संस्कृत के उद्घोषों से गूंजा शहर

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Published on : 30 May, 18 10:05

भव्य संस्कृत चेतना यात्रा निकाल दिया संस्कृत भाषा के संवर्धन का संदेश

संस्कृत के उद्घोषों से गूंजा शहर संस्कृत को जन जन तक पहुंचाने हेतु कृतसंकल्पित संस्कृत भारती द्वारा चलाए जा रहे 12 दिवसीय आवासीय संस्कृत भाषा बोधन वर्ग जो कि 21 मई 2018 से प्रारंभ होकर 1 जून 2018 तक आयोजित किया जा रहा है जिसके अंतर्गत आज संस्कृत चेतना यात्रा का भव्य आयोजन किया गया।
प्रांत प्रचार प्रमुख डॉक्टर यज्ञ आमेटा ने बताया कि यात्रा को शहर के प्रथम नागरिक एवं महापौर चंद्रसिंह कोठारी, आलोक संस्थान के निदेशक डॉक्टर प्रदीप कुमावत , संस्कृत भारती के प्रांत संगठन मंत्री देवेंद्र पंड्या ने भगवा ध्वज दिखाकर रवाना किया।
चेतना यात्रा नगर निगम प्रांगण से रवाना होकर सूरजपोल चौराहा जहां संस्कृत भाषा के प्रचार हेतु एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया वहां से बापू बाजार होते हुए देहली गेट से अश्विनी बाजार होते हुए हाथी पोल चेतक चौराहे पर एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया जिसमें संस्कृत भाषा के संवर्धन एवं जन भाषा बनाने के उद्देश्य से लोगों को संदेश दिया गया तथा वहीं पर यात्रा का समापन किया गया।
तदुपरांत सभी शिक्षार्थियों ने फतेह सागर की पाल पर संस्कृत भाषा में एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जिसमें संस्कृत भाषा के प्रचार संवर्धन एवं संस्कृत को व्यावहारिक भाषा बनाने का आह्वान किया।
संस्कृत भारती के द्वारा आयोजित संस्कृत चेतना यात्रा में 12 जिलों से आए हुए 300 से अधिक प्रशिक्षणार्थियों ने उदयपुर में संस्कृत भाषा को जन-जन की भाषा बनाने के लिए आह्वान किया। सभी शिक्षार्थियों के द्वारा उदयपुर में "संस्कृत वाणी- अमृतवाणी", "संस्कृतभाषा- आधुनिकीभाषा", "संस्कृत भाषा- अस्माकं भाषा", "संस्कृत भाषा- सर्वेषां भाषा" इस प्रकार के उद्घोषक से सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया।
महापौर चन्द्र सिंह कोठारी ने कहा कि संस्कृति एक ऐसी भाषा है जो समाज में सामाजिक समरसता को लाकर के भारत की सांस्कृतिक अखंडता को बनाए रख सकती है।
डॉ प्रदीप कुमावत ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने, हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा दिया गया ज्ञान हमारे संस्कृत शास्त्रों में भरा पड़ा है उनको समझने के लिए संस्कृत ही एकमात्र साधन है जो भारत को और भारत वासियों को एक करने में एक उत्कृष्ट साधन है ।
संगठन मंत्री देवेंद्र पंड्या ने बताया कि संस्कृतभारती विगत 38 वर्षों से निरंतर देशभर में ग्रीष्मकाल और शीतकाल में आवासीय वर्गों के माध्यम से कार्यकर्ताओं का निर्माण करती है जो अपने अपने स्थानों पर जाकर के निशुल्क संस्कृत की सेवा समाज की सेवा राष्ट्रीय की सेवा करते हुए समाज की एकता को बनाए रखने के लिए अथक प्रयत्न रत रहते हैं ऐसे हजारों कार्यकर्ताओं का निर्माण संस्कृत भारती ने अब तक किया है जिनके माध्यम से एक करोड़ 20 लाख से अधिक लोगों को संस्कृत बोलना सिखाया है 15000 से संस्कृत कुटुम्ब बने हैं जहां पर परिवार के सभी लोग संस्कृत में हीं बातचीत करते हैं और देश में पांच ऐसे संस्कृत ग्राम है जहां सभी जाति धर्म पंथ संप्रदाय के लोग संस्कृत में हीं बात करते हैं।
इस अवसर पर मुख्य रूप से संजय शांडिल्य, दुष्यंत नागदा, हिमांशु भट्ट, दिव्या ढूंडारा, मधुसूदन शर्मा ,दुर्गा कुमावत, अर्चना शर्मा, नरेंद्र शर्मा आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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