कल्याण नगरी में भव्य उत्सव के रूप में मनाया ठाकुर श्री कल्लाजी का जन्मोत्सव

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Published on : 19 Aug, 18 05:08

कल्याण नगरी में भव्य उत्सव के रूप में मनाया ठाकुर श्री कल्लाजी का जन्मोत्सव चित्तौडगढ। यूं तो होली, दीपावली, जन्माष्टमी सहित कई पर्व कल्याण नगरी में पूरे उत्साह के साथ मनाए जाते है। लेकिन पिछले द्वादश वर्षो से वेदपीठ की स्थापना के साथ यहां कल्याण अष्टमी के रूप में ठाकुर श्री कल्लाजी का भव्य जन्मोत्सव भी पूरे नगरवासियों के लिए विशेष उत्सव का दिन बन चुका है। इसी कडी में शनिवार को वेदपीठ पर विराजीत ठाकुर जी का सतरंगी पिचवाई के साथ जरदोजी श्रृंगार इतना मन भावक था कि भक्तगण अपने आराध्य के अनुपम स्वरूप के अपलक दर्शन करते नजर आए। जन्मोत्सव के उपलक्ष में वेदपीठ को रजनीगंधा, मोगरा, गुलाब, आशापाल, केवडा, जरबरा, गेंदा, कमल, नाग चंपा सहित सतरंगी फूलों से सजाने के साथ ही ठाकुर जी का ६१ प्रकार के पुष्पों से पुष्पाभिषेक करने के फलस्वरूप समूचा वेदपीठ परिसर फूलों की महक से घमक उठा। इससे पूर्व मंगलादर्शन के साथ ही ठाकुर जी का लघू रूद्राभिषेक किया गया। अभिषेक के पश्चात ठाकुर जी का श्रृंगार करते समय १०१ किलो फूलों की माला पहनाकर भक्तों ने अपने आराध्य के प्रति विशेष श्रृद्धा प्रकट की।
नजरानों के लगे ढेर
वीरांगनाओं द्वारा मेहंदी से रचित ठाकुर के जन्म से लेकर निर्वाण तक की गाथा की वेशभूषा भेंट की गई। वहीं छेाटी काशी के रूप में विख्यात बांसवाडा के वेदमूर्ति हर्षत भाई नागर एवं इन्द्रशंकर झा की ओर से डिजीटल रूप में उपलब्ध लगभग ४०० वर्ष पुरानी हस्तलिखित पाण्डुलिपि ऋग्वेद एवं सामवेद को ठाकुर जी के भग्त द्वारा भेंट किया गया।
२०० विद्यालयों में मनाया जन्मोत्सव
कल्याण नगरी सहित आस पास के गांवो के लगभग २०० विद्यालयों में ठाकुर श्री कल्लाजी का जन्मोत्सव प्रार्थना सभा में पूरे उत्साह व श्रृद्धा के साथ मनाया गया। इस दौरान वेदपीठ से जुडे वीर, वीरांगनाओं, शक्ति ग्रुप की बालिकाओं तथा कृष्णा शक्ति दल की माता बहिनों द्वारा विद्यालयों में पहुंचकर विद्यार्थियों को ठाकुर जी के जन्मोत्सव की बधाई देते हुए जीवन्त परिचय देकर मीठा मुंह कराया। वहीं नगर के प्रमुख चौराहों पर भी वीर वीरांगनाओं द्वारा नगरवासियों एवं आगंतुकों को मंगल तिलक लगा, ईलायची भेंट कर जय श्री कल्याण के अभिवादन के साथ ठाकुर जी के जन्मदिन की बधाईयां दी गई।
हनुमान चालिसा का अखण्ड पाठ
ठाकुरजी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में सावन शुक्ला अष्टमी को वेदपीठ से जुडे वीर विरांगनाओं द्वारा हनुमान चालिसा का अखण्ड पाठ करते हुए सर्वत्र खुशहाली व अच्छी वर्षा की कामना की।
विभिन्न गांवो से आए पद यात्री
