संस्कृतभारती का 12 दिवसीय आवासीय भाषा बोधनवर्ग शिविर का हुआ समापन

( 31009 बार पढ़ी गयी)
Published on : 01 Jun, 18 11:06

संस्कृत से ही सामाजिक समरसता का भाव जगेगा- देवेंद्र पंड्या

संस्कृतभारती का 12 दिवसीय आवासीय भाषा बोधनवर्ग शिविर का हुआ समापन संस्कृत को जन जन तक पहुंचाने हेतु कृतसंकल्पित संस्कृत भारती द्वारा विद्या निकेतन सेक्टर 4 विद्यालय में आयोजित हो रहे संस्कृत भाषा बोधन वर्ग का दिनांक 31/05/18 को समापन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा व संस्कृत शिक्षा मंत्री राजस्थान सरकार किरण माहेश्वरी, विशिष्ठ अतिथि भाजपा प्रदेश धार्मिक प्रकोष्ठ संयोजक व विद्या भारती राजसमंद के संरक्षक वीरेंद्र पुरोहित, भाजपा उदयपुर जिले अध्यक्ष दिनेश भट्ट, अरावली इस्टीट्यूट के निदेशक गोविंद दीक्षित, मुख्य वक्ता संस्कृतभारती प्रान्त संघटन मंत्री देवेंद्र पंड्या , एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ उमाशंकर शर्मा द्वारा की गई ।
प्रान्त प्रचार प्रमुख डॉ यज्ञ आमेटा ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण कर किया गया इसके उपरांत छात्राओं द्वारा ईश वंदना प्रस्तुत की गई कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का स्वागत एवं परिचय वर्ग अधिकारी डॉ यज्ञ आमेटा द्वारा करवाया गया।
संपूर्ण शिविर का प्रतिवेदन पीयूष गुप्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया , जिसमें शिविर की संपूर्ण दिनचर्या ,सम्पूर्ण संस्कृत मय वातावरण के बारे में बताया गया।।
इसके उपरांत शिक्षार्थी मोना द्वारा संस्कृत गीत पर गणेश वंदना प्रस्तुत की गई ।
कार्यक्रम में कोटा के लघु बालक कृष प्रजापत एवं आस्था पंड्या ने अपने शिविर के अनुभव प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर छात्राओं द्वारा शिविर में प्रतिदिन सीखे आत्मरक्षा के गुर एवं नियुद्ध कार्यक्रम का प्रस्तुतीकरण किया।
मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृत भारती के प्रांत संगठन मंत्री देवेंद्र पांडेय ने बोलते हुए कहा किदेश में सामाजिक समरसता व राष्ट्रीय के भाव को जगाने के लिए संस्कृत सबसे अच्छा साधन है क्योंकि पूरे देश में हम देखते हैं कि अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग भाषाओं के कारण भाषावाद जातियों के कारण जातिवाद पनपता जा रहा है अगर हमें पूरे देश को एक रखना है और राष्ट्रीय भाव जागृत करना है अपने देशवासियों के अंदर पुरखो का जो दिया हुआ ज्ञान है उस के माध्यम से स्वाभिमान लाना है तो एक मात्र साधन संस्कृत है जो हमारे समाज में एकता का सूत्र पिरो सकती है क्योंकि संस्कृत ऐसी भाषा है जो सभी भाषाओं की जननी है और सभी भाषाओं में संस्कृत के 75% से अधिक शब्द हैं । संस्कृत भाषा को बढ़ावा देंगे तो सभी भाषा अपने आप बढ़ेगी और समाज में एकता का भाव जागेगा व ऊंच नीच का भाव समाप्त होगा।
