तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में- येद्दियुरप्पा

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Published on : 18 May, 18 13:05

कर्नाटक की राजनीति में कद्दावर माने जाने वाले बीएस येद्दियुरप्पा तमाम अड़चनों और विरोधाभाषों के बावजूद तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में एक अचंभे की तरह उदित हुए हैं।किसान हितैषी की है छवि : मांडया जिले में केआर पेट तालुक अंतर्गत बूकानाकेरे में सत्ताइस फरवरी 1943 को जन्मे येद्दियुरप्पा की लोकप्रियता की एक बड़ी वजह उनका राज्य के किसानों का हितैषी होना भी है। येद्दियुरप्पा की आशावादिता और दृढ़ता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि चुनावों से पहले ही उन्होंने कह दिया था कि वह 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथग्रहण करेंगे। उनके रास्ते में कईं अड़चनें आई और बुधवार रात कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) द्वारा शीर्ष अदालत से हस्तक्षेप की मांग के बाद भी उन्हें अपने मुख्यमंत्री बनने पर भरोसा था।भाजपा से कर चुके हैं बगावत : हालिया विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रहे येद्दियुरप्पा का एक समय भाजपा के प्रति बगावती रुख भी सामने आया था। 2008 में विधानसभा चुनाव में भाजपा 110 सीटों के साथ सबसे बड़ी एकल पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन तीन सीटों के मामूली अंतर से बहुमत से पीछे रह गई थी। भाजपा ने हालांकि अपनी सरकार बनाई और येद्दियुरप्पा मुख्यमंत्री बने। इसी दौरान येद्दियुरप्पा के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की पृष्ठभूमि में भाजपा ने उन्हें दरकिनार कर दिया।’कर्नाटक जनता पार्टी‘‘ का किया था गठन : येद्दियुरप्पा ने भाजपा के इस कदम से कुपित होकर नई पार्टी का गठन किया जिसे ‘‘कर्नाटक जनता पार्टी’ नाम दिया गया। 2013 के चुनाव में पासा पलटा और भाजपा 40 सीटों पर सिमट गई तथा येद्दियुरप्पा की पार्टी को महज छह सीटें मिलीं। कांग्रेस ने 122 सीटें जीती और पुन: सत्ता पर काबिज हुई। कर्नाटक में क्षेत्रीय नेता से वंचित भाजपा ने येद्दियुरप्पा को घर वापसी के लिए राजी किया और गत विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। इसके बाद येद्दियुरप्पा ने राज्य में भाजपा के कुनबे को फिर से स्थापित करने के लिए जी-जान लगा दी और पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के वास्ते विभिन्न यात्राओं का आयोजन किया। लिपिक के रूप में की थी करियर की शुरुआत : येद्दियुरप्पा ने अपने करियर की शुरुआत समाज कल्याण विभाग में प्रथम श्रेणी लिपिक के रूप में की थी। बाद में वह सरकारी नौकरी छोड़कर शिकारीपुर चले गए, जहां उन्होंने हार्डवेयर दुकान शुरू करने से पहले कुछ समय तक एक राइस मिल के लिए भी काम किया। येद्दियुरप्पा 1970 में आरएसएस के शिकारीपुर शाखा के कार्यदक्ष (सचिव) नियुक्त किए गए और यहीं से उनकी जनसेवा के काम की शुरुआत हुई। 1972 में वह शिकारीपुर नगरपालिका के सदस्य निर्वाचित हुए और जनसंघ के तालुक स्तर के अध्यक्ष भी नियुक्त किए गए। 1975 में वह शिकारीपुर नगरपालिका अध्यक्ष निर्वाचित हुए। आपातकाल में गए थे जेल : उन्होंने आपातकाल के दौरान संघर्ष में हिस्सा लिया और बेल्लारी तथा शिमोगा जेल में बंद रहे।
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