
उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित मासिक नाट्य संध्या ’’रंगशाला‘‘ में रविवार को प्रसिद्ध साहित्यकार मुशी प्रेमचंद की कथा पर आधारित नाटक ’’सवा सेर गेहूँ‘‘ का मंचन डॉ. विकास कपूर के निर्देशन में किया गया जिसमें गरीबों के शोषण की पराकाष्ठा को भावपूर्ण ढंग से अभिव्यक्त किया गया।
शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में जोधपुर की आकांक्षा सोसायटी के रंगकर्मियों द्वारा मुंशी प्रेमचंद की कथा पर आधारित, चित्रा मुद्गल द्वारा रूपांतरित व डॉ. विकास कपूर द्वारा निर्देशित नाटक ’’सवा सेर गेहूँ‘‘ में शोषण की अनूठी दास्तां का चित्रण सशक्त ढंग से किया गया।
भारत की स्वतंत्रता से पूर्व लिखी गयी एक अविस्मरणीय कहानी का मंचन है. न केवल इस कहानी की विषय-वस्तु हमें आभास कराती है कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले कृषक किन कठोर परिस्तिथियों में जीवन जीने को मजबूर हैं, बल्कि यह सीख भी देती है कि शोषण करने वाला समाज लगभग स्थायी रूप से हमारे इर्द-गिर्द मौजूद रहा है.
नाटक एक गरीब किसान शंकर की कथा कहता है जिसके घर एक साधु पधारते हैं और रात का खाना मांग बैठते हैं. शंकर के घर केवल जौ का आटा होता है, इस कारण उसकी पत्नी कमला उसे पास-पडोस से गेहूं का आटा मांग लाने को कहती है. गाँव के एक महाजन पंडित विप्र महाराज शंकर को सवा सेर गेहूं उधार देने का प्रलोभन देते हैं. कालांतर में उसपर ब्याज लगा कर उस गेहूं के एवज में साढे पांच मन गेहूं अदा करने को बाध्य कर देते हैं. शंकर बंधुआ मजदूरी करने पर विवश हो जाता है और कुछ वर्षों मे भूख, अवसाद और लाचारी से दम तोड देता है. अंत में पंडित विप्र महाराज अपने सेवक से शंकर के पुत्र बुधवा को बुलावा भेजता है. नाटक इस मोड पर समाप्त होता है कि बुधवा भी बंधुआ मजदूरी कर बाप का लिया कर्ज उतारने को जुट जाता है और कष्ट पाता है।
कलाकारों में शंकर के किरदार में मोहम्मद इमरान का अभिनय भावपूर्ण व चरित्र के अनुकूल रहा वहीं विप्र महाराज की भूमिका में उम्मेद भाटी ने अपनी चतुराई वाला अभिनय रोचक ढंग से किया। महात्मा के चरित्र में राजकुमार चौहान व रामेश्वर बाबू के रूप में अभिषेक त्रिवेदी का अभिनय दर्शकों को रास आया। वहीं कमला की भूमिका में नेहा मेहता व बुधवा के किरदार में दीपक व्यास ने अपने अभिनय से प्रभावित किया । अन्य कलाकारों में ग्रामीण १- मनोहर सिह चौहान, ग्रामीण-२ पार्थ सारथी तिवारी, ग्रामीण ३- हिमांशु जोशी, ग्रामीण महिला- अन्तिमा व्यास, फुलवा- अफजल हुसैन शामिल हैं। प्रस्तुति में वेषभूषा अभिषेक त्रिवेदी व मनोहर सिह चौहान, रूप सज्जा-मोहम्मद इमरान, नौशाद ख्ाान, मंच सज्जा- मनोहर सिह चौहान, प्रिया तापडया, अखिल लड्डा, अंकिता भट्टड, सार्थक कपूर, अर्पिता जैन संगीत गौरव वशिष्ठ की थी।
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