रेती बनाने में पर्यावरण अनुमति की आने वाली बाधा दुखदः

( 12472 बार पढ़ी गयी)
Published on : 22 Apr, 18 20:04

ओवरबर्डन से रेती बनाने में पर्यावरण अनुमति की आने वाली बाधा दुखदःकटारिया

 रेती बनाने में पर्यावरण अनुमति की आने वाली बाधा दुखदः उदयपुर। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मांइसों में पडे ओवरबर्डन से रेती बनाने में पर्यावरण क्लीयरेंस को लेकर आ रही बाधा काफी दुखद है। देष के विकास में बजरी के विकल्प को लेकर आ रहे सुझावों पर पयार्वरण विभाग को विचार करना चाहिये।
वे माइनिंग इंजीनियर्स एसीसीएशन ऑफ इंडिया राजस्थान चेप्टर की ओर से खान एवं भू विज्ञान विभाग और सीटीएई के खान विभाग के सहयोग से रेत खनन पर समस्याएं और उसके विकल्प पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उन्हने कहा कि बजरी निर्माता और एडं यूजर्स दोनों को देषहित में मिल बैठकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा। हमनें जेसीबी लगाकर अपनी नदियों का बेरहमी से दोहन कर दिया जिस कारण सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पडा। सरकार ने भी इस समस्या के समाधान के लिये सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया। बजरी उत्पादन पर प्रतिबन्ध के कारण रोजगार पर संकट खडा हो गया और देष का विकास रूक गया है। निर्माण लागत में वृद्धि हो गयी है। यह समस्या बहुत गंभीर है। इसके विकल्प का जल्दी से जल्दी उपयोग देष के विकास को आगे बढाना होगा।
केन्द्रीय खान मंत्रालय के निदेषक प्रिथुल कुमार ने कहा कि राजस्थान में ५६ मिलीयन टन रेती की आवष्यकता होती है और इसका पता लगाया जा रहा है कि इसके रिप्लेसमेन्ट से कितनी सेंड उपलब्ध हो रही और षेश बची हुई आवष्यकता में इसके विकल्प एम सेंड का उपयोग किया जाना चाहिये।
एमपीयूटी के कुलपति प्रो. उमाष्ंाकर षर्मा ने कहा कि खनन जिलेां में अपषिश्टों के पहाड बने हुए है। उनका रेत निर्माण में उपयोग के लिये राज्य सरकार को अनुमति देनी चाहिये।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए माइंनिग इंजीनियर्स एसोसिएषन ऑफ इंडिया के राश्ट्रीय अध्यक्ष अरूण कोठारी ने कटारिया से एसोसिएषन के लिये जमीन उपलब्ध करवानें की मांग की ताकि स्कील डवलपमेन्ट एवं मिनरल डवलपमेन्ट के कार्य सुचारू रूप से किये जा सकें।
आरपीएससी के पूर्व चेयरमेन जी.एस.टांक ने बताया कि पार्टकल साईज को डिफाईन कर काम में लिया जाने वाला पदार्थ एम सेंड होता है। मलबे को क्रष कर उसको उपयोग में लिया जा सकता है। इस अवसर पर उन्हने एम सेंड की तकनीकी जानकारी दी।
सीटीआई कॉलेज के डीन डॉ. एस.एस.राठौड ने सेमिनार की दो दिन की जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान की इस ज्वलंत समस्या का समाधान षीघ्र निकाला जाना चाहिये। तेलंगाना राज्य में निर्माण कार्यो में ३० प्रतिषत एम सेंड का उपयोग किया जा रहा है। राजस्थान में मात्र ४-५ प्रतिषत बजरी का रिजनरेषन ही होता है क्योंकि यहंा पर वर्शाकाल के दौरान की नदियंा प्रवाहित होती है। प्रारम्भ में लक्ष्मणसिंह षेखावत ने कहा कि दक्षिण भारत में एम सेंड का काफी मात्रा में उपयोग किया जा रहा है। भारत में एम सेंड के प्रचार के लिये इस सेमिनार का आयोजन किया गया।
प्रस्ताव-संयुक्त आयोजन सचिव मधुसूदन पालीवाल ने बताया कि सेमिनार के दौरान आये प्रस्तावों पर सुझाव तैयार किये गये। एम सेंड के लिये अलग से नियम एवं नीति बनें,नदी नालों को उनके आकार के अनुसार वर्गीकृत किया जायें, छोटे नदी नालों से बजरी दोहन का अधिकार पंचायत को तथा बडे नदी नालों का दोहन आरएसएमएमलि. को दिया जायें,एम सेंड के संयंत्रों को कच्चा माल उपलब्ध कराने की नीति बनायी जायें, एम सेंड संयंत्रों को रियायत दर पर ओवर बर्डन उपलब्ध कराया जाना चाहिये।
तेलंगाना में बजरी से निजी क्षेत्र को नहीं मिलता है राजस्व-तेलंगाना के माइंस एण्ड जियोलोजी के अतिरिक्त निदेषक सी.नरसीमुलु ने बजरी खनन की रूपरेखा की मुख्य विषेशताएं विशय पर पत्रवाचन करते हुए कहा कि तेलंगाना में राज्य सरकार का बजरी खनन पर पूर्णतया नियंत्रण है। वहंा पर निजी क्षेत्र को बजरी पर किसी प्रकार का राजस्व नहीं मिलता है। वहंा पर राज्य सरकार ने नवाचार प्रोजेक्ट के तहत रेती को ग्राहक के घर पर पंहुचाया जाता है। वहंा पर रेती के बेचान में पूर्णतया पारदर्षिता रखी जाती है। हैदाराबाद के मेट्रो ट्रेन के कार्य में पूर्णतया मेन्यूफ्रेक्चर्ड सेन्ड काम में ली जा रही है।
भारतीय खान ब्यूरो के अभय अग्रवाल ने मेन्यूफ्रेक्चर्ड सेन्डःनदी बजरी का विकल्प विशय पर पत्रवाचन करते हुए मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायरमेंट फोरेस्ट एण्ड क्लाईमेंट चेंज द्वारा बनायी गई सेन्ड माईनिंग गाईड लाईन-२०१६ की विवेचना की। आरएसएमएमएल के उप महाप्रबन्धक हरीष व्यास ने झामरकोटडा माइन्स के ओरवर बर्डन से मेन्यूफ्रेक्चर्ड सेन्ड बनाने की संभावनायें विशय पर अपना पत्र प्रस्तुत किया।
संगीता चौधरी व प्रेम चौधरी ने कोसना बजरी खनन का गणितिय मॉडल मिठरी नदी से सुरक्षित सीमा में प्रतिवर्श बजरी खनन की जा सकें,विशय की विस्तृत व्याख्या की। वाई.सी.गुप्ता ने कहा कि क्या राजस्थान में ग्राहक को प्राकृतिक बजरी या मेन्यूफ्रेक्चर्ड बजरी भविश्य में वाजिब दाम पर उपलब्ध हो पायेगी। इसके लिये क्या कदम उठायें जानें चाहिये, विशय पर अपना पत्र प्रस्तुत किया।
राहुल इंजीनियर्स के मुख्य अधिषाशी अधिकारी ललित पानेरी ने निर्माण कार्य में उपयोग हेतु बजरी षब्दावली व विषिश्टतायें विशय पर वार्ता प्रस्तुत की।वन्डर सीमेन्ट लिमिअेड के अतिरिक्त उपाध्यक्ष महेन्द्र बोकडया ने मेन्यूफ्रेक्चर्ड बजरी प्राकृतिक बजरी का एक विकल्प विशय पर अपना षोध प्रस्तुत किया। इस सत्र की अध्यक्षता एमईआईए के कोन्सिल मेम्बर दिलीप सक्सेना ने की जबकि सह अध्यक्षता राजेन्द्र सिंह राठौड ने की।
सेमिनार हॉल के बाहर रॉलजैक एषिया लिमिटेड के प्रतिनिधियों ने मेन्यूफ्रेक्चर्ड सेन्ड बनाने में काम वाली मषीन का डिस्प्ले कर उसके बारें म सेमिनार में आये सभी प्रतिभागियों को विस्तृत रूप से बताया।
इस अवसर पर कटारिया ने सेमिनार के सभी प्रायोजकों वन्डर सीमेन्ट लि.,हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड,पुजोलाना, यूएमडीएस प्रा.लि.,एएसडी,खेतान बिजनेस कोरपोरेषन,निरमेक्स सीमेन्ट, इण्डिया सीमेन्ट,आदित्य सीमेन्ट,प्रोपाइल इन्डस्ट्रीज,रॉलजेक एषिया लि.,ज्येाति मार्बल प्रा.लि, सूर्या एसोसिएट्स,मेवाड हाईटेक इंजीनियरिंग ,उदयपुर मेसेनरी स्टोन एण्ड मांइस ओनर्स को प्रषस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन दीपक षर्मा ने किया। अंत में आर.डी.सक्सेना ने ज्ञापित किया।

साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.