श्री कल्लाजी के जन्मोत्सव के अवसर पर बिनोता, भगवानपुरा, मण्डला चारण, नयांगाव सहित कई गांवो से सैंकडो पद यात्री ढोल नंगाडो, केसरियां ध्वज, डीजे साउण्ड के साथ जयकारे लगाते हुए कल्याण नगरी में पहुंचे, जिनका वेदपीठ की और से स्वागत किया वहीं पद यात्रियों ने भी पूरी श्रृद्धा और उत्साह के साथ अपने आराध्य के दर्शन कर जन्मोत्सव की बधाईयां देते हुए सर्वत्र खुशहाली की कामना की। ठाकुर जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष में दूर दराज से आए हजारों कल्याण भक्तों के कारण मंदिर परिसर में भी भक्तों की कतारें लगी रही, जिनमें से कई भक्त अपने आराध्य के मन भावन दर्शन, अनुठी झांकी को देखकर चकित थे। वहीं बाल विग्रह के रूप में हिण्डोलें में विराजीत ठाकुर जी को झूला झूलाकर स्वयं को धन्य किया।
भजनों की गूंजी स्वर लहरियां
श्री शेषावतार कल्लाजी के जन्मदिन के उपलक्ष में समूचा वेदपीठ परिसर भजनों की स्वर लहरियों से गूंज उठा। इस मौके पर सांवलियां सत्संग परिवार गिलूण्ड के लोक भजन गायकों द्वारा ठाकुर जी सहित शिव, गणेश, श्री राम, कृष्ण, हनुमान सहित अन्य देवों के मन भावन भजनों की प्रस्तुतियां देकर भक्तों को भक्ति सरिता में गोते लगाने को विवश कर दिया।
अनूठी रही लौटन यात्रा
ठाकुर जी की महिमा को देखते हुए रौजाना यहां सैकडो भक्त उनके दर्शन को उमडते है लेकिन उनके जन्मोत्सव पर एक भक्त बिनोता के खाकल देव मंदिर से निम्बाहेडा तक लोटन यात्रा करते हुए पहुंचा। बिनोता निवासी कुलदीप लखारा की इस अगाढ श्रद्धा को देखने के लिए मार्ग में जगह जगह लोगों की भीड मौजूद रही। लखारा के ठाकुर जी के दरबार में पहुंचने पर मौजूद अन्य भक्तजनों द्वारा उसका स्वागत किया गया।
पूण्य अर्जन के खुब हुए जतन
ठाकुरजी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में वेदपीठ की ओर से कल्याण गौशाला सहित नगर की अन्य गौशालाओं में भी गायों को हरा चारा और लाप्सी खिलाने के साथ ही चिंटीयों को कूलर, कबुतरों को दाना, अभ्यागतो को भोजन कराते हुए कई दिव्यांगो को नये वस्त्र भेंट कर मिष्ठानयुक्त भोजन कराते हुए उनके सुखद जीवन की कामना की गई।
मनाया क्षमायाचना पर्व
जिस प्रकार दीपावली के बाद एक दूसरे को शुभकामनाएं व पर्यूषण पर्व पर क्षमापना की जाती है, उसी कडी में ठाकुरजी से जुडे हजारो कल्याण भक्तो ने सावन शुक्ला अष्टमी को एक दूसरे को ठाकुरजी के जन्मोत्सव की बधाईयां देते हुए वर्षपर्यंत हुई भूलों व गलतियों के लिए क्षमायाचना की। वहीं दूसरी ओर कल्याण नगरी के प्रमुख चौराहो और मार्गो पर आने वाले महानुभवों को मंगल तिलक लगाकर जयश्री कल्याण के अभिवादन के साथ उन्हें भी ठाकुजी के जन्मदिन की बधाई दी गई।


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