बच्चे के गले में दुर्लभ गांठ का सफल ऑपरेषन

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Published on : 06 Jul, 18 17:07

गीतांजली हॉस्पिटल के बाल एवं षिषु रोग सर्जन द्वारा सफल उपचार

बच्चे के गले में दुर्लभ गांठ का सफल ऑपरेषन उदयपुर, गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के बाल एवं षिषु सर्जन डॉ अतुल मिश्रा ने ६ वर्शीय बच्चे के गले में गांठ, डुप्लीकेषन सिस्ट एक दुर्लभ जन्मजात विकृति, की जटिल सर्जरी कर रोग मुक्त किया। चिकित्सकों के दल में निष्चेतना विभाग की डॉ सुनंदा गुप्ता, डॉ ललिता एवं स्टाफ में कामना, महेंद्र, सरिता व फिरोज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बांसवाडा निवासी अजय (उम्र ६ वर्श) को सांस लेने में निरंतर तकलीफ हो रही थी। धीरे-धीरे उसके गले में सूजन आने लगी। गीतांजली हॉस्पिटल में बाल एवं षिषु सर्जन डॉ अतुल मिश्रा से परामर्ष एवं सीटी स्केन की जांच से पता चला कि खाने की नली से चिपकी हुई एक बडी रसौली है। यह रसौली, सांस की नली को दबा रही थी जिस कारण बच्चे को सांस लेने में परेषानी हो रही थी। इसलिए सर्जरी कर रसौली को निकालने का निर्णय लिया गया। क्योंकि यह रसौली बडे आकार (गेंद जितनी बडी - १०ग्१५ सेंटीमीटर) की थी, खाने की नली से चिपकी हुई थी और सांस की नली को दबा रही थी इसलिए यह सर्जरी काफी जोखिमपूर्ण थी। लगभग पांच घंटें चले ऑपरेषन में इस गांठ (रसौली) को सफलतापूर्वक निकाला गया। रसौली की जांच करने पर पता चला कि यह डुप्लीकेषन सिस्ट है, जो कि अपने आप में एक दुर्लभ गांठ होती है। बच्चा अब पूर्णतः स्वस्थ है।
डॉ अतुल मिश्रा ने बताया कि डुप्लीकेषन सिस्ट एक दुर्लभ जन्मजात विकृति होती है। आंकडों की बात की जाए तो कुल जनसंख्या में से यह सिस्ट केवल ०.०१ प्रतिषत में ही पायी जाती है। आमतौर पर डुप्लीकेषन सिस्ट वाले मरीज असम्बद्ध होते है, परंतु आस-पास की संरचनाओं के दबाव के कारण सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द जैसे लक्षण विकसित हो सकते है।
डॉ अतुल मिश्रा ने पिछले दो वर्शों में बच्चों में पेट, पेषाब व गुर्दे एवं छाती की सर्जिकल बीमारियों का गीतांजली हॉस्पिटल में सफलतापूर्वक इलाज कर चुके है।

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