहत विश्वविद्यालय द्वारा ग्राम पंचायत छाली के गवों का चयन किया गया। इन गाँवों में विश्वविद्यालय द्वारा किये गये उल्लेखनीय कार्यों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय को सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत सम्मानित किया गया।
- प्रसार गतिविधियों के तहत २७०३ प्रशिक्षण जिनमें ६१,३५८ प्रतिभागियों ने भाग लिया।
- किसान खेतों पर प्रयोग के तहत ९७ प्रयोग किए गए तथा ८ तकनीकों का उन्नत कृषि तकनीकों के पैकेज में सम्मिलित किया गया।
- किसान के खेतों पर अनाज वाली फसलें, दलहनी, तिलहनी फसलों, सब्जियों तथा बीजीय मसालों के लिए ८,३६३ अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन किए गए, जिसके तहत १८ से ६५ प्रतिशत की उत्पादन में वृद्धि अंकित की गई।
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- छात्र गतिविधियाँ
- विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों अन्तरविश्वविद्यालयी वाद-विवाद प्रतियोगिता २०१७-१८ में पंतनगर तथा अलीगढ में आयोजित प्रतियोगिता में उत्कृष्ट वक्ता तथा उत्कृष्ट प्रदर्शन का खिताब प्राप्त किया।
- वर्ष २०१९ के गणतंत्र दिवस पर हमारे विश्वविद्यालय के २ एनसीसी के तथा २ एनएसएस के छात्रों ने गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया।
- इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी ने राष्ट्रीय युवा संसद कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्तर पर भाग लिया।
- संसाधन विकास
- विश्वविद्यालय के नए प्रशासनिक भवन का उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री राजस्थान श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा किया गया।
- विश्वविद्यालय में टीबीआईसी, पोस्ट ग्रेजुएट कम्प्यूटर लेब, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस बॉयज छात्रावास, यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स पवेलियन, सीटीएई लाइब्रेरी, सीटीएई प्लेसमेंट सेल का निर्माण कर उद्घाटन करवाया गया।
- विश्वविद्यालय में लगभग १००० किलोवॉट क्षमता के सौर ऊर्जा आधारित बिजली उत्पादन इकाई का निर्माण एवं शुभारम्भ किया गया।
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- समझौता-पत्र
- विभिन्न संस्थानों तथा संगठनों के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ४ तथा राष्ट्रीय स्तर पर १२ समझौता-पत्र हस्ताक्षर किए गए।
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- राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मान एवं पहचान तथा कार्यक्रमों का आयोजन
- विश्वविद्यालय के विभिन्न परियोजनाओं, वैज्ञानिकों तथा विद्यार्थियों को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगभग ३० से ज्यादा मुख्य सम्मान एवं पुरस्कारों से नवाजा गया।
विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर २४ से ज्यादा विभिन्न सेमीनार, सम्मेलन तथा कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
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