बसंतोत्सव गीत संगीत एवं साहित्य संवाद

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Published on : 11 Feb, 19 05:02

बसंतोत्सव गीत संगीत एवं साहित्य संवाद

राजकीय पं दीनदयाल उपाध्याय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा में मां शारदे के जन्मदिन को “ बसंतोत्सव गीत संगीत एवं साहित्य संवाद दिवस” के रुप मे मनाया गया । कार्यक्रम की शुरुवात मां शारदे की स्तुति अर्चना के साथ की गयी जिसका गायन कार्यक्रम संयोजिका शशि जैन ने किया । युवा पाठक रीना नागर ने अतिथीयो के लियें स्वागत गीत “ अभिवादन हम सब करते है स्वागत की बेला आई है” युवा छात्र क्रष्णा शर्मा ने गायत्री मंत्र की विशेषता पर प्रकाश डाला । काव्य का आगाज शोधार्थी निशा गुप्ता – “ पाहुम का संदेशा लेकर बसंती टुटी ज्यों आई “ के साथ हुआ तो प्रतियोगी छात्रा गायत्री गुर्जर ने हाडोती का सुप्रसिद्ध गीत “ आयो रे आयो रे बसंत आयो रे गीत सुनाया । इसके बाद संगीत की स्वर लहरी मे प्रिति शर्मा ने “ जीना इसी का नाम है “ , द्रष्टिबाधित युवा जावेद ने “ सुख के सब साथी दुख मे ना कोय” एवं सलीम रोबिन “ देश भक्ति गीत “ प्रस्तुत किया । लिटिल वंडर हार्दिक महाजन ने मां शारदे के 11 पुत्रों के बारे मे विस्तार से अवगत कराया साथ ही प्रथम पुत्र नारद जी भी पर प्रकाश डाला । के.बी .दीक्षित नें मां को समर्पित एक रचना – मां की एक बुंद धरती को हिला देती है । समाज सेविका सीमा घोष ने कहा कि – यह दिवस “ शिक्षा की गरिमा और बौद्धिक विकास के साथ मां शरदे का दिवस है । शिक्षाविद एवं सेवानिवृत महाविधालयी प्राचार्या संध्या चतुर्वेदी ने कहा कि – विधा , शिक्षा , ज्ञान की देवी के उत्सव पर बच्चों से इमानदारी के साथ राष्ट्र की सेवा का आवाहन किया । उन्होनेकहा कि मेरे द्वारा पधाये गये बच्चें जो शिक्षा के क्षेत्र मे अच्छा कर रहे है वे ही मेरी असल पुंजी है । अभियांत्रिकी से स्नातक युवा दीपक शारदा ने कहा कि आज मुझें खुशी हो रही है ज्ञान की देवी शारदा का जन्म दिन इस तरह से भव्यता के साथ सरकारी संस्था मना रही है । उषा मिश्र ने कहा कि सकारात्मकता के साथ स्रजन पर ध्यान देते हुयें विधार्थी शिक्षा को ग्रहण करें । विष्णु कांत मिश्र ने तनाव रहित एवं खुशहाल जीवन के लियें योगा आधारित जानकारी साझा की । वाई .एन. चतुर्वेदी ने इस उत्सव के आयोजन की प्रसंशा करते हुये बताया कि आज के दिन से ही विधा पुजन एवं पट्टी पुजन होता था बदलते परिवेश में टेक्नोलोज़ी पर युवाओं का फोकस है । डा रघुनाथ मिश्र “ सहज” ने बताया कि - इस दिन से प्रकृति के सौंदर्य में निखार दिखने लगता है। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनमें नए-नए गुलाबी रंग के पल्लव मन को मुग्ध करते हैं। इस दिन को बुद्धि, ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा-आराधना के रूप में मनाया जाता है

डा. डी. के. श्रीवास्तव ने बताया कि - बसंत पंचमी उत्साह , उल्ल्हास एवं उर्जा का प्रतीक हें यह प्रकृति के यौवन का समय है अतएव इसे त्रतुराज कहा जाता है बसंत पंचमी को मां सरस्‍वती की उपासना वास्‍तव में “ असतो मा सद गमय, तमसो मा ज्‍योतिर्ग्‍मय” का रूपक है इस अवसर पर कार्यक्रम के बतौर अतिथी शिरकत करने वाले डा. रघुनाथ मिश्र “ सहज” , यतिन्द्र नाथ चतुर्वेदी , विश्नुकांत मिश्र , उषा मिश्र , सीमा घोष , सलीम रोबिन एवं श्री के.बी. दीक्षित का तिलक रोली वंदन कर स्वागत किया गया । कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमति शशि जैन ने बताया कि – बसंत पंचमी का सम्बंध सरस्वती देवी के जन्मोंत्सव से माना जाता हैं , इन्हें विधा , संगीत और बुध्धि की देवी माना जाता हें इस दिन माता –पिता अपने बच्चें का मां शारदा के पुजन के पश्चायत विध्याभ्यास प्रारम्भ करवाती हे ।

इस अवसर पर गणमान्‍य पाठकों ने हिस्‍सा लिया एवं बच्‍चों उपहार स्‍वरूप पुस्‍तके प्रदान की गई उनके अभिभावको को सम्‍मानित किया गया । कार्यक्रम का प्रबन्धन आयोजन श्री नवनीत शर्मा द्वारा किया गया, तथा आगंतुक अतिथीयों का आभार स्थानीय पुस्तकालय कें भगवानदास गोयल , अजय सक्सेना एवं संतोश द्वारा किया गया ।इसके बाद अल्पाहार की व्यवस्था की गयी थी कार्यक्रम के अंत में सभी बाल पाठकों को पुस्तकालय का भ्रमण कराया गया ।


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