सेंटपीटर्सबर्ग। कार्यस्थलों और सरकारी कार्यालयों में महिलाओं के लिए समान साझेदारी की वकालत करते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि समाज में बदलाव लाने के लिए कानून से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना है। गांधी ने दूसरे यूरेशियन वूमेंस फोरम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह अनोखी बात है कि पिछले साल दुनिया में बस दो राष्ट्रों में संसद में उसके किसी सदन में 50 फीसद (या उससे अधिक) महिला सदस्यों का प्रतिनिधित्व था। दुनियाभर में 25 फीसदी से भी कम सांसद महिला हैं। किसी सरकार में मंत्री के तौर पर सेवा दे रही महिलाओं का प्रतिनिधित्व तो उससे भी कम है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक ऐसे माहौल बनाने के लिए काम करना चाहिए जहां महिलाओं को कार्यस्थल और सार्वजनिक कार्यालय में समान साझेदारी दी जाए।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि यह बदलाव रातोंरात नहीं लाया जा सकता है लेकिन प्रगतिशील पुरुष समकक्षों के साथ मिलकर उसे आने वाले समय में संभव बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसद आरक्षण से संबंधित विधेयक को पारित कराने के प्रति उनकी पार्टी कटिबद्ध है और ऐसा कानून भारत में महिलाओं के लिए एक अहम कदम होगा। लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि केवल कानून से दुनिया नहीं बदल सकती है।
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