समन्वित खेती प्रणाली से लाभ उठाने की जरूरत- प्रो. अशोक पटेल

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Published on : 05 Aug, 18 01:08

एम.पी.यू.ए.टी. की १९ वीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक सम्पन्न

समन्वित खेती प्रणाली से लाभ उठाने की जरूरत- प्रो. अशोक पटेल महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय की १९ वीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक शनिवार ४ अगस्त को अनुसंधान निदेशालय में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता एम.पी.यू.ए.टी. के कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा ने की। अपने उद्बोधन में उन्होंने बैठक की अनुशंसाओं की पालना करने, प्रसार प्रकाशनों की सदस्यता बढाने, कौशल विकास, मानव संसाधन विकास को बढाने, संख्या की बजाय गुणवत्ता पर ध्यान देने, खेती में महिला श्रम को घटाने व खेती में तकनीकों को बढावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें आजीविका को बढाने में कौशल विकास, उद्यानिकी, वानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन, जैविक खेती, प्रसंस्करण, जैविक उत्पादों के उत्पादन व उपयोग, जैविक कीट नियंत्रण पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है। बैठक में विशिष्ट ख्यात्नाम कृषि विशेषज्ञ सरदार पटेल कृषि विश्वविद्यालय दांतीवाडा (गुजरात) के माननीय कुलपति प्रो. अशोक ए. पटेल ने बारानी खेती पर ध्यान केन्दि्रत करने, कृषि के टिकाऊपन पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें समन्वित खेती प्रणाली को अपनाकर उससे लाभ उठाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि प्रति वर्ष नई तकनीकों को जोडते हुए ४-५ वर्ष में एक किसान सफल समन्वित खेती का मॉडल अपने खेत पर विकसित कर सकता है। उन्होंने फसलोत्पादन के भण्डारण व नियमन पर भी ध्यान देने की बात कही साथ ही गायों की नस्ल सुधार खासतौर पर देसी नस्ल कांकरेज को बढावा देने में सहयोग की बात कही। बैठक में उपस्थित प्रो. के. पी. सिंह माननीय कुलपति, चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार (हरियाणा) ने ख्यात्नाम कृषि विशेषज्ञ के रूप में अपने सुझाव देते हुए कहा कि हमे समय के साथ बदलने की आवश्यकता है, कृषि मे नवाचारों को अपनाने, स्वदेसी तकनीकों में सुधार करने, कौशल विकास, सोलर पावर, जैविक खेती, मछलीपालन को अपनाने, लागत को कम करने, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि अभियांत्रिकी को बढावा देने व कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रगतिशील कृषकों को आगे लाने की आवश्यकता है। बैठक के प्रारम्भ में प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. जी. एस. तिवारी ने वर्ष २०१७-१८ के परिषद् द्वारा लिऐ गए निर्णयों की क्रियान्वयन रिपोर्ट प्रस्तुत की साथ ही १८ वीं प्रसार शिक्षा परिषद की अनुशंसाओं का अनुमोदन भी किया गया। प्रो. तिवारी ने बताया कि वर्ष २०१७-१८ में प्रसार शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत ९३ अल्पावधि प्रशिक्षण १८३ एक दिवसीय प्रशिक्षण गांवों में आयोजित किए गए जिससे क्रमशः ३५८६ व ६३०२ कृषक व कृषक महिलाऐं लाभान्वित हुई हैं। निदेशालय ने वर्ष २०१७-१८ में २ कौशल विकास प्रशिक्षण, १५० हेक्टर क्षेत्र में १६३६ प्रथम पंक्ति प्रदर्शन व टी.एस.पी. क्षेत्र में भी ४२७ प्रदर्शन १३६ हेक्टर क्षेत्र में लगाऐ हैं। उन्होंने बताया कि निदेशालय ने फसलोत्पादन, पशुपालन, उद्यानिकी व मृदा विज्ञान से सम्बन्धित २० प्रक्षेत्र परीक्षण आयोजित किऐ। उन्होंने विभिन्न कृषि प्रसार गतिविधियों, जैसे बीजोत्पादन, जैविक खेती, फल-सब्जी उत्पादन, पौध निर्माण, मिट्टी व जल जांच, प्रकाशनों व विशिष्ट योजनाओं के बारे में भी बताया। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष एम.पी.यू.ए.टी. में दो नये कृषि विज्ञान केन्द्र, सियाखेडी-वल्लभनगर (उदयपुर) व अर्निया घोडा, शाहपुरा, (भीलवाडा) में प्रारम्भ किए गऐ हैं जिनके भवन का कार्य शीघ्र ही प्रारम्भ किया जायेगा। विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्रों से जुडे प्रगतिशील कृषक श्री भंवर कुमावत को भारतीय खाद्य एवं कृषि संस्थान द्वारा पुरस्कृत करने व एम.पी.यू.ए.टी. स्टॉल को भेड व ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर (टोक) द्वारा एवं पश्चिमी क्षेत्रीय कृषि मेला, जोधपुर में श्रेष्ठ प्रदर्शनी हेतु सम्मानित किया गया। साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्र, राजसमंद को कृषि नवाचार के उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मानित किया गया है। इस अवसर पर सभी निदेशकों व अधिष्ठाताओं ने भी अपने विचार प्रकट किऐ, प्रगतिशील कृषक श्री अली अकबर मूसली, श्री परसराम शर्मा, श्रीमती कमला भील ने भी अपने विचार प्रकट किए और अपनी सफलता की कहानी सभी से सांझा की। कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौडगढ के प्रभारी, डॉ. एस.के.अग्रवाल ने विगत तीन वर्षों के लिए गए कार्यों का प्रतिवेदन व कृषकों की सफलता की कहानी बताई। बैठक में विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक अनुसंधान, निदेशक छात्र कल्याण, निदेशक आयोजना व परिवीक्षन, निदेशक आवासीय निदेशन, कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रभारी, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, विश्वविद्यालय की वित्त नियंत्रक डॉ. कुमुदिनी चांवरिया, प्रभारी, कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केन्द्र डॉ. आई.जे.माथुर, क्षेत्रीय निदेशक, बांसवाडा, उदयपुर व भीलवाडा के कृषि वैज्ञानिक इत्यादि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लतिका व्यास ने किया। धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. पी.सी.चपलोत, प्रोफेसर एवं परियोजना प्रभारी, बॉयोफयूल ने दिया।
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