हुमड़ भवन में मनाया उत्तम संयम धर्म दिवस

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Published on : 20 Sep, 18 04:09

आत्मा संयम से स्वर्ग की प्राप्ति होती हैः मुनिश्री धर्मभूशणजी

हुमड़ भवन में मनाया उत्तम संयम धर्म दिवस उदयपुर । सकल दिगम्बर जैन समाज के दस दिवसीय पर्यूशण महापर्व का छठा दिन हूम़ड़ भवन में उत्तम संयम धर्म दिवस के रूप में मनाया गया। सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष षांतिलाल वेलावत ने बताया कि प्रातः श्रीजी का अभिशेक एवं षांतिधारा के बाद विधान एवं धर्मसभा हुई। उसके बाद दोपहर 2-30 बजे जिन वाणी पूजन एवं तत्वार्थ सूत्र का वाचन हुआ। प्रातःकाल षांतिधारा के पुण्यार्जक सुन्दरलाल नवीन कुमार वालावत, एवं चक्रवर्ती राजा के पुण्यार्जक भंवरलाल मंजू गदावत रहे।
धर्मसभा में मुनिश्री धर्मभूशणजी महाराज ने कहा कि आत्म संयम से स्वर्ग प्राप्त होता है, किन्तु असंयम इन्द्रिय-लिप्सा अपार अंधकार पूर्ण नरक के लिये खुला हुआ राजपथ है। आत्म संयम की रक्षा अपने खजाने के समान ही करो क्योंकि उससे बढकर इस जीवन में और कोई निधि नही है। जो पुरूष ठीक तरह से समझ-बूझकर अपनी इच्छाओं का दमन करता है, उसे मेघादिक सभी सुखद वरदान प्राप्त होते हैं। जिसने अपनी समस्त इच्छाओं को जीत लिया है, उसकी आकृति पहाड़ से बढ़कर प्रभावशाली होती है। जो मनुष्य अपनी इन्द्रियों को उसी तरह अपने में खींचकर रखता है, जिस तरह कछुआ अपने हाथ पावं को खींचकर भीतर छुपा लेता है, और समस्त आगामी जन्मों के लिए खजाना जमा कर लेता है। किसी को चाहे मत रोको, पर अपनी जिव्हा को जरूर रोको, उस पर लगाम लगाओ क्योंकि बेलगाम की जिव्हा बहुत दुख देती है।
मुनिश्री ने कह कि यदि तुम्हारे एक शब्द से भी कष्ट पहुंचता है, तो तुम अपनी सब भलाई नष्ट कर लते हो। उस मनुष्य को देखो जिसने विद्या और बुद्धि प्राप्त कर ली है, जिसका मन शांत और पूर्णतया वश में है, धार्मिकता तथा अन्य सब प्रकार की भलाई उसके घर उसका दर्शन करने के लिये आती है। इसलिए अपने जीवन में संयम धर्म को धारण करें।
महामंत्री सुरेष पदमावत ने बताया कि पर्यूर्शण महापर्व का सातवां दिवस उत्तम तप धर्म के रूप में मनाया जाएगा।
मंजू गदावत ने बताया कि सायंकाल 6 बजे श्रावक प्रतिक्रमण, 6-30 बजे गुरू भक्ति एवं मंगल आरती हुई। मंजू गदावत ने बताया कि जैन जागृति महिला मंच के तत्वावधान में सायं 7 बजे से भव्य भक्ति संध्या हुई।
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