’तनाव कम करने के लिए व्यक्तिगत भावनाओं एवं कार्य के बीच संतुलन आवश्यक ः डॉ एनके शर्मा ‘

( 4406 बार पढ़ी गयी)
Published on : 19 Aug, 18 05:08

’तनाव कम करने के लिए व्यक्तिगत भावनाओं एवं कार्य के बीच संतुलन आवश्यक ः डॉ एनके शर्मा ‘ उदयपुर, गीतांजली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी एवं एसोसिएशन ऑफ फार्मास्यूटिकल टीर्चस ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय राश्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन समारोह १८ अगस्त २०१८ को गीतांजली डेंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में हुआ। इस कार्यशाला का विषय ‘तनाव मुक्त हेल्थ केयर प्रोफेष्नल्स ः आत्मिक देखभाल एवं कल्याण‘ था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ एनके शर्मा जीएमएचआर जेके टायर कांकरोली, विशिष्ट अतिथि डॉ किशोर पुजारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, डॉ अशोक दशोरा डीन गीतांजली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, डॉ अंजू गोयल संयोजक महिला मंच-एसोसिएशन ऑफ फार्मास्यूटिकल टीर्चस ऑफ इंडिया (।च्ज्प्) व प्रो. बीएन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसिज एवं डॉ उदिचि कटारिया आयोजन सचिव व विभागाध्यक्ष गीतांजली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी द्वारा दीप प्रज्जवलन से कार्यशाला का शुभारंभ हुआ।
कार्यशाला की शुरुआत में डॉ अशोक दशोरा द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यशाला के मुख्य अतिथि डॉ एनके शर्मा ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि महिलाएं पुरुशों से ज्यादा तनाव में रहती है लेकिन वे फिर भी स्थिर होती है। उन्होंने हेल्थ प्रोफोषनल्स को संबोधित करते हुए कहा कि उनके काम में गुणवत्ता एवं बौद्धिक कल्याण बहुत जरुरी है। साथ ही कहा कि व्यक्तिगत भावनाएं एवं कार्य के बीच संतुलन बनाना भी आवष्यक है।
विषिश्ट अतिथि डॉ किशोर पुजारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि जीवन में तनाव, आकांक्षाओं और वास्तविकता के बीच का अंतर मात्र है। कई आंतरिक व बाहरी कारक तनाव का कारण बनते है जिनमें प्रमुख आस-पास का वातावरण मुख्य भूमिका निभाता है। हमें तनाव से दूरी बनाए रखने के लिए नियमित रुप से योग करना चाहिए। कार्यशाला के तकनीकी सत्र में पहले वक्ता गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के कार्डियोलोजिस्ट डॉ रमेश पटेल ने बताया कि तनाव शारीरिक, रसायनिक एवं भावनात्मक परिवर्तनों की प्रतिक्रिया है। तनाव के हृदय पर दीर्घकालिक प्रभाव पडते है जिससे हृदय रोग की संभावनाएं ४० प्रतिशत एवं हृदयघात की संभावनाएं कुछ २५ प्रतिशत तक बढ जाती है। तनाव को नियंत्रित करने के कई तरीके है जैसे अच्छा खाना खाएं, कई बार नहीं कहना अच्छा होता है, व्यायाम करें, आराम करें, धूम्रपान बंद करें, मुष्किल परिस्थितियों का आनंद लें, दोस्तों के साथ बाहर घुमने जाएं, परिवार के साथ समय बिताएं, बच्चों संग खेलें इत्यादि। इसी क्रम में डॉ उदिचि कटारिया ने कहा कि तनाव बहुत ही कम समय में हमारी ऊर्जा को क्षति पहुँचाता है। हम समय को नियंत्रित नहीं कर सकते, परंतु ऊर्जा को कई तरीकों से कर सकते है जैसे अच्छा खाना, नींद, ष्वास अभ्यास एवं समय का सही प्रबंधन।
योगाचार्य डॉ गुनीत मोंगा भार्गवा ने योग सत्र लिया था। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को सूर्य नमस्कार, वज्रासन एवं योग के कई तरह के आसान कराए थे जिनसे तनाव से मुक्ति मिलें।
इस कार्यशाला में देश भर से ८० से ज्यादा शिक्षाविद्, साइंटिस्ट, डॉक्टर्स, रिसर्च स्कोलर्स, पोस्ट डॉक्टरेट फैलो, फिजियोथेरेपिस्ट, नर्सिंग स्टाफ, हेल्थ केयर प्रोफोष्नल्स एवं पीजी मेडिकल स्टूडेंट्स ने भाग लिया था। कार्यक्रम का संचालन प्रो. संतोश कितावत ने किया व धन्यवाद ज्ञापन डॉ अंजू गोयल ने दिया। इस अवसर पर डॉ राहुल गर्ग उपाध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ फार्मास्यूटिकल टीर्चस ऑफ इंडिया-राजस्थान शाखा एवं आलोक भार्गव कार्यकारी सदस्य फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया भी उपस्थित थे।

साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.