लिवर में ब्लॉकेज को खोला, नहीं तो कराना पडता लिवर ट्रांसप्लांट

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Published on : 02 Feb, 19 05:02

गीतांजली हॉस्पिटल के न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेंषनल रेडियोलोजिस्ट द्वारा सफल इलाज

लिवर में ब्लॉकेज को खोला, नहीं तो कराना पडता लिवर ट्रांसप्लांट

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेंषनल रेडियोलोजिस्ट डॉ सीताराम बारठ ने २६ वर्शीय युवक के ’हेपेटिक वेन स्टेंटिंग‘ कर स्वस्थ किया। मंदसौर निवासी दिनेष (परिवर्तित नाम) पेट फूलने एवं बार-बार पेट में पानी भरने की षिकायत के साथ गीतांजली हॉस्पिटल में परामर्ष के लिए आया था। सोनोग्राफी एवं सीटी स्केन की जांचों से लिवर से अषुद्ध रक्त ले जानी वाली नसें, जिन्हें हेपेटिक वेन्स कहा जाता है, तीनों में ब्लॉकेज पाया गया। इस जटिल ब्लॉकेज के कारण केवल एंडो वेसक्यूलर प्रक्रिया द्वारा इलाज संभव नहीं था। इसलिए डॉ बारठ द्वारा एंडो वेसक्यूलर एवं हेपेटिक वेन स्टेंटिंग (एंजियोप्लास्टी) साथ में की गई जिससे रोगी को तुरंत आराम मिल गया। इस १ घंटें की प्रक्रिया में बाहर से ही बहुत ही छोटा पंक्चर (छेद) लिवर में किया गया जिससे लिवर में स्टेंट वायर को अंदर डाला गया और ब्लॉकेज को खोल दिया गया। इस प्रक्रिया द्वारा इलाज काफी प्रभावी, कम लागत एवं कम जटिल होता है। सामान्यतः ऐसे मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प रह जाता है परंतु डॉ बारठ द्वारा दिए गए उपचार से रोगी अब बिल्कुल स्वस्थ है एवं पेट में पानी भरने की षिकायत से निजात पा चुका है।

डॉ बारठ ने बताया कि लिवर की नसों में ब्लॉकेज की इस बीमारी को ’बड चियरी सिंड्रोम‘ कहते है। यह उन लोगों में ज्यादा पाई जाती है जिनमें खून के थक्के बनने की परेषानी होती है। ऐसे लोगों में स्वतः ही खून के थक्के बनने षुरु हो जाते है जो षरीर की कई नसों में ब्लॉकेज की परेषनी कर देते है।

रोगी ने बताया कि बार-बार पेट में पानी भरने के कारण उसे हर हफ्ते अस्पताल में भर्ती होकर पेट से पानी निकलवाना पडता था। अहमदाबाद के निजी हॉस्पिटल में भी उसका इलाज दवाईयों द्वारा चल रहा था परंतु आराम न पडने पर वह गीतांजली हॉस्पिटल में डॉ बारठ से परामर्ष के लिए आया।

गीतांजली हॉस्पिटल के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने कहा कि ’’गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर्स अपने रोगियों के लिए सबसे श्रेश्ठ एवं उचित उपचार का चयन करते है जो रोगियों के हित के साथ-साथ उनके आने वाले निकट भविश्य में भी उन्हें कोई स्वास्थ्य संबंधी परेषानी न होने के उद्देष्य के साथ होता है। साथ ही क्रियान्वित डॉक्टर्स हर रोगी के लिए इनोवेषन एवं वैष्विक स्तर पर मौजूद उपचार को उपलब्ध कराने की ओर सदा अग्रसर रहते है।‘‘ 


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