कृषि में नवाचार व कौशल विकास आज की आवश्यकता - प्रो. व्यास

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Published on : 23 Dec, 18 10:12

एमपीयूएटी के बारहवें दीक्षान्त समारोह में कुलपति ने प्रदान की ८०७ उपाधियाँ व ४३ स्वर्ण पदक

कृषि में नवाचार व कौशल विकास आज की आवश्यकता - प्रो. व्यास उदयपुर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का बारहवाँ दीक्षान्त समारोह २२ दिसम्बर २०१८ को दोपहर १.०० बजे विश्वविद्यालय परिसर स्थित स्वामी विवेकानन्द सभागार में हर्षोल्लास से आयोजित किया गया। शैक्षणिक प्रगमन के आगमन के पश्चात कार्यक्रम का प्रारंभ राष्ट्रगान व महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलगीत के गायन के साथ हुआ।
माननीय राज्यपाल महोदय एवं कुलाधिपति श्री कल्याण सिंह जी द्वारा प्रेषित संदेश में युग पुरूष महाराणा प्रताप को नमन करते हुए दीक्षान्त समारोह में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले व उपाधि धारक विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ दी। उन्होंने सुशिक्षित समाज व समृद्ध देश के निर्माण में कृषि विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए वर्ष २०२२ तक कृषकों की आय दो गुना करने की दिशा मे बेहतर प्रयास करने का सुझाव दिया। राज्यपाल महोदय ने महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा कृषि नवाचारों तथा रोजगारपरक कौशल के लिए युवाओं को आकर्षित करने हेतु आर्या योजना, अनुभवजन्य प्रशिक्षण केन्द्र, बिजनेस इन्क्यूबेटर केन्द्र तथा सर्टिफिकेट कॉर्स जैसे कार्यक्रमों का संचालन करने को एक सराहनीय कदम बताया।
स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या अधिक रही। दीक्षान्त समारोह में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले ४३ विद्यार्थियों में २६ छात्राएँ एवं १७ छात्र थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. अभय कुमार व्यास, सहायक महानिदेशक, (एचआरएम), भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, नई दिल्ली ने कृषि विद्यार्थियों को आदिवासी अंचल के कृषि विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने की बात कही। उन्होंने बताया कि भारत के कुल कृशित क्षेत्र का १४ प्रतिशत हिस्सा राजस्थान का है। कृषि राजस्थान के किसानों का मुख्य व्यवसाय है। राजस्थान के कुल सकल घरेलू उत्पादन का ३१ प्रतिशत कृषि क्षेत्र से आता है। राजस्थान में लगभग १.२३ करोड से ज्यादा किसानों तथा सम्बद्ध लोगों की आजीविका सीधे कृशि पर निर्भर है। उन्होंने उन्नत कृशि तकनीकों के विकास, कृषि के ढांचागत विकास कार्यक्रम तथा किसानों के तकनीकी ज्ञान, नवाचार एवं कौशल विकास की महत्ती आवश्यकता जताई।
आज के दीक्षान्त समारोह में २०१७-२०१८ के दौरान योग्य पाये गये ८०७ विद्यार्थियों को उपाधियाँ एवं ४३ वरीयता प्राप्त छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक से सुशोभित किया गया। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. उमा शंकर शर्मा ने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय ने शिक्षण, शोध एवं प्रसार के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। विश्वविद्यालय के कार्यक्षेत्र में आने वाले जनजाति बाहुल्य क्षेत्र के ग्रामीण समुदाय की उन्नति एवं खुशहाली के लिये निरंतर प्रयत्नशील है। उन्होंने बताया कि आज कृषि उत्पादन, उत्पादन गुणवत्ता, खाद्य सुरक्षा, जैविक खेती के साथ टिकाऊ खेती की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से नवाचारों के साथ कृषि विकास को एक मिशन के रूप में अपनाने का आव्हान किया।
विश्वविद्यालय कुलसचिव सुश्री प्रियंका जोधावत ने विश्वविद्यालय की विभिन्न उपलब्धियों, शिक्षा, अनुसंधान, प्रसार व सह-शैक्षणिक गतिविधियाँ, ढाँचागत विकास कार्यों व भावी कार्य-योजनाओं का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा मुदि्रत वार्षिक कलेण्डर वर्ष २०१९ का विमोचन माननीय कुलपति द्वारा किया गया।

इन्हें मिली उपाधियाँ-
विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. जी. पी. शर्मा ने बताया कि दीक्षान्त समारोह में दिये जाने वाले ४३ स्वर्ण पदकों का विवरण इस प्रकार रहा- कृषि में १०, डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी में ०३, इंजीनियरिंग में १७, गृह विज्ञान में ०६, मात्स्यकी में ०१ विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किये गए। इसी के साथ मात्स्यकी स्नातकोत्तर संकाय में रवि कुमार पटेल को कुलाधिपति स्वर्ण पदक भी प्रदान किया गया व इंजिनियरिंग संकाय में ०४ विद्यार्थियों को ’’जैन इरिगेशन मेडल‘‘ स्वर्ण पदक से सुशभित किया गया।
दीक्षान्त समारोह में वर्ष २०१७-१८ में स्नातक स्तर की परीक्षा सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले ८०७ उपाधियाँ प्रदान की गईं। इनमें से ६०६ विद्यार्थियों को स्नातक, १३५ को स्नातकोत्तर तथा ६६ विद्यार्थियों को विद्या-वाचस्पति की उपाधियाँ प्रदान की गईं। कृषि संकाय में २८२, इंजीनियरिंग संकाय में ३९८, गृह विज्ञान संकाय में ४२, डेयरी व खाद्य विज्ञान प्रौद्योगिकी व जैव प्रौद्योगिकी में ५८ व मात्स्यकी संकाय में भी २७ उपाधियाँ प्रदान की गईं।
इसी प्रकार २०१७-२०१८ मे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम सफलता पूर्वक पूर्ण करने वाले १३५ विद्यार्थियों को एमएस.सी./एम.टेक एवं ६६ विद्यार्थियों को विद्या-वाचस्पति (पीएच.डी.) की उपाधियाँ प्रदान की गईं। इनमें से कृषि संकाय में ५८ एमएस.सी. व ४१ पीएच.डी., इंजिनियरिंग में ४९ एम.टेक व ०९ पीएच.डी., गृह विज्ञान में २१ एमएस.सी. व ११ पीएच.डी., मात्स्यकी में ७ विद्यार्थियों को एमएफ.एससी. व ०५ विद्यार्थियों को पीएच.डी. की उपाधियाँ प्रदान की गईं।
दीक्षांत समारोह के समन्वयक डॉ. अजय शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति प्रो. जे. पी. शर्मा, डॉ. एस.एस. सारंगदेवोत, कुलपति, जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, पूर्व कुलपति डॉ. आई. वी. त्रिवेदी, उप-महापौर उदयपुर श्री लोकेश द्विवेदी, श्री फुरकान खान, निदेशक, पश्चिमी सांस्कृतिक केन्द्र, श्रीमती नीलिमा सुखाडिया सहित अनेक गणमान्य नागरिक, अधिकारी, विश्वविद्यालय के पूर्व एवं वर्तमान निदेशक, पूर्व एवं वर्तमान अधिष्ठाता, विभिन्न संकाय अध्यक्ष, मीडया अधिकारी, अतिथि एवं मेडल तथा उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के अभिभावक भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव सुश्री प्रियंका जोधावत एवं समन्वयक डॉ. अजय शर्मा एवं परीक्षा नियंत्रक डॉ. जी. पी. शर्मा ने किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में विश्वविद्यालय के प्रबन्ध मण्डल एवं अकादमिक परिषद् के सदस्यों ने प्रगमन के रूप में सभागार में प्रवेश किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ एवं अन्त राष्ट्रगान से सम्पन्न हुआ।

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