उदयपुर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए सजावटी (अलंकारिक) बागवानी विषय पर चल रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन विभिन्न अनुसंधान सत्रों का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम सचिव डॉ. एल.एन. महावर, प्राध्यापक, उद्यान विज्ञान विभाग, आर.सी.ए., उदयपुर ने बताया कि राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ फूलों की खेती, चरागाह, पर्यावरण प्रबंधन एवं पर्यावरण पर्यटन, सजावटी बागवानी में पादप संरक्षण, कटाई उपरान्त तकनीकी,, मूल्य संवर्धन और फूलों की खेती का विपणन, औषधीय एवं सुगंधित पादपों में नए प्रतिमान तथा सामाजिक, आर्थिक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था आदि विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें उद्यान वैज्ञानिकों एवं अनुसंधान छात्रों द्वारा अपने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। साथ ही समानान्तर सत्रों में पोस्टर प्रदर्शन का भी आयोजन किया गया। डॉ. महावर ने रजनीगंधा की विकसित की जा रही किस्म प्रताप रजनी ७ की जानकारी राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के समक्ष प्रस्तुत की। दुसरे दिन विभिन्न सत्रों में ६० अनुसंधान पत्रों का वाचन किया गया।
सम्मेलन में किसानों के लिए किसान संवाद सत्र का भी अलग से आयोजन किया गया। किसान संवाद सत्र में राजस्थान राज्य के ११७ कृषकों ने भाग लिया। डॉ. श्रीधर लखावत, विभागाध्यक्ष, उद्याान विज्ञान विभाग, आर.सी.ए. ने कृषकों को उच्च तकनीक नर्सरी उत्पादन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। विभिन्न उद्यान वैज्ञानिकों ने किसानों को गेंदा, रजनीगंधा, ग्लेडयोलस कटफ्लावर तकनीक आदि की जानकारी के साथ बागवानी से संबंधित समस्याओं के समाधान के उपाय बताए गए। साथ ही किसानों की आय को वर्ष २०२२ तक दो गुना करने की केंद्र सरकार की महती योजना के बारे में विस्तृत चर्चा की गई तथा इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर किए जा रहे प्रयासों से किसानों को अवगत कराया गया।