इलेक्ट्रोनिकल मीडिया के घनघोर प्रचार-प्रसार के बाद भी लिखित साहित्य की महत्ता व ताकत आज भी कम नहीं हुई है। इसका कारण हमारी सांस्कृतिक अभिरूचि है और पुस्तकें हमें जीने का रास्ता दिखाते हुए हमारा मार्ग प्रशस्त करती है। इसलिए हमें निरन्तर श्रेष्ठ साहित्य की तलाश, उसका पठन व चिन्तन करते रहना चाहिए। हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक व सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर के पूर्व आचार्य डॉ. नवलकिशोर शर्मा के संस्मरणों की पुस्तक ‘‘यादों के अंश‘‘ के विमोचन के पश्चात् बोल रहे थे।
इस अवसर पर इतिहासविद व संस्कृतिकर्मी तथा सुखाडया विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य व इतिहास विभाग के अधिष्ठाता डॉ. के.एस. गुप्ता ने संस्मरणों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में द्वन्द्व व संघर्ष मिलता है तथा उसके संस्मरण महत्वपूर्ण है। सनाढ्य ने जीवन भर संघर्ष किया तथा लोगों की मदद की। पुस्तक लेखक डॉ. लक्ष्मीनारायण नन्दवाना ने शिवकिशोर सनाढ्य के जीवन संघर्ष, शिक्षण, समाज तथा राजनीति में दिए गए अवदानों के संस्मरणों को संक्षिप्त में प्रस्तुत किया। प्रांरभ में राष्ट्रीय शिक्षा प्रसार समिति के संरक्षक नवलकिशोर शर्मा व अध्यक्ष चौसर लाल कच्छारा ने अतिथियों व मित्रों का स्वागत किया। पुस्तक का विमोचन डॉ. नवलकिशोर, डॉ. के.एस. गुप्ता, चौसरलाल कच्छारा व डॉ. नन्दवाना ने किया तथा पुस्तक की प्रथम प्रति सनाढ्य को पुस्तक लेखक डॉ. नन्दवाना ने भेंट की। सनाढ्य शिक्षक व कर्मचारियों के नेता, शिक्षाविद् उदयपुर के पूर्व विधायक व नगर विकास प्रन्यास, उदयपुर के पूर्व अध्यक्ष है।
कार्यक्रम का संयोजन चौसरलाल कच्छारा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन हरीश सनाढ्य द्वारा किया गया। आयोजन में एडवोकेट बी.एल. गुप्ता, महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान के महासचिव भंवर सेठ, पूर्व राज्यमंत्री धर्मनारायण जोशी,
डॉ. सत्यनारायण माहेश्वरी, श्यामसुन्दर भट्ट, विजय प्रकाश विप्लवी आदि अनेक प्रबुद्ध विचारक, शिक्षाविद्, कर्मचारी नेता सम्मिलित थे।
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