संस्कृत भारती -संस्कृति रक्षार्थ रक्षा सूत्र कार्यक्रम

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Published on : 27 Aug, 18 05:08

संस्कृत से ही संस्कृति की रक्षा संभव -सुरेंद्र द्विवेदी

संस्कृत भारती -संस्कृति रक्षार्थ रक्षा सूत्र कार्यक्रम आज रक्षा बंधन के पासवान अवसर पर संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में संस्कृत भारती द्वारा "संस्कृति रक्षार्थ रक्षा सूत्र कार्यक्रम" जगदीश मंदिर में 10.00 बजे से 12.00 बजे तक दो घण्टे आयोजित किया गया।
कार्यक्रम संयोजक नरेंद्र शर्मा ने बताया की "संस्कृति रक्षार्थ रक्षा सूत्र कार्यक्रम" के अंतर्गत वहाँ पधारे सभी लोगो को तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधे गए व संस्कृत दिवस की शुभकामना व रक्षा बंधन पर्व की शुभकामना दी गयी। साथ ही सभी को आज रक्षा बंधन पर्व पर संस्कृत दिवस की जानकारी दी गई तथा सभी को संस्कृत दिवस की बधाई देते हुए संस्कृत को दिनचर्या का हिस्सा बनाने व घर में स्वयं व अपने बच्चों को वेद, श्लोक गीता पाठ आदि का अभ्यास करने कराने हेतु भी आग्रह कर पत्रक एवं" संस्कृतं वदतु " पुस्तक का वितरण भी किया गया, ताकि संस्कृत जन जन की भाषा बन सके।

इस अवसर पर संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओ ने विदेशी सैलानियो को भी रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें रक्षा बंधन व संस्कृत दिवस की बधाई दी व इसकी महत्ता बताई । उन्होंने भी उत्साह दिखाते हुए" हैप्पी संस्कृत डे" बोलकर प्रसन्नता जताई। इस अवसर पर "संस्कृतम् वदतु" का प्रचार भी किया गया। वहाँ धार्मिक गीतों क स्थान पर संस्कृत गीतों से संस्कृतमय वातावरण बना ।

इस अवसर पर लोगो ने आनंद महसूस करते हुए संस्कृत के महत्व को जाना एवं संस्कृत देववाणी है और इसे जीवन में अपनाना चाहिए ।अगर भारत को विश्व गुरु बनाना है तो निश्चित रूप से संस्कृत ही उसका मुख्य आधार है, इन बातों को वहां आते जाते जन समुदाय ने स्वीकार भी किया।
इस अवसर पर संस्कृत भारती के दुष्यन्त नागदा , नरेंद्र शर्मा, डॉ यज्ञ आमेटा, मंगल जैन , सुरेंद्र द्विवेदी, दुष्यंत कुमावत आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे।
संस्कृत भारती -- संस्कृति रक्षार्थ रक्षा सूत्र कार्यक्रम
आज रक्षा बंधन के पासवान अवसर पर संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में संस्कृत भारती द्वारा "संस्कृति रक्षार्थ रक्षा सूत्र कार्यक्रम" जगदीश मंदिर में 10.00 बजे से 12.00 बजे तक दो घण्टे आयोजित किया गया।
कार्यक्रम संयोजक नरेंद्र शर्मा ने बताया की "संस्कृति रक्षार्थ रक्षा सूत्र कार्यक्रम" के अंतर्गत वहाँ पधारे सभी लोगो को तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधे गए व संस्कृत दिवस की शुभकामना व रक्षा बंधन पर्व की शुभकामना दी गयी। साथ ही सभी को आज रक्षा बंधन पर्व पर संस्कृत दिवस की जानकारी दी गई तथा सभी को संस्कृत दिवस की बधाई देते हुए संस्कृत को दिनचर्या का हिस्सा बनाने व घर में स्वयं व अपने बच्चों को वेद, श्लोक गीता पाठ आदि का अभ्यास करने कराने हेतु भी आग्रह कर पत्रक एवं" संस्कृतं वदतु " पुस्तक का वितरण भी किया गया, ताकि संस्कृत जन जन की भाषा बन सके।

इस अवसर पर संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओ ने विदेशी सैलानियो को भी रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें रक्षा बंधन व संस्कृत दिवस की बधाई दी व इसकी महत्ता बताई । उन्होंने भी उत्साह दिखाते हुए" हैप्पी संस्कृत डे" बोलकर प्रसन्नता जताई। इस अवसर पर "संस्कृतम् वदतु" का प्रचार भी किया गया। वहाँ धार्मिक गीतों क स्थान पर संस्कृत गीतों से संस्कृतमय वातावरण बना ।
इस अवसर पर लोगो ने आनंद महसूस करते हुए संस्कृत के महत्व को जाना एवं संस्कृत देववाणी है और इसे जीवन में अपनाना चाहिए ।अगर भारत को विश्व गुरु बनाना है तो निश्चित रूप से संस्कृत ही उसका मुख्य आधार है, इन बातों को वहां आते जाते जन समुदाय ने स्वीकार भी किया।
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