संस्कारित बेटी दो कुल का उद्धार करती है

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Published on : 17 Oct, 18 04:10

भक्त व मित्र को चित्र से नही चरित्र से पहचानिए

संस्कारित बेटी दो कुल का उद्धार करती है सुखेर -साध्वी जी ने अयोध्याकांड के प्रसंग वाल्मीकि संवाद व श्री राम के चित्रकूट निवास को सुनाते हुए "सीता वात्सल्य" धाम में श्री राम कथा का शुभारंभ किया ।उन्होंने बताया कि अगर बेटा तो एक कुल का नाम रोशन करता है लेकिन संस्कारित बेटी दो कुलों का उद्धार करती है।अपने मायके और ससुराल दोनों परिवारों के मान-सम्मान की जिम्मेदारी बेटियों पर होती हैं. साध्वी जी ने कहा कि आज के वर्तमान माहौल में समाज में भ्रूण हत्या बड़ी समस्या है।ओर रामकथा से उनका एक मुख्य उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के साथ ही इस बुराई के प्रति समाज में जागृति लाना भी है. दीदी मां ने कहा कि आज अपनी बेटियों को ऐसे संस्कार दें कि ससुराल में सब लोगों का मान और सम्मान करें अच्छा बुरा पहचान कर उसके अनुरूप आचरण करे,इससे बेटी और उसके मायके के लोगों का मान-सम्मान बढ़ेगा।
साथ ही श्री राम व वाल्मीकि संवाद को भी सुनाया कि जब श्री राम ने ये पूछा कि वे कहा रहे तब प गुरुजी यह बताया कि , जो व्यक्ति राम नाम लेते थके नही जिस स्थान पर हमेशा सत्य,प्रेम,समरसता,प्रभु स्मरण ओर गुणगान होता रहे आप वही अपना निवास करिए तब इन सभी गुणों से युक्त स्थान चित्र कूट में सीता व लक्ष्मण के साथ अपना निवास बनाया। अर्थात श्री राम का स्थान सरलता की भक्ति से भरे मन में होता है ना कि बड़े बड़े मंदिरों में जहां केवल मूर्ति के रूप में बिना श्रद्धा भाव के रोज पूजा जाए।

# भक्त को भगवान सुंदर रूप के चित्र को देख कर प्रसन्न नही होते वो भक्त का सरल चरित्र देख कर उनपर प्रसन्न होते है।यह कहते हुए दीदी मां ने भक्ति के नो अंगों को नवद्या भक्ति के बारे में बताया।श्रीराम जी के आगमन की प्रतीक्षा करने वाली माता शबरी का चरित्रगान करते हुए उन्हें साध्वी श्री ने श्री राम की परमभक्त के रूप में बताया है साध्वी जी ने बड़े ही सरल भाव से नवधा भक्ति के विषय में बताते हुए कहा कि, भक्त वत्सल भगवान श्रीराम ने अपने भक्त सबरी के भक्ति की लाज रखने के लिए स्वयं शबरी के आश्रम में उन्हें दर्शन दिए। जब कि शबरी के पास ना कोई धन था जिसको दान किया ना कोई कठिन तपस्या की बस अपने सरल मन के साथ दिन रात प्रभु को याद करके उनका इंतजार करती रही । ओर शबरी की इसी प्रतीक्षा ने राम के दर्शन पा लिए।दीदी मां ने प्रसंग वर्णन करते हुए बताया कि राम जी को देखकर शबरी जी को तो ऐसा लगा मानो जनम जनम की प्यास ही मिट गई हो।शबरी ने श्रीराम और लक्ष्मण की भावभीनी स्वागत किया। शबरी के अनुरोध पर उनकी भक्ति से प्रसन्ना होकर स्वयं प्रभू श्रीराम ने शबरी को भक्ति का रहस्य बताया, जिसका पालन करके कोई भी भक्त परम धाम को प्राप्त कर सकता है।भगवान के बताए हुए भक्ति के नौ अंग होने के कारण इसे नवधा भक्ति कहा जाता है : अतः दीदी मां ने कहा कि भगवान भक्त के चित्र को आप भी अपने जीवन में भक्ति के इस भाव का सह्रदय से पालन करें, जीवन धन्य हो जाएगा और आपको राम जी की कृपा प्राप्त हो जाएगी
पर्यावरण रक्षा हेतु भुवाणा रत्नगिरि पर्वत पर आयोजक पुष्करना परिवार ने दीदी मां के हाथों से तीन पौधों का रोपण भी करवाया जिससे पर्यावरण संरक्षण किया जा सके साथ ही संकल्प भीबलिया कि किसी की पावन स्मृति व जन्मदिन के शुभ अवसर पर प्रत्येक व्यक्ति एक पौधा अवश्य लगाए।

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