गुरु के पास ज्ञानी बनकर नहीं जाएं, तभी होगा कल्याण - जयमाला दीदी

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Published on : 26 Jul, 18 10:07

तपोभूमि लालीवाव मठ में ‘नानी बाई रो मायरो’ कथा का आयोजन

गुरु के पास ज्ञानी बनकर नहीं जाएं, तभी होगा कल्याण - जयमाला दीदी शहर के ऐतिहासिक तपोभूमि लालीवाव मठ में जयमाला दीदी ने नानी बाई को मायरों कथा सुनाया भगवान पर भरोसा करके भक्त नरसीजी भक्त मण्डली के साथ नाई बाई का मायरा भरने के लिए रवाना हुए । उन्हें पूरा भरोसा था कि भगवान उनकी लाज अवश्य रखेगे, जबकि नानी बाई के ससुराल वालों ने मायरे में लंबी चौड़ी मांग रखी थी । मायरा भरने पहंुचने पर जोशी ने नानी बाई के ससुर श्रीरंगजी से बधाई लेने के बाद, जब उन्हें हकीकत से अवगत कराया तो उनके गुस्से का कोई ठिकाना न था । नरसीजी को टूटी सी बैलगाड़ी और मरियल से बैल ही मिले । रास्ते में गाड़ी टूट गई पर भगवान ने खाती का रूप धारण कर उनका काम सार दिया ।
हमें जीवन में सब कुछ मिला है, यह जस छूटने लगता है तभी हम दुखी होने लगते हैं । इसका कारण जो मिला है वह सब नाशवान है, उसे तो एक दिन छूटना ही है । यह जब सब छूटते हैं तब जीवन दुखी होता है । संसार में रहना गलत नहीं है, गलत है संसार को अपने में बसाना । उक्तबात बात तपोभूमि लालीवाव मठ में प्रतिवर्ष के भांति इस वर्ष भी गुरुपूर्णिमा महामहोत्सव के तहत प.पू. महामण्डलेश्वर श्री हरिओमदासजी महाराज के सानिध्य आयोजित पंच दिवसीय नानी बाई रो मायरों कथा में चौथे दिन कथा व्यास जयमाला दीदी वैष्णव ने कही । उन्होने कहा कि संसार में जितना रमोगे उतना संसार से मोह होता चला जाएगा ।
सब रुठ जाएं पर भगवा को मत रुठने देना - जयमाला दीदी
मनुष्य को कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए । अगर वह अभिमान में जिएगा, तो वह भगवान का कृपा पात्र नहीं रहेगा । व्यक्ति को अच्छे-बुरे का फैसला प्रभु पर छोड़ देना चाहिए । आज के दौर में व्यक्ति को खुद ही यह सोचना होगा कि वह जो कर रहा है, वह अच्छा कर रहा है या बुरा । व्यापार करना या धन कमाना जरुरी है, लेकिन भगवान का साथ कभी मत छोड़ना । यह बात जयमाला दीदी वैष्णव ने तपोभूमि लालीवाव मठ में चल रही कथा में कही ।

पार्थेश्वर महापूजा एवं रुद्राभिषेक पूजन आर्चा श्री ईच्छाशंकरजी पण्डित, श्री समरत मेहता पण्डित, श्री घनश्यामजी पण्डित के आचार्यत्व में सुभाष अग्रवाल एवं अग्रवाल परिवार द्वारा किया । लालीवाव मठ शिष्यों ने विधिविधान के साथ पार्थिव शिवलिंग का पूजन किया गया। कथा के पारम्भ में माल्यार्पण, गोपालसिंह, सुभाष अग्रवाल, सुखलाल तेली, योगेश वैष्णव, महेश राणा, धरमु भाई, राजु भाई, भगवती भाई, विमल भट्ट, ईश्वरीदेवी वैष्णव, सुजान राठौड़, डॉ. विश्वास, भूपेन्द्रजी तनिक आदि लालीवाव मठ भक्त एवं इंदौर, नीमच, तारापुर बहार से आये भक्तों द्वारा किया गया । कार्यक्रम का संचालन डॉ. दीपक द्विवेदी ने किया ।

शुक्रवार 27 जुलाई को प्रातः 5 बजे से गुरुपूर्णिमा महामहोत्सव
इस अवसर पर गुरुगादी पूजन-प्रातः 5 बजे से, महाप्रसादी भण्डारा-10 से 1 बजे, गुरुदीक्षा-प्रातः 11 से 1 बजे, महाआरती दोपहर 1 बजे, भजन कीर्तन -सायं 5 बजे, जिसमें आप सभी धर्मप्रेमी सादर प्रार्थनीय है। नोट - चन्द्रग्रहण सूतक के कारण 27 जुलाई को गुरुपूर्णिमा के दिन दोपहर 2 बजे सभी उत्सव सम्पूर्ण हो जायेगे एवं भगवान के पट बंद कर दिए जायेंगे । कृपया समय का विशेष ध्यान रखे । सायं - केवल कीर्तन किया जायेगा ।

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