राष्ट्रीय लोक अदालत में 15000 प्रकरणो मे से 2273 प्रकरणो का राजीनामें से हुआ निस्तारण

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Published on : 14 Jan, 19 04:01

कुल 34 करोड 62 लाख के अवार्ड पारित

राष्ट्रीय लोक अदालत में 15000 प्रकरणो मे से 2273 प्रकरणो का राजीनामें से हुआ निस्तारण

 उदयपुर  राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशन में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन पूरे उदयपुर न्यायक्षेत्र के न्यायालयो में शनिवार को किया गया। मामलों का राजीनामे से निस्तारण करने के लिए जिला एवं सैशन न्यायाधीश रविन्द्र कुमार माहेश्वरी ने राष्ट्रीय लोक अदालत के लिये 37 बैंचों का गठन किया। इस लोक अदालत का आयोजन उदयपुर मुख्यालय एवं तालुका मावली, वल्लभनगर,भीण्डर, कानोड़, सराड़ा, सलूम्बर, झाड़ोल, गोगुन्दा, कोटड़ा, खेरवाड़ा के न्यायालयो में किया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने में बार एसोसिएशन उदयपुर के अधिवक्तागण का भी भरपूर सहयोग रहा। अधिवक्तागण भी पक्षकारों को समझाइश में लगे रहे ।

          प्राधिकरण सचिव श्रीमती रिद्धिमा शर्मा ने बताया की कुल निस्तारित 2273 प्रकरणों में से कुल 40 प्रकरण ऐसे थे, जो 10 साल पुराने थे। इसके अतिरिक्त 100  ऐसे प्रकरणों का निस्तारण किया गया जो 5 वर्ष से अधिक समय से न्यायालयों में लंबित थे। विगत कई वर्षो से लंबित 48 लाख की वसूली का वाद भी लोक अदालत में निपटाया गया। एम.ए.सी.टी. न्यायालयों मेें कुल 3 करोड के अवार्ड पारित किये गए।  जे.एम. उत्तर न्यायालय में पूर्बिया कलाल परिषद द्वारा एक सिविल वाद मंदिर के संबंध में महाराणा भूपाल अस्पताल के विरूद्ध दायर कर रखा था। इस प्रकरण में न्यायालय ने महाराणा भूपाल अस्पताल एवं पूर्बिया कलाल परिषद के मध्य कुछ शर्तो के अधीन राजीनामा करवाते हुए प्रकरण का निस्तारण किया गया। कुल निस्तारित 2273 प्रकरणों का राजीनामे से निस्तारण करते हुए लगभग 34 करोड 62 लाख रूपये के अवार्ड पारित किये गए

           राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायालयो में लंबित प्रकरणो के अलावा प्री लिटिगेशन स्टेज पर लोन मामले एवं अन्य प्रकरणो का भी हाथों-हाथ निस्तारण किया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत में बैंक एवं अन्य सरकारी विभागों के अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण भी उदयपुर जिला न्यायालय परिसर में मौजूद रहे। सभी अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण बैंक लोन एवं अन्य बकाया भुगतान को चुकाने एवं हमेशा के लिये कोर्ट कचहरी से छुटकारे के लिये पक्षकारों को अधिकाधिक रियायत दे रहे थे। कई पक्षकारों ने प्री-लिटिगेशन लोक अदालत की बैंच में अपने मामलों का निस्तारण करवाया ।

          सचिव श्रीमती शर्मा ने बताया कि लोक अदालत में प्रकरण का निस्तारण होने पर सिविल मामलों में न्यायालय फीस वापस लौटाई जाती है तथा पक्षकार शीघ्र न्याय प्राप्त कर मुकदमेबाजी के तनाव से मुक्त होते है। उन्होने यह भी जानकारी दी की पक्षकार लंबित प्रकरणो को आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत में रखवाने के लिए संबंधित न्यायालय से निवेदन कर सकते है।


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