नशे से प्रतिवर्ष 2 लाख लोग अकाल मौत के शिकार बनते हैं--

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Published on : 11 Oct, 18 10:10

नशे  से प्रतिवर्ष 2 लाख लोग अकाल मौत के शिकार बनते हैं-- कोटा (डॉ.प्रभात कुमार सिंघल)| नशे के कारण प्रति वर्ष 2 लाख लोग अकाल मौत के शिकार हो जाते है। कई बार नशा त्महत्या का कारण बन जाता है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के तहत युवाओ में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति और उसके दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी गई। अग्रवाल न्यूरो साईकेट्री सेन्टर, होप सोसाइटी कोटा, जिला प्रशासन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और समाज कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में नशे की लत से दूर रहने के बारे में बताया गया।
एमबीएस अस्पताल के पूर्व विभागाध्यक्ष व होप सोसायटी के निदेशक डॉ. एमएल अग्रवाल ने कार्यक्रम में आए लोगो को पावर प्वाइंट प्रजेंटेंशन के माध्यम से नशे की प्रवृति, प्रकार, कारण, दुष्परिणामो और रोकथाम व बचाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि पूरे विश्व मे 240 मिलियन लोग नशे के आदि हैं, जिनमें से प्रतिवर्ष 2 लाख लोग अकाल मौत के शिकार बन जाते हैं। युवाओ में नशे की शुरुआत के बहुत से कारण हैं, जिसमेँ दोस्तों का दबाव, एकल परिवार, पारिवारिक कलह, मानसिक बीमारी, मनोवैज्ञानिक कारण, बेरोजगारी, मार्गदर्शन का अभाव, शारीरिक एवं भावनात्मक दर्द कम करना आदि प्रमुख हैँ । इसकी पहचान बच्चो में भूख की कमी, परिवार से दूरी बनाने, ह्रदय की गति तेज होना, मन का उतार चढ़ाव, कब्ज आदि है। जिसके असर से मनुष्य मानसिक तनाव में आता है और नशे का आदि हो जाता। जब तक उसे नशा नहीं मिलता वह बेचैन रहता है।
उन्होंने बताया कि कईं मामलों में सामने आया है कि व्यक्ति अपने नशे की लत को पूरी करने के लिए मानसिक तनाव में आपराधिक रास्ता अपनाया लेता है। उन्होंने कहा कि नशे और अपराध का चोली दामन का साथ होता है और आगे चलकर व्यक्ति आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है।
डॉ.अग्रवाल ने बताया कि समय के साथ साथ नशे के तरीकों में भी बहुत बदलाव आए हैं। पहले व्यक्ति अपनी नशे की लत को पूरा करने के लिए शराब, भांग, गांजे का इस्तेमाल करता था। अब बदलते समय के साथ आज ड्रग्स, हीरोइन, हाइटोमोरहिंन, फंटामिलींन, कोकीन, एमपोटामिन, मेरिजुआना, हेलुसिनाजग आदि शामिल है।
कई लोग इंजेक्शन के माध्यम से नशा लेते है जो आगे चलकर एचआईवी एड्स का शिकार हो जाते है जिनकी मौत हो जाती है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि बच्चों के पहले रोल मॉडल माता पिता होते हैं। बच्चे अपने माता पिता को देखकर ही सीखता है। इसलिए बच्चे में अच्छे आचरण का विकास करना, उसकी हर जरूरत का पूरा ध्यान रखना, बच्चांे के साथ ज्यादा समय बिताना, उनकी समस्याओं को समझना और उनको सुलझाना, उन्हें सही गलत की शिक्षा देना, उनके दोस्तों की जानकारी रखना ओर उन्हें सही गलत के बारे में बताना माता पिता का काम है, जिससे बच्चा गलत रास्ते पर न जाये।
वरिष्ठ शिशु स्वास्थ्य विशेषज्ञ व होप सोसायटी के सचिव डॉ. अविनाश बंसल ने बताया कि नशा मुक्ति केंद्रों व चिकित्सालयों की कमी के चलते लोग इस बीमारी का पूरे तरीके से इलाज नहीं करा पाते। हाड़ौती में आज तक नशे को लेकर सर्वे नहीं हो पाया, जिसके चलते हाड़ौती में नशा करने वाले लोगों की सही जानकारी प्राप्त नहीं हो पाती। होप सोसाइटी कोटा मानसिक तनाव में ग्रस्त व्यक्तियों के लिए कई वर्षों से काम करती आ रही है। कार्यक्रम के दौरान लोगों ने अपनी समस्याए भी रखी। जिनका डॉ. अग्रवाल समेत मौजूद चिकित्सकां ने समाधान बताया।
सोशल मीडिया युवाओं के लिए घातक डॉ. अग्रवाल ने बताया कि सोशल मीडिया युवाओ की लिए घातक बनता जा रहा है। आज का युवा 24 घंटे मोबाईल पर इंटरनेट का प्रयोग करता है। जिसके चलते मानसिक बीमारी का शिकार हो जाता है। इसलिए नेट का उपयोग करने से पहले समय निश्चित कर लेना चाहिए। बच्चों को 2 घंटे से ज्यादा मोबाइल का उपयोग नहीं करने दें। नेट का उपयोग करते समय कुछ बातें ध्यान रखना जरूरी है, जिसमे अपने पासवर्ड किसी को नही देना, एकाउंट को लॉगआउट करना, नेट यूज करते समय ध्यान रखना कोई आप की आईडी का मिस यूज नही कर रहा हो, गलत पोस्ट से बचना आदि सावधानियां रखना जरूरी है जिससे बच्चो को गलत रास्ते पर जाने से रोका जा सके।
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