नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास एवं दो लाख रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया

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Published on : 29 Nov, 18 06:11

नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास एवं दो लाख रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया प्रतापगढ| विशिष्ठ न्यायालय लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण के विशिष्ठ न्यायाधीश श्री परमवीरसिंह चौहान ने अपने एक महत्वपूर्ण प्रकरण में निर्णय सुनाते हुए नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी अभियुक्त देवीलाल उर्फ देवला पिता उदा मीणा निवासी मउ थाना घण्टाली को आजीवन कारावास एवं दो लाख रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किये जाने का निर्णय सुनाया।

लोक अभियोजक तरूणदास वैरागी ने जानकारी देते हुए बताया कि थाना घण्टाली पर पीडिता के पिता लीमजी ने एक लिखित रिपोर्ट देते हुए बताया कि दिनांक ११.०९.१७ को दिन में करीब १२ बजे वे अपनी पत्नी के साथ खेतों में काम कर रहे थे। उनकी पांच वर्षीय नाबालिग पुत्री घर पर अकेली थी तभी मोबाईल चार्ज करने के बहाने अभियुक्त देवला घर पर आया और उसकी पांच वर्षीय नाबालिग पुत्री को अकेला पाकर बलात्कार किया। जिसकी चिल्लाहट सुनकर दोनों पति-पत्नी मौके पर गये तो अभियुक्त भाग गया। उसकी पुत्री के गुप्तांग से खून बह रहे थे, जिस पर थाना घण्टाली द्वारा प्रकरण संख्या ८१/१७ अन्तर्गत धारा ४४७, ३७६ आईपीसी व ३/४, ५ज, ५ड पोक्सो एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान कर अभियुक्त के विरूद्ध न्यायालय में चार्जशीट पेश की। अभियोजन पक्ष की ओर से ११ गवाह और ४२ दस्तावेजी साक्ष्य प्रदर्शित करवाये गये। दोनों पक्षों की बहस सुनकर न्यायालय ने आरोपी को दोषसिद्ध माना और उसे धारा ४४७, आईपीसी में तीन माह का कारावास व पांच सो रूपये जुर्माना, धारा ३७६ में आजीवन कारावास व एक लाख रूपये का अर्थदण्ड तथा पॉक्सो एक्ट की धारा ५ (झ) (ड)/६ में आजीवन कारावास एवं एक लाख रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किये जाने का आदेश सुनाया।

न्यायालय ने सजा के बिन्दू पर अभियुक्त को सुनने के पश्चात अपने निर्णय में टिप्पणी दी कि यह कृत्य इंसानियत को झकझोरकर मानवीय संवेदनाओं को संज्ञा शून्य कर देने वाला पाश्विक कृत्य है, हैवानियत की पराकाष्टा है, मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य है। न्यायालय के मत में जहां सम्पूर्ण राष्ट्र बेटी बचाओ बेटी पढाओ के अभियान से जुडा है, वहां पहली कक्षा में पढने वाली अबोध बालिका के साथ हुए कृत्य को देखते हुए अभियुक्त किसी भी प्रकार की दया का पात्र नहीं रहा है। ऐसे अभियुक्त को सभी प्रकार की धाराओं में पूर्णतया दण्डित करने से समाज में सुरक्षा की भावना महसूस होगी।

जिला पुलिस अधीक्षक शिवराज मीणा के निर्देशन पर इस प्रकरण को केस ऑफीसर स्कीम में लिया गया था। जिसमें अनुसंधान अधिकारी महावीर सिंह, कॉन्टेबल मनोहर सिंह, निर्मल कुमार और रूपलाल व महिला कॉस्टेबल नीलम की टीम ने मात्र १९ दिन में आरोपी के विरूद्ध चालान पेश किया। थाना सालमगढ के सहयोग से अभियुक्त को ३० घण्टे में गिरफ्तार कर लिया। सरकार ने न्यायालय के आदेश से पीडता को ईलाज हेतु व सुरक्षा के लिये २,००,०००/- रूपये पूर्व में ही अदा कर दिये थे। कुल १४ माह में न्यायालय ने यह फैसला सुनाया।


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