उच्च शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा मंत्री राजस्थान सरकार किरण माहेश्वरी ने मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए कहा कि कि मैं इतने सारे विभिन्न जिलों से आए शिक्षार्थियों को एक साथ संस्कृत में बोलते हुए देख अत्यंत प्रसन्न हूं उन्होंने कहा कि शिविर में शास्त्र विद्या के साथ-साथ बालिकाओं को शस्त्र विद्या भी सिखाई गई यह भी एक सराहनीय विषय है उन्होंने बताया कि भारत में 17000 परिवार संस्कृत में संभाषण करते हैं यह भी सराहनीय है। संस्कृत भारती के इस प्रयास को भी उन्होंने अत्यधिक सराहा। इस अवसर पर उन्होंने आश्वासन दिया कि राजस्थान में की गई संस्कृत के उन्नयन को लेकर किए गए कार्यों को और भी बढ़ाया जाएगा एवं संस्कृत भारती के माध्यम से संस्कृत शिक्षकों के लिए भी हम ऐसे 3 दिवसीय संभाषण शिविर आयोजित करने की मंशा जताई ।
उन्होंने कहा कि सभी भाषाओं को पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी संस्कृत संभाषण आना चाहिए इसके लिए भी संस्कृत भारती के माध्यम से संस्कृत संभाषण शिविरों का आयोजन कर संस्कृत को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
उन्होंने छात्रों से संस्कृत वस्तुओं के बारे में संस्कृत में अर्थ पूछ कर शिविर किए अनुभव का जायजा भी लिया दाल को क्या कहते हैं सब्जी को क्या कहते हैं सभी छात्रों ने सामूहिक जवाब देकर उनका मन मोह लिया
इस अवसर पर उन्होंने निंबाहेड़ा में प्रारंभ होने वाले वेद विश्वविद्यालय के बारे में भी जानकारी प्रदान की कि शीघ्र ही वह प्रारंभ हो जाएगा इसके लिए हम कटिबद्ध है तथा उन्होंने बच्चों के साथ-साथ बूढ़े बुजुर्गों को भी एवं परिवार के सभी सदस्यों को संस्कृत संभाषण की शिक्षण की पद्धतियों से अवगत कराया जाना चाहिए इस पर उन्होंने बल दिया । उन्होंने विश्वास जताया कि संस्कृत संभाषण को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे संस्कृत भारती के इस अथक प्रयास को मैं और भी सफल बनाने के लिए हरसंभव प्रयत्न करूंगी एवं मैं स्वयं भी आगामी विधानसभा के शपथ ग्रहण समारोह में जब भी मौका मिला तब संस्कृत में ही शपथ लूंगी ऐसा सभी को विश्वास दिलाती हूं, ऐसा कहकर उन्होंने संस्कृत के संवर्धन में अपनी सभी संभव कोशिशों को अंजाम देने का आश्वासन दिया।
अध्यक्षता करते हुए उमा शंकर जी शर्मा ने बताया कि संस्कृत देववाणी है और वैज्ञानिक की भाषा के साथ-साथ सभी भाषाओं की जननी है तथा उन्होंने कहा कि संस्कृत बोलने से मुख के सभी भागों का विकार दूर होता है एवं इसलिए संस्कृत का आचरण व्यवहार में लाया जाना चाहिए।
समापन समारोह के इस अवसर पर संस्कृत वस्तु प्रदर्शनी का भव्य आयोजन भी किया गया जो कि सभी सामाजिक लोगों में एवं उपस्थित जन समुदाय में आकर्षक का केंद्र रहा जिसमें दैनिक उपयोगी वस्तुओं को संस्कृत में किन नामों से पुकारते हैं उनका विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया जिस में मुख्य रुप से कंघी को कंकतम, ब्रश को कूर्च , साबुन को फेनकम, पंखे को व्यजनम, रोटी को रोटिका, सब्जी को शाकम, दाल को सूप: आदि विस्तृत विवरण प्रस्तूत किया गया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से बड़गांव प्रधान खूबी लाल पालीवाल, अभय सिंह राठौड़, हिमांशु भट्ट, भगवती शंकर व्यास, संजय शांडिल्य ,विष्णुदत्त ,पंकज पालीवाल, प्रभात आमेटा, दुर्गा कुमावत, अर्चना शर्मा मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.