संसद भंग करनी पड़ी हिंसा रोकने के लिए : मैत्रीपाला सिरिसेना

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Published on : 12 Nov, 18 07:11

कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने संसद भंग करने के अपने विवादित फैसले का बचाव करते हुए रविवार को कहा कि अध्यक्ष कारू जयसूर्या द्वारा उन पर सांसदों के अधिकारों को ‘‘छीनने’’ का आरोप लगाने के बाद प्रतिद्वंद्वी सांसदों के बीच हिंसक संघर्षों से बचने के लिए यह फैसला लिया गया। सिरिसेना ने राष्ट्र को दिए संबोधन में निर्धारित समय से पहले ही संसद भंग करने की वजह बताई। कई राजनीतिक दलों और सिविल सोसायटी समूहों ने सिरिसेना के फैसले की आलोचना करते हुए इसे असंवैधानिक और गैरकानूनी बताया है। उन्होंने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्टें थी कि दोनों नेताओं के बीच प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के लिए मतदान के दौरान झड़पें होंगी। 26 अक्टूबर को सिरिसेना ने करीब साढ़े तीन साल तक तनावपूर्ण संबंध के बाद अचानक रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया था और उनके स्थान पर महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था। इस कदम के बाद देश संवैधानिक संकट में फंस गया था। सिरिसेना ने संसदीय कार्यवाही 16 नवंबर तक के लिए निलंबित कर दी थी। बाद में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव में उन्होंने 14 नवंबर को संसद की बैठक फिर बुलाने के लिए नोटिस जारी किया। लेकिन शुक्रवार को सिरिसेना ने संसद भंग कर दी और पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की। दरअसल जब यह स्पष्ट हो गया कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के लिए सदन में उनके पास पर्याप्त समर्थन नहीं है तब सिरिसेना ने यह कदम उठाया।
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