फ्लाई ओवर के बजाय वैकल्पिक मार्गो पर हो कार्यः इंजि. दवे

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Published on : 13 Jan, 19 04:01

उदयपुर। इंजीनियर जे.एस. दवे ने कहा कि फ्लाई ओवर एलिवेटेड रोड परियोजना पर कार्य करने के बजाय षहर के यातायात को सुगम बनाने के लिये इसके वैकल्पिक मार्गो पर यदि कार्य किया जाय तो फ्लाई ओवर से बेहतर परिणाम मिलेंगे।

वे आज विज्ञान समिति परिसर में आयोजित प्रबुद्ध चिंतन प्रकोष्ठ की मासिक बैठक में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने आज उदियापोल से कोर्ट चौराहा तक की फ्लाई ओवर एलिवेटेड रोड परियोजना की १० साल पुरानी कागजी यात्रा को तकनीकी आधार पर उचित नहीं मानकर फिलहाल विराम लगा दिया था।

इस मामले के अपीलकर्ता इंजीनियर जे.एस. दवे ने बताया कि फ्लाई ओवर निर्माण की दोशपूर्ण परियोजना को रेखांकित किया और बताया कि फ्लाई ओवर निर्माण के बजाय उदियापोल क्षेत्र से वैकल्पिक मार्ग खोलने के सुझाव दिये।

अभियंता दवे ने फ्लाई ओवर के प्रारम्भ से लेकर अंत तक की जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष २००८ में उदयपुर म यातायात के निरन्तर बढते ट्रेफिक दबाव को कम करने के लिए उदयापोल से कोर्ट चौराहा तक एलिवेटेड रोड के विचार की कल्पना की गई थी। जिसके लिये २०१८ में मैसर्स मार्स कंसल्टेंट अहमदाबाद द्वारा एक ड्राफ्ट प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई थी, इस रिपोर्ट के आधार पर यूआईटी उदयपुर द्वारा निविदाओं को आमंत्रित किया गया।

इंजीनियर दवे ने बताया कि इस निविदा का तकनीकी आधारों पर विरोध किया गया था, कि स्थान की कमी के कारण यह फ्लाई ओवर अपर्याप्त वक्रता के साथ तीन जगहों पर ९० डिग्री से अधिक मुडता है, जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाओं की अत्यधिक आशंका होगी। यह भी तर्क दिया गया कि सडक के लिए भारतीय रोड कांग्रेस के सडक डिजाइन के मूल मानदंड पर ध्यान नहीं दिया गया तथा ओरिजिन डेस्टिनेशन (ओडी) ट्रैफिक सर्वे बिल्कुल नहीं किया गया था। निविदा की अनुमानित लागत में मौजूदा सीवरेज लाइनों, विद्युत, दूरसंचार, पेयजल जैसी सुविधाओं के  स्थानांतरण की लागत पर भी विचार नहीं किया गया था। इसलिए पूरा प्रस्ताव दोशपूर्ण था। ये आपत्तियाँ राजस्थान सरकार को भेजी गईं। जिन्होंने उठाए गए मुद्दों की जांच के लिए मामले को यूआईटी कार्यालय भेजा। यूआईटी ने अपनी समझदारी से टेंडर पर उदासीन होकर उस पर कोई जोर नहीं डाला।

उन्हने बताया कि २०१८ में यूआईटी में परियोजना को पुनर्जीवित किया और प्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए मेसर्स एलएण्डटी रामबोल कंसलटेंट इंजीनियर्स, चेन्नई को नियुक्त किया। घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण की उच्च लागत की बाधाओं के बावजूद एनएचएआई प्रस्तावित फ्लाई ओवर क आगे बढाना चाहता था। एनएचएआई ने इस तथ्य को भी माना कि प्रस्तावित फ्लाई ओवर में भारतीय सडक कांग्रेस द्वारा निर्धारित मानदंडों से मामूली भिन्नता है।

तकनीकी कमियों के बावजूद एनएचएआई ने फरवरी २०१७ में सलाहकार मेसर्स आईसीटी के माध्यम से अंतिम डीपीआर को तैयार करवाया गया और एलिवेटेड रोड परियोजना के कार्यान्वयन के लिए तकनीकी बोलियों को भी आमंत्रित किया। नवंबर २०१७ में अभियंता जे एस दवे ने सडक परिवहन मंत्री, भारत सरकार को भारतीय सडक कांग्रेस के मानदंडों जैसे कि ओरिजन डेस्टिनेशन सर्वेक्षण आदि के उल्लंघन के कारण एनएचएआई द्वारा अपनाई जा रही परियोजना पर  पुनः विचार करने के लिए पत्र लिखा था। मंत्री ने एनएचएआई को आपत्तियों की जाँच के लिए पत्र प्रेषित किया।


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