तपोभूमि लालीवाव मठ में यज्ञ पूर्णाहुति से नानी बाई रो मायरों कथा

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Published on : 27 Jul, 18 10:07

तपोभूमि लालीवाव मठ में यज्ञ पूर्णाहुति से नानी बाई रो मायरों कथा शहर के ऐतिहासिक तपोभूमि लालीवाव मठ में पांच दिनों से चली आ रही नानी बाई रो मायरों कथा गुरुवार को सायं यज्ञ पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न हो गई।

नानी बाई रो मायरों कथा में 56 करोड़ का मायरा

आज नानी बाई रो मायरों कथा के बीच में मायरा का आयोजन हुआ जिसमें सांवलिया सेठ को पद्मनाभ मंदिर से अपने खन्दों पर सियारामदासजी महाराज एवं मायरा सभी भक्तजन द्वार पोटलियों में अपने सीर पर लेकर चल रहे थे जिसमें लालीवाव मठ के पीठाधीश्वर एवं मठ परिसर के सभी भक्तजन ढ़ोल नगारों के साथ चल रहे थे जैसे हि मायरा कथा पाण्डाल में पहुंचा भक्त झुम उठे । मायरा में सभी भक्तों को कपड़े, साफे, धोती, साड़ी, दुपट्टे, मखाना, मिश्री, चाकलेट आदि लुटाया गया । भक्त प्रभु का मायरा का दिया हुआ प्रसाद से भाव विभोर हो गए एवं मायरे में प्रत्येक श्रोताओं को भारतीय मुद्राए भी बांटी गई ।

तपोभूमि लालीवाव मठ परिसर में वैदिक ऋचाओं और पौराणिक मंत्रों के साथ लालीवाव पीठाधीश्वर महंत हरिओमशरणदास महाराज के सान्निध्य तथा कर्मकाण्डी पण्डित ईच्छाशंकरजी आचार्य, पं. समरत मेहता एवं टीम के आचार्यत्व में भागवत यज्ञ हुआ। इसमें आशीषजी गोयल व धर्मपत्नी सिमा अग्रवाल परिवार ने श्रीफल से पूर्णाहुति अर्पित की। पार्थिव रुद्राभिषेक श्री निमेश पटे, राजु पटेल द्वारा किया गया । इस पूर्व व्यासपीठ का माल्यार्पण, श्री गोपालसिंह, श्री महेश राणा, राजेश भाई, श्री राजु सोनी, श्री धरमु भाई पंचाल, महेन्द्रजी पुरोहित एवं सरस्वती विद्या मंदिर उदाजी का गड़ा परिवार आदि द्वारा व्यासपीठ का पूजन किया।

कथा के अंतिम में मठाधीश एवं लालीवाव मठ परिवार द्वारा कथा वाचन का शोल ओढ़ाकर एवं भेट विदाई से स्वागत किया गया । इसी क्रम में सबका सम्मान हुआ ।

गुरू महिमाः-जय माला दीदी वैष्णव ने अपने प्रवचन में बताया कि गुरू शब्द का अभिप्राय अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना है। जिस व्यक्ति का कोई गुरू नहीं होता है वह सही मार्ग पर नहीं चल सकता है। अतः प्रत्येक को जीवन में गुरू अवश्य बनाना चाहिए।


आज प्रातः 5 बजे से गुरुपूर्णिमा महामहोत्सव

इस अवसर पर गुरुगादी पूजन-प्रातः 5 बजे से, महाप्रसादी भण्डारा-10 से 1 बजे, गुरुदीक्षा-प्रातः 11 से 1 बजे, महाआरती दोपहर 1 बजे, भजन कीर्तन -सायं 5 बजे, जिसमें आप सभी धर्मप्रेमी सादर प्रार्थनीय है। नोट - चन्द्रग्रहण सूतक के कारण 27 जुलाई को गुरुपूर्णिमा के दिन दोपहर 2 बजे सभी उत्सव सम्पूर्ण हो जायेगे एवं भगवान के पट बंद कर दिए जायेंगे । कृपया समय का विशेष ध्यान रखे । सायं - केवल कीर्तन किया जायेगा ।


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