राष्ट्रीय बहुरुपिया उत्सव

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Published on : 12 Oct, 18 05:10

नई दिल्ली के आयोजन में उदयपुर की संस्था मार्तण्ड फाउन्डेशन का सहभाग

राष्ट्रीय बहुरुपिया उत्सव इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र , नई दिल्ली द्वारा 5 से 8 अक्टूबर तक आयोजित राष्ट्रीय बहुरुपिया उत्सव और गाँधी पर्व के आयोजन में उदयपुर की संस्था “मार्तण्ड फाउंडेशन” ने सक्रिय सहभाग से मेवाड़ को राष्ट्रीय पटल पर प्रसिद्धि दिलाई | देश भर से आये 70 बहुरूपियों ने अपनी नायाब कला के प्रदर्शन इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र , नई दिल्ली तथा उत्सव के पूर्व इण्डिया गेट, कनाट सर्कस और दिल्ली तथा नोयडा के स्कूलों में दिए | देश की प्राचीन पारम्परिक बहुरूपी कला को प्रोत्साहन देने के उद्देश से आयोजित इस राष्ट्रीय बहुरुपिया उत्सव में राजस्थान ,गुजरात , महाराष्ट्र ,गोवा ,तमिल नाडु ,कर्नाटक ,आन्ध्र प्रदेश ,तेलंगाना ,झारखण्ड ,पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश ,उत्तर प्रदेश , दिल्ली राज्यों से आये 15 वर्ष से 75 वर्ष तक के बहुरूपियों ने उम्दा प्रदर्शन से कई दर्शकों और मीडिया पर गहरी छोड़ी | उत्सव में निर्देशन देने वाले उदयपुर के वरिष्ठ रंगकर्मी विलास जानवे ने बताया कि इस दौरान दर्शकों को उदयपुर के साफा पगड़ी विशेषज्ञ महेंद्र सिंह परिहार ने लोगों को साफे बांधने की कला सिखाई | उत्साही दर्शकों ने “ मैं भी बहुरुपिया” काउंटर पर रखी पोशाक पहन अपना शौक पूरा किया | बच्चों ने फेंसी ड्रेस प्रतियोगिता और बड़ों ने “ सेल्फी विद बहुरुपिया”और “ बहुरुपिया इन एक्शन” प्रतियोगिताओं में इनाम जीते | केंद्र के कलादर्शन विभाग के प्रमुख डाक्टर अचल पांड्या ने बताया कि नवाचारों से युक्त इस राष्ट्रीय उत्सव में राजस्थान के बहुरूपिये शिवराज(58 ) उनके पुत्र फ़िरोज़ (38) और उनके पोते अरमान (15) ने हिस्सा लेकर परंपरा का निर्वाह किया | गुजरात के बहुरुपिया सिकंदर अब्बास ने धारण किये वेश “गाँधी जी” के साथ कई लोगों ने तस्वीर ली | किरण जानवे ने बताया कि 12 राज्यों के प्रतिनिधि बहुरुपियों ने बड़े केनवास पट्ट पर हस्ताक्षर कर उत्सव का उद्घाटन किया | उत्सव में दिल्ली के डिज़ाइनर रुपेश सहाय ने बहुरूपिये का कमरा, बहुरूपी कला से सबंधित पेंटिंग्स ,मूर्तियाँ, फोटोग्राफ्स तथा इंस्टालेशन का प्रदर्शन जोड़ कर उत्सव को नया आयाम दिया | इस उत्सव की क्रियेटिव टीम में उदयपुर के विलास जानवे दिल्ली के युवा फ़िल्मकार और डिज़ाइनर रुपेश सहाय, पुणे के संस्कृति कर्मी कृष्णा काटे और भोपाल के संस्कृति कर्मी और फिल्म क्रिटिक सुनील मिश्र, भी शामिल थे | उत्सव को राष्ट्रीय स्तर के मीडिया ने सराहा और आशा व्यक्त की कि उत्सव आगे भी आयोजित होता रहना चाहिए |
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