13.5 लाख की मौत तंबाकू जनित कैसंर से

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Published on : 27 Jul, 18 12:07

इस सदी तक अरबों की मौत का कारण हेागा तंबाकू: विशेषज्ञ

13.5 लाख की मौत तंबाकू जनित कैसंर से नई दिल्ली देशभर में प्रतिवर्ष 13.5 लाख से अधिक लोग तंबाकू से होने वाली बीमारियों से दम तोड़ देतें है। इसमें युवा अवस्था में होने वाली मौतों का कारण भी मुंह व गले का कैंसर मुख्य है। हालांकि पूरी दुनियंाभर में 27 जुलाई को वल्र्ड हैड नेक कैंसर डे आज ही के दिन मनाया जा रहा है।

वर्ल्ड हैड.नेक कैंसर डे 27 जुलाई के अवसर पर कैंसर रोग विशेषज्ञों ने एक बहुत ही चिंताजनक आशंका जताई है कि 21 वीं शताब्दी तक तम्बाकू के उपयोग के कारण अरबों मौतें होंगी। यदि कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ तेा इन मौतों में 80 प्रतिशत मौतें विकासशील देशों में होगी। विशेषज्ञों ने 27 जुलाई को विश्व सिर एवं गला कैंसर दिवस के अवसर पर लोगों से तंबाकू से दूर रहने की अपील करते हुए यह आशंका जताई और कहा कि कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू सेवन है।

वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस(वीओटीवी) के स्टेट पैटर्न व मैक्स अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. हरित चतुर्वेदी बतातें है कि इलाज के 12 महीने के भीतर नए निदान किए गए सिर और गला कैंसर के लगभग आधे मरीज नहीं बच पाते। दो तिहाई सिर और गला का कैंसर तम्बाकू के कारण होता है। भारत में प्रतिवर्ष 1.75 लाख हैड नेक कैंसर के नए रोगी आ रहे है। वंही यह आकंडा पुरुषेंा में 76 प्रतिशत और महिलाअेंा में 24 प्रतिशत है।

टाटा मेमोरियल अस्पताल और वॉयस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) के संरक्षक और सर्जिकल ओन्कोलॉजी डॉ पंकज चतुर्वेदी ने कहा सिर एवं गला कैंसर, मुंह, कंठनली, गले या नाक में होता है। हेड एंड नेक कैंसर भारत में कैंसर का सबसे बड़ा स्रोत हैं। निदान के 12 महीने के भीतर नए निदान किए गए सिर एवं गला कैंसर कैंसर के लगभग आधे मरीज मर जाते हैं। विरोधाभासी रूप से, दो-तिहाई सिर एवं गला कैंसर के ज्ञात एजेंटों में तंबाकू, अरेका अखरोट और शराब से संबंधित हैं। दुर्भाग्यवश, ये कारक एजेंट कमजोर नीति या कार्यान्वयन या इसकी अनुपस्थिति के कारण स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हैं।

उन्होंने बताया कि भारत में चबाने वाले तंबाकू से धूम्रपान की तुलना की जाती है। 90 प्रतिशत मुंह और गले के कैंसर का कारण तंबाकू का उपयोग है। भारत में दुनिया में चबाने वाली तंबाकू की सबसे अधिक खपत के कारण बदनाम है। यह लत के लिए सस्ता और आसानी से उपलब्ध है और पिछले दो दशकों में इसकी बढ़ती खपत से मुंह के कैंसर में खतरनाक ढंग से वृद्धि हुई है।

डॉ चतुर्वेदी ने कहा कि स्थिति खतरनाक हो रही है, इसलिए प्लेज फॉर लाइफ अभियान भारत में कैंसर को कम करने के लिए समाधान और निवारक रणनीति है। इस अभियान का उद्देश्य सभी शैक्षिक संस्थानों को तम्बाकू मुक्त करना है ताकि बच्चे तंबाकू के उपयोग शुरू नहीं कर सकें।

उन्होेने कहा, हमें कैंसर को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए, खासतौर पर जो रोकथाम योग्य हैं। स्वस्थ समाज के लिए सभी निवारक उपायों के लिए हमारा ध्यान युवाओं पर होना चाहिए। तंबाकू के उपयोग के कारण हर साल भारत में 13.5 लाख लोग प्रतिवर्ष मर रहे हैं जो कैंसर का एक प्रमुख कारण है।

गौरतलब है कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017-18 के अनुसार, तम्बाकू की खपत के कुल प्रसार का 28.6 प्रतिशत में भारत में 21.4 प्रतिशत चबाने वाले तंबाकू का उपयोग होता है जबकि 10.7 प्रतिशत धूम्रपान सिगरेट और बिड़ी का।

भारत सरकार ने गुटका, स्वाद, पैकिंग चबाने वाले तंबाकू पर प्रतिबंध लगाकर ऐतिहासिक निर्णय लिया है। वास्तव में, 23 सितंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार भारत में जुड़वां पैक सहित धुएं रहित तम्बाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सरकार के खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने 20 जुलाई, 2018 को अपने स्वास्थ्य के हित में सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में एक वर्ष, निर्माण, भंडारण, वितरण, परिवहन या सुपारी की बिक्री के लिए निषिद्ध है, जिसे या तो स्वाद, सुगंधित या मिश्रित किया गया है नशे की लत के नाम से या स्वादयुक्त सुगंधित सुपारी के रूप में जाना जाता है, चाहे पैकेज किया गया हो या अनपॅक हो और या एक उत्पाद के रूप में बेचा जाता हो या अलग उत्पादों के रूप में पैक किया गया हो, तो इस तरह वितरित बेचा जाता है ताकि इसका आसानी से मिश्रण हो सके।

वॉयस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) के पैट्रन ने राज्य के मुख्मयंत्री को ज्ञापन देकर प्रदेश में सुगंधित व फलेवर्ड सुपारी को बेन करने की मंाग की है। ताकि इससे होने वाली मौतों में कमी आ सके।
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