भारत अभियान पर क्षैत्रीय कार्यशाला का आयोजन

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Published on : 11 Aug, 18 10:08

भारत अभियान पर क्षैत्रीय कार्यशाला का आयोजन उदयपुर । मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित उन्नत भारत अभियान के अन्तर्गत सहभागी संस्थाओं द्वारा गोद लिये गये ग्राम समूहों में उन्नत भारत अभियान की गतिविधियों की कार्ययोजना पर एक दिवसीय क्षैत्रीय कार्यषाला का आयोजन, अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में हुआ। कार्यषाला का आयोजन राश्ट्रीय समन्वयक, आईआईटी, नई दिल्ली व क्षैत्रीय समन्वयक, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के सहयोग से किया गया।
कार्यषाला के मुख्य अतिथी महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के माननीय कुलपति प्रो. उमा शंकर शर्मा ने बताया कि भारत में १२ करोड किसान हैं, जिनमें से ९.८ करोड सीमान्त व छोटे किसान हैं। इन किसानों के लिए ग्रामीण विकास की सभी योजनाओं को उच्च शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से गांवों के सर्वांगिण ग्रामीण विकास मे सक्रीय योगदान देने की आवष्यकता है। देष में १००० से ज्यादा विष्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थाओं में २ करोड विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जिनको इस अभियान से जोडा जा रहा है, जिससे नवयुवकों एवं विद्यार्थियों में भी ग्रामीण विकास के कार्यो में रूचि जागृत होगी और ग्रामीण विकास को तीव्र गति मिलेगी। उन्होनें बताया कि किसानों की आय प्रतिवर्श १ लाख से कम हैं, अतः सभी हितधारकों को गांवों में मिल कर कार्य करना होगा। कृशि विष्वविद्यालय के अलावा आईआईटी, एनआईटी, केन्द्रीय विष्वविद्यालय, डीम्ड विष्वविद्यालय तथा अन्य विष्वविद्यालय के पास यह एक सुनहरा अवसर है कि वे इस कार्यक्रम के माध्यम से गांवों तक अपनी पहुंच बनाएगें और देष के विकास मे अह्म योगदान देंगे।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि आईआईटी, नई दिल्ली के प्रो. विवेक कुमार ने बताया कि देश के उच्च शिक्षण संस्थान ग्रामीण विकास में अह्म भूमिका निभा सकते हैं। उन्होनें बताया कि उन्नत भारत अभियान की शुरूआत वर्श २०१४ में भारत सरकार द्वारा की गई थी तथा अभी उन्नत भारत अभियान २.० के रूप में इसका दूसरा चरण प्रारम्भ हुआ है। शिक्षण संस्थाओं ने पहले चरण में अच्छा प्रारंभिक कार्य किया है, जिसमें ग्रामीण सर्वे, उनकी समस्याओं की पहचान व निराकरण में तकनीकी सहयोग, सरकारी योजनाओं की जानकारी और उनका क्रियान्वयन इत्यादि अनके कार्य योजनाओं को शामिल किया गया है। उन्होनें बताया कि कृशि विष्वविद्यालयों ने अपने पाठ्यक्रम व योजनाओं में अनेक ग्रामीण विकास कार्यक्रमों को स्थान दिया है और उल्लेखनीय कार्य भी किए हैं, परन्तु अन्य संकायों इंजिनियरिंग, मेडीकल, साइन्स, आर्टस, कॉमार्स इत्यादि को अपने संस्थानों के सहयोग से इस अप्रतिम अभियान से जोडने की आवष्यकता है। उन्होनें प्रतिभागियों से आव्हान किया कि आगामी स्वतन्त्रता दिवस पर उनके द्वारा चयनित ग्राम सभाओं में जाकर अपनी कार्ययोजनाओं की घोशणा व ग्रामीण सहयोग से ग्राम विकास के कार्यक्रम निर्वाहित करें। उन्होनें यह भी बताया कि उन्नत भारत अभियान २.० में लघु योजनाओं के लिए फण्ड की व्यवस्था भी की गई है। इस वर्श की यह ११वीं क्षैत्रीय कार्यषाला है, जिसका मूल उद्धेष्य भारत सरकार की योजनाओं से सहभागी संस्थाओं को अवगत करवाना और सहयोगी संस्थाओं की सफलता से अन्य सहभागियों को रूबरू करवाना व आपसी संवाद कायम करना है।
कार्यषाला में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के उन्नत भारत अभियान के नियोजक डॉ. सुरेन्द्र कोठारी, निदेषक आयोजना व परिवेक्षण ने भी अपनी बात रखी। उन्होनें प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए उन्नत भारत अभियान के प्रथम चरण मेंकिए गये सर्वेक्षण कार्यों की प्रगति से सदन को अवगत कराया।
कार्यक्रम सहसंयोजक एवं क्षैत्रीय अनुसंधान निदेषक डॉ. एस. के. शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्नत भारत अभियान मे उच्च शिक्षण संस्थाओं की भागीदारी और कार्यक्षैत्रों पर प्रकाष डाला। उन्होनें बताया कि किस प्रकार विभिन्न कृशि व ग्राम विकास योजनाओं व तकनीकी के माध्यम से उच्च षिक्षण संस्थाऐं ग्राम विकास में अपना योगदान दे सकती हैं। उन्होनें बताया कि विभिन्न कृशि विकास तकनीकीयों यथा कृशि में मषीनरी के उपयोग, जल संरक्षण, उन्नत सिंचाई विधियों, जैविक खेती - पषुपालन व कृशि के सहयोगी उद्योग धन्धों से ग्रामीण विकास में सहयोग दिया जा सकता है।
कार्यषाला में गुजरात व राजस्थान की विभिन्न ४३ सहयोगी उच्च षिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ ही महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय के निदेषक प्रसार षिक्षा डॉ. जी. एस. तिवारी, आवासीय निदेषक डॉ. आर. ए. कौषिक, अधिश्ठाता डेयरी विज्ञान महाविद्यालय के डॉ. एल. के. मुर्डिया, वित्त नियंत्रक डॉ. कुमुदिनी चावरिया, सहायक निदेषक अनुसंधान डॉ. सुभाश भार्गव, विषेशाधिकारी डॉ. एस. एस. राठौड, प्रभारी कृशि सूचना केन्द्र डॉ. आई. जे. माथुर, अधिश्ठाता मात्स्यकी महाविद्यालय डॉ. सुबोध कुमार षर्मा, विभिन्न प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन सह-निदेषक, संचार केन्द्र डॉ. रेखा व्यास ने किया। उन्होनें कार्यषाला की रूपरेखा पर भी प्रकाष डाला।

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