रंगरेज़ थे,अब नैत्रदान से रंग भर गये अमर जीत

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Published on : 10 Dec, 18 06:12

कुत्ते के ग़म में,खुद भी चले गये, दोस्तों ने कराया नैत्रदान

रंगरेज़ थे,अब नैत्रदान से रंग भर गये अमर जीत छावनी क्षेत्र में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो 55 वर्षीय अमरजीत सिंह जी उर्फ जीत पेंटर को नहीं जानता होगा । जीत जी अपने बड़े भाई हरजीत सिंह जी के साथ सालों से छावनी गुरुद्वारे के पास रह रहे थे । जीत जी अविवाहित थे,ज्यादातर समय उनका अपनी पेंटिंग के हुनर को निखारने में लगा रहता था। जीत जी के पेंटिंग के हुनर के लिये कई लोग उनको दूर-दूर से बुलाते थे,जीत पेंटर के नाम से शहर के लोग अक्सर उनको बुलाते रहते थे । जीत जी की दुनिया मे उनके बड़े भाई के अलावा,उनका पालतू कुत्ता जॉनी और उनके दोस्त बहुत अहमियत रखते थे । दोस्तों का या किसी अजनबी का, किसी भी तरह का कोई भी काम हो तो अमरजीत जी पहले इंसान होते थे,जो सब काम मे आगे रहते थे । पास ही के गुरुद्वारे में भी वह जब चाहे जब सेवा देने चले जाया करते थे ।

गुरुवार सुबह 10 बज़े जीत जी के कुत्ते जॉनी की अचानक तबियत ख़राब होने से मौत हो गयी । जॉनी के साथ इनका बहुत ज्यादा लगाव था,वह जानते थे कि एक जानवर से उनको क्या सलाह दे सकता है,पर फिर भी वह अपने मन की सारी बात उसको कहे बिना नहीं रहते थे ।
उसके चले जाने से वह काफ़ी टूट गये, अपने दुख को उन्होंने व्हाट्सएप पर भी स्टेटस में लिख रखा था,कि मुझे क्यों अकेला छोड़ गया । अगले ही दिन शुक्रवार को रात 11 बज़े जीत जी, अपने घर के बाहर ही,मित्रों के साथ बातें कर रहे थे । उन सभी के जाने के बाद उनको हृदय में दर्द प्रारंभ हुआ,और थोड़े ही देर में वहीं उनकी मृत्यु हो गयी ।

सुबह जब उनको अंतिम संस्कार के लिये ले जाया जाने लगा,तो पास ही रह रहे,शाइन इंडिया फाउंडेशन के सक्रिय सदस्य त्रिलोक चंद जी ने सुनील पांचाल जी को अपने साथ लिया, और अमरजीत जी के नैत्रदान करवाने के लिये बात की । इधर शवयात्रा का भी समय हो गया था,तो शंका यह भी थी कि क्या 10 मिनट में यह सब हो पायेगा । मौके पर अमरजीत जी के क़रीबी रिश्तेदारों और दोस्तों ने नैत्रदान के बारे में बात सुनी तो उन्होंने कहा कि अगर घर पर ही यह प्रक्रिया कम समय में हो जाये तो टीम को बुला लीजिये । सभी की सहमति के बाद घर पर ही सभी दोस्तों और करीबी रिश्तेदारों के बीच 10 मिनट में शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ ने नैत्रदान की प्रक्रिया पूरी की । नैत्रदान के कार्य मे अमरजीत जी के बड़े भाई सुरजीत सिंह, हरजीत सिंह ,उनके भतीजे जसविंदर व राजेन्द्र सिंह जी का ,और उनके मित्र रामेश्वर, डॉ तजेंद्र सिंह,श्रीनाथ अग्रवाल,शिव नारायण जी का सहयोग रहा ।